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देश को सम्मान दिलाने वाले दृष्टिहीन क्रिकेटरों के संघर्ष की कहानी...

क्रिकेट के खेल में इन दिनों भारतीय टीम के आगे सभी देश फीके पड़ गए हैं। एक तरफ जहाँ भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ तीन टी-20 मैचों के सीरीज 2-1 से जीत ली है। वहीं दूसरी तरफ दृष्टिहीन वर्ल्ड कप

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma February 18, 2017 • 12:40 PM
देश को सम्मान दिलाने वाले दृष्टिहीन क्रिकेटरों के संघर्ष की कहानी...
देश को सम्मान दिलाने वाले दृष्टिहीन क्रिकेटरों के संघर्ष की कहानी... ()
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क्रिकेट के खेल में इन दिनों भारतीय टीम के आगे सभी देश फीके पड़ गए हैं। एक तरफ जहाँ भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ तीन टी-20 मैचों के सीरीज 2-1 से जीत ली है। वहीं दूसरी तरफ दृष्टिहीन वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को हराकर इतिहास लिख दिया।

इससे पहले साल 2012 में भारत ने पहला दृष्टिहीन टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था और इसके ठीक बाद साल 2014 में 40 ओवरों के वर्ल्ड कप पर भी कब्जा जमाया था। इसके अलावा भारतीय दृष्टिहीन क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को हराकर पहली बार आयोजित हुए टी20 एशिया कप का खिताब भी अपने नाम कर लिया है।

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वहीं, इस बार भी दृष्टिहीन टी-20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने कमाल का खेल दिखाया। भारतीय टीम ने सभी मैचों में बड़े स्कोर से जीत दर्ज की।

इस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंग्लैंड, नेपाल, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और वेस्टइंडीज की टीमें हिस्सा लिया। भारत ने पहले मैच में बांग्लादेश को 129 रनों से, दूसरे मैच में वेस्टइंडीज को 142 रनों से, इंग्लैंड को 10 विकेट से, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका को नौ विकेट व ऑस्ट्रेलिया को 128 रनों से हराया।

भारतीय टीम को केवल पाकिस्तान के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। पाकिस्तान ने भारत को सात विकेट से हराया था। लेकिन फाइनल में अपने चिरप्रतिद्वंदी को 9 विकेट से हराकर लीग मैच में मिली हार का बदला भी ले लिया बल्कि वर्ल्ड कप का खिताब भी अपने नाम कर लिया। ऐसे उम्रदराज खिलाड़ी जिन्होंने 35 साल के बाद टी-20 क्रिकेट में डेब्यू किया

लेकिन इस जीत से मिली खुशी से ज्यादा भारतीय टीम के खिलाड़ियों के मन में चिंता है। यह चिंता उनके भविष्य और जीवनयापन से जुड़ी हुई है।

 

दृष्टिहीन क्रिकेटरों की हालत खराब, बीसीसीआई से उम्मीद...

दृष्टिहीन क्रिकेटरों की हालत खराब, बीसीसीआई से उम्मीद...

भारत में भले ही क्रिकेट को धर्म और टीम इंडिया के क्रिकेटरों को देवता का दर्जा प्राप्त हो लेकिन इसके उलट दृष्टिहीन क्रिकेटरों की हालत बेहद खराब है। इन क्रिकेटरों के सामने रोजी-रोटी का संकट हमेशा बरकरार रहता है। क्रिकेट उन्हें पैसा और शोहरत तो दूर ढंग से जीवन जीने के लिए जरूरी चीजें तक मुहैया नहीं करवा पाता है।

ऐसे में अब दृष्टिहीन क्रिकेटरों ने दुनिया की सबसे धनी खेल संस्थाओं में शुमार और भारतीय क्रिकेट के कर्ता-धर्ता बीसीसीआई से मदद की उम्मीद लगाई है। जिस तरह बीसीसीआई से जुड़कर महिला क्रिकेट के भलाई की उम्मीद जगी है क्या वैसा ही कुछ दृष्टिहीन क्रिकेटरों के मामले में भी हो सकता है? क्या सिर्फ बीसीसीआई से जुड़ने भर से ही इन क्रिकेटरों का भला हो जाएगा।

बीसीसीआई बदल सकती है दृष्टिहीन क्रिकेटरों की किस्मतः..

 

बीसीसीआई बदल सकती है दृष्टिहीन क्रिकेटरों की किस्मतः..

क्रिकेट नेत्रहीनों द्वारा खेला जाने वाला भारत के सबसे प्रमुख खेलों में से एक हैं। भारत में दृष्टिहीन क्रिकेट की संचालन संस्था क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया है। एक अनुमान के मुताबिक इस समय देश में करीब 35000 दृष्टिहीन क्रिकेटर हैं। लेकिन आर्थिक मदद और संसाधनों के अभाव में दृष्टिहीन क्रिकेटर बदहाली में जीवन जीने को विवश हैं।

अपनी कप्तानी में भारतीय दृष्टिहीन क्रिकेट टीम को टी20 वर्ल्ड कप जिता चुके और पद्मश्री विजेता शेखर नायक की महीने की आमदनी महज 13 हजार रुपये है और इतने कम पैसों में उनके लिए क्रिकेट खेलना तो छोड़िए अपना घर चलाना भी मुश्किल है।

शेखर नायक का कहना है कि दृष्टिहीन क्रिकेट की हालत बीसीसीआई से जुड़कर सुधर सकती है। लेकिन लंबे समय से चली आ रही इस मांग पर बीसीसीआई ने अब तक ध्यान नहीं दिया है, जबकि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और यहां तक कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड भी अपने दृष्टिहीन क्रिकेट टीम को मान्यता दे चुके हैं।

लेकिन बीसीसीआई ने अब तक ऐसा कुछ नहीं किया है। टी20 एशिया कप जीतने पर भारतीय टीम को इनामी राशि के रूप में 3 लाख रुपये मिले। इससे ज्यादा पैसे तो टीम इंडिया के लिए सिर्फ वनडे खेलने वाले क्रिकेटर को मिल जाता है। इसी से आप दृष्टिहीन क्रिकेटरों की मुश्किल स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं।

दृष्टिहीन क्रिकेट के नियम भी अलग होते हैं...

 

दृष्टिहीन क्रिकेट के नियम भी अलग होते हैं...

दृष्टिहीन क्रिकेटरों  के नियम भी अलग होते हैं और उन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। दृष्टिहीन क्रिकेट में भी सामान्य टीम की तरह 11 खिलाड़ी होते हैं। हालांकि, ये खिलाड़ी तीन अलग-अलग श्रेणी के होते हैं। इन्हें बी 1, बी 2 और बी 3 में विभाजित किया जाता है।

बी 1 श्रेणी में वे खिलाड़ी होते हैं,जिनको लगभग नहीं के बराबर दिखाई देता है। बी 2 श्रेणी के खिलाड़ियों को कम दिखाई देता है और बी 3 के  खिलाड़ियों को बी 1 और बी 2 खिलाड़ियों से ज्यादा दिखाई देता है।

क्रिकेट के नियम के हिसाब से एक टीम में कम से कम चार बी-1 खिलाड़ी होने चाहिए। टीम में तीन बी-2 और ज्यादा से ज्यादा चार बी-3 खिलाड़ी होने चाहिए। अपनी पहचान के लिए यह तीन वर्ग के खिलाड़ी अलग-अलग बैंड पहनते हैं।

बी-1 खिलाड़ी दाहिने हाथ में सफेद रिस्ट बैंड पहनते हैं, बी-2 खिलाड़ी लाल बैंड पहनते हैं जबकि बी-3 नीला बैंड पहनते हैं। मैदान के अंदर चार बी1 खिलाड़ियों का फील्डिंग करना जरूरी है। जब कोई बी 1 खिलाड़ी फील्ड से बाहर जाता है तो उसकी जगह पर स्थानापन्न के तौर पर बी 1 खिलाड़ी ही मैदान के अंदर आता है। बी 2 खिलाड़ी की जगह पर बी 1 या बी 2 खिलाड़ी ही आते हैं। बी 3 खिलाड़ी की जगह पर बी 1, बी 2 या बी 3 कोई भी खिलाड़ी फील्डिंग कर सकता है।

दृष्टिहीन क्रिकेट में गेंदबाजी के नियम भी हैं अलग..

 

दृष्टिहीन क्रिकेट में गेंदबाजी के नियम भी हैं अलग..

दृष्टिहीन क्रिकेट में गेंदबाजी के नियम भी सामान्य क्रिकेट से भिन्न हैं। इसमें एक गेंदबाज मैच के सिर्फ 20 प्रतिशत ओवर गेंदबाजी कर सकता है। यानी अगर टी 20 मैच है तो एक गेंदबाज ज्यादा से ज्यादा चार ओवर गेंदबाजी कर सकता है।

जबकि बी 1 खिलाड़ियों को मैच के 40 प्रतिशत ओवर में गेंदबाजी करना जरूरी है। यानी अगर टी 20 मैच है तो चार बी1 खिलाड़ियों को कुल मिलाकर आठ ओवर गेंदबाजी करना जरूरी है, लेकिन एक खिलाड़ी चार ओवर से ज्यादा गेंदबाजी नहीं कर सकता है।

दृष्टिहीन क्रिकेटरों के मैच में नो बॉल के नियम भी कुछ अजीबो-गरीब हैं:

 

दृष्टिहीन क्रिकेटरों के मैच में नो बॉल के नियम भी कुछ अजीबो-गरीब हैं:

अंडरआर्म गेंदबाजी नहीं करने पर नो बॉल होगी। आधे पिच से पहले गेंद का बाउंस होना जरूरी है नहीं तो नो बॉल होगी। इसके लिए पिच के बीच में एक हाफ मार्क बना रहता है। गेंदबाज गेंद करने से पहले बल्लेबाज से पूछता है क्या वह तैयार है और बल्लेबाज के हां में जवाब देने पर ही गेंद की जाएगी, वरना नो बॉल होगी।

गेंद करने के बाद गेंदबाज को बल्लेबाज से प्ले यानी खेलो कहना जरूरी है, नहीं तो नो बॉल होगी। अगर प्ले कहने से पहले या प्ले कहने के बाद गेंद फेंकने में देर हुई तो भी नो बॉल होगी। गेंदबाजी के दौरान कोई भी फील्डर बिना मतलब डाइव मारता है या लेट जाता है तो भी नो बॉल होती है।

हालांकी इन दृष्टिहीन क्रिकेटरों के मैच में छक्का लगना असंभव ही होता है। फिर भी नियम के अनुसार, बी 1 बल्लेबाज के द्वारा स्कोर किए गए रन दोगुने हो जाते हैं। अगर बी 1 बल्लेबाज एक रन लेता है तो उसके और टीम के खाते में दो रन जुड़ जाते हैं।

दो रन लेने पर चार और तीन रन लेने पर छह रन मिलते हैं, जानिए ऐसा क्यों

 


दो रन लेने पर चार और तीन रन लेने पर छह रन मिलते हैं, जानिए ऐसा क्यों:

दो रन लेने पर चार और तीन रन लेने पर छह रन मिलते हैं। अगर बी 1 बल्लेबाज चौका लगाता है तो उसे आठ रन मिलते हैं, अगर छक्का लगता है तो उसे 12 रन मिलते हैं। लेकिन बी 2 और बी 3 खिलाड़ियों के लिए यह नियम लागू नहीं है।

सामान्य क्रिकेट के नियम की तरह ही दृष्टिहीन खिलाड़ियों के लिए भी रनर लेने की सुविधा मौजूद है। बी 1 खिलाड़ी के बल्लेबाजी करने के दौरान एक रनर रखा जाता है। बी 2 खिलाड़ी भी चाहे तो अपने लिए रनर रख सकता है। रनर और बल्लेबाज के बीच 10 फीट की दूरी होनी चाहिए।

लेखक: सुनिल दुबे, हिंदुस्थान समाचार के वरिष्ठ पत्रकार हैं


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