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द्रविड के मामले में लिखने से पहले राय ने सीओए सदस्यों से बात नहीं की

27 सितंबर। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के कोच राहुल द्रविड़ को गुरुवार को जब बीसीसीआई के एथिक्स अधिकारी डीके जैन के सामने पेश होना था तो उम्मीद थी कि उन्हें बोर्ड के वकीलों का समर्थन मिलेगा, लेकिन जो एक बात हैरान...

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द्रविड के मामले में लिखने से पहले राय ने सीओए सदस्यों से बात नहीं की Images
द्रविड के मामले में लिखने से पहले राय ने सीओए सदस्यों से बात नहीं की Images (twitter)
Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat
Sep 27, 2019 • 06:23 PM

27 सितंबर। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के कोच राहुल द्रविड़ को गुरुवार को जब बीसीसीआई के एथिक्स अधिकारी डीके जैन के सामने पेश होना था तो उम्मीद थी कि उन्हें बोर्ड के वकीलों का समर्थन मिलेगा, लेकिन जो एक बात हैरान करने वाली सामने आई वो ये कि प्रशासकों की समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय ने जैन को पत्र लिखा और कई उदाहरणों के जरिए द्रविड़ को हितों के टकराव के मुद्दे से बचाने की कोशिश की। साथ ही एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया है कि राय ने जैन को जो पत्र लिखा था वो सीओए के बाकी सदस्यों की बिना इजाजत के लिखा था।

Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat
September 27, 2019 • 06:23 PM

एक अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राय का जैन को पत्र लिखना गलत है और इससे लोढ़ा समिति की सिफारिशों के उस प्रस्ताव को खत्म कर दिया है जिसमें कहा गया था कि एथिक्स अधिकारी ही सिर्फ हितों के टकराव के मुद्दे को देख सकता है।

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अधिकारी ने कहा, "सीएओ अध्यक्ष का एथिक्स अधिकारी को पत्र लिखना गलत है क्योंकि इसे एथिक्स अधिकारी को प्रभावित करने के तौर पर देखा जा सकता है। अगर हम इसे अलग भी रख देते हैं तो राय ने जब पत्र भेजा उससे पहले तीन सदस्यीय समिति की कोई चर्चा नहीं हुई थी। अगर उन्हें लगता था कि वह जो कर रहे हैं वो सही कर रहे हैं तो उन्हें निजी तौर पर यह पत्र लिखना चाहिए था न कि समिति के सदस्य के तौर पर क्योंकि उन्होंने समिति के बाकी सदस्यों से इस मसले पर बात नहीं की थी।"

एक और अधिकारी ने कहा कि अगर बीसीसीआई में सब कुछ अधिकारियों को ही चलाना है तो एथिक्स अधिकारी को रखने का कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने कहा, "अगर आप पत्र लिख रहे हैं और चीजों को निश्चित तरह स पेश कर रहे हैं तो जैन का एथिक्स अधिकारी के तौर पर नियुक्ति का क्या मतलब है? इसमें कोई शक नहीं है कि देश के युवाओं के लिए द्रविड़ से अच्छा कोच नहीं हो सकता। लेकिन अगर एक जाहिर सी समस्या है तो, क्या सीओए को इसे सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रख चाहिए था।"

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