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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने कोटला स्टेडियम के स्टैंड से अपना नाम हटाने को कहा,ये है कारण

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी (Bishan Singh Bedi) ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (DDCA)) से कहा है कि वह फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के स्टैंड पर से उनका नाम हटा दे। दो

IANS News
By IANS News December 23, 2020 • 12:24 PM
Bishan Singh Bedi renounces DDCA membership
Bishan Singh Bedi renounces DDCA membership (Former Indian Captain Bishan Singh Bedi)
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भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) से कहा है कि वह फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के स्टैंड पर लगी पट्टिका से उनका नाम हटा दे। दो साल पहले ही कोटला स्टेडियम में एक स्टैंड का नाम बेदी के नाम पर रखा गया था। बेदी ने 70 के दशक में दिल्ली को दो बार रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाया था। साथ ही उन्होंने डीडीसीए की सदस्यता छोड़ने का भी फैसला किया है।

बेदी का यह फैसला डीडीसीए के उस फैसले के बाद आया, जब अरुण जेटली स्टेडियम में पूर्व डीडीसीए अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा लगाई जाएगी। उनके बेटे रोहन जेटली इस समय डीडीसीए के अध्यक्ष हैं। उनके पिता की 68वीं वर्षगांठ पर उनकी प्रतिमा स्टेडियम में लगाई जाएगी। बेदी ने इसे एक कारण बताया है।

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इस स्टेडियम का नाम पहले फिरोज शाह कोटला स्टेडियम हुआ करता था, जिसे पिछले साल 24 अगस्त को अरुण जेटली के निधन के बाद उनके नाम पर कर दिया गया।

74 साल के बेदी ने डीडीसीए के मौजूदा अध्यक्ष रोहन जेटली को मंगलवार रात को पत्र लिखते हुए कहा है, "मुझे अपने आप पर गर्व है कि मैं काफी सहनशील और धैर्यवान हूं, लेकिन डीडीसीए जिस तरह से चल रही है, उसने मेरी परीक्षा ली है और इसी ने मुझे यह फैसला लेने को मजबूर किया है। इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अपील करता हूं कि आप मेरा नाम स्टैंड पर से तत्काल प्रभाव से हटा दें। साथ ही मैं अपनी डीडीसीए की सदस्यता त्याग रहा हूं। मैंने यह फैसला जानबूझ कर लिया है।"

उन्होंने लिखा, "मुझे बताया गया है कि दिवंगत अरुण जेटली शानदार राजनेता थे। ऐसे में भावी पीढ़ी के लिए संसद को उन्हें याद रखना चाहिए न कि क्रिकेट स्टेडियम को। वह हो सकता है कि बहुत बड़े क्रिकेट प्रशंसक रहे हों, लेकिन क्रिकेट प्रशासन में उनका जुड़ाव संदिग्ध रहा है और काम काफी कुछ बचा रह गया है। यह एक ऐसे ही दिया गया बयान नहीं है, बल्कि डीडीसीए में उनके समय का तथ्यात्मक विश्लेषण है। मेरे शब्द याद रखिए, असफलताओं का ढिंढोरा नहीं पीटा जाता, उन्हें भुला दिया जाता है।"

बेदी, रोहन की अध्यक्षता में चल रहे डीडीसीए के काम से खुश नहीं हैं। अरुण के खिलाफ बेदी ने 1999 में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था। बेदी हार गए थे और फिर जेटली अगले 14 साल तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे। बेदी, जेटली के समय में डीडीसीए में व्याप्त भ्रष्टाचार से परेशान थे।

बेदी ने रोहन को यह भी याद दिलाया कि स्टेडियम में मूर्तियां महान खिलाड़ियों की लगाई जाती हैं।

भारतीय टीम के पूर्व मैनेजर ने लिखा, "माननीय अध्यक्ष, अगर आप दुनियाभर के स्टेडियमों का दौरा करेंगे तो पता चलेगा कि कोटला मैदान में कितनी खामियां हैं और यह टेस्ट सेंटर के लिहाज से कितना पीछे है। आपको यह सीखना होगा कि खेल प्रशासक अपनी सेवाएं करवाने वाले नहीं होते हैं। जिन लोगों ने आपको घेर रखा है, वो आपको कभी नहीं बताएंगे कि लॉर्डस में डब्ल्यूजी ग्रेस की मूर्ति है, लंदन के द ओवल में सर जैक हॉब की मूर्ति है। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर सर डॉन ब्रेडमैन की मूर्ति है, बारबाडोस में सर गारफील्ड सोबर्स की मूर्ति है और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में शेन वार्न की मूर्ति है।"

उन्होंने लिखा, "इसलिए जब बच्चे इन स्टेडियमों में आते हैं तो उनके बड़े इन लोगों के बारे में जो कहानियां उन्हें सुनाते हैं, उससे बच्चों को प्ररेणा मिलती है। प्रशासक की जगह उसके ग्लास के केबिन में होती है।"

उन्होंने लिखा, "मैं उस स्टेडियम का हिस्सा नहीं हो सकता, जिसकी प्राथमिकताएं ही अलग हैं और जहां प्रशासकों को क्रिकेटरों के ऊपर तरजीह दी जाती है। इसलिए तत्काल प्रभाव से मेरा नाम स्टैंड से हटा दीजिए। आपको मेरे और मेरी विरासत की चिंता करने की जरूरत नहीं है।"

डीडीसीए के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि रोहन इस समय बीसीसीआई की एजीएम के लिए दिल्ली से बाहर हैं और वापस अकर वह बेदी के घर पर जाकर उनसे मिलकर बात करेंगे।

अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "हमारे अध्यक्ष बेदी से समय लेंगे और उनसे मुलाकात करेंगे और उन्हें फैसला वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे। वह 25 दिसंबर को लौटेंगे और संभवत: अगले दिन बैठक हो सकती है। हम पूरी कोशिश करेंगे कि वह अपना फैसला वापस लें। स्टैंड का नाम रखा जाना और मूर्ति स्थापित करना दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं। जनता बेदी को प्यार करती है और उनके खेल को सराहती है, इसलिए स्टैंड उनके नाम पर रखा गया है। जनता ने उन्हें स्टार बनाया है। इसलिए उन्हें जनता की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए।"

संभवत: एक और कारण 2020-21 सीजन में दिल्ली की सीनियर चयन समिति का चयन भी हो सकता है। 60 साल की आयुसीमा के नियम ने दिल्ली और भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी कीर्ति आजाद को चयनकर्ता बनने की दौड़ से बाहर कर दिया। 61 साल के आजाद बेदी के काफी करीबी माने जाते हैं।

आयु सीमा के नियम को देखते हुए आजाद चयनकर्ता पद के लिए अयोग्य हो गए थे। इसके बाद बेदी ने नेशनल कैपिटल टेरीटरी क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के तौर पर डीडीसीए के लोकपाल बादर दुरेज को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने नियमों के गलत क्रियान्वान का जिक्र किया। इस कारण आजाद को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया।

इसके बाद डीडीसीए ने आजाद से कथित तौर पर माफी मांगी। इस संबंध में लोकपाल का आदेश जल्दी आ सकता है।
 


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