भारत से बाहर, अकेला क्रिकेट स्टेडियम जहां भारत के एक प्रधानमंत्री की क्रिकेट किट में फोटो लगी है
जब आईसीसी नए तय किया कि डब्ल्यूटीसी (वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप) फाइनल द ओवल में 7 जून से खेलेंगे तो उस समय भारत के इसमें खेलने की उम्मीद लगाने वालों को एक बार हैरानी तो जरूर हुई थी। उस समय 6
जब आईसीसी नए तय किया कि डब्ल्यूटीसी (वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप) फाइनल द ओवल में 7 जून से खेलेंगे तो उस समय भारत के इसमें खेलने की उम्मीद लगाने वालों को एक बार हैरानी तो जरूर हुई थी। उस समय 6 टीम इस फाइनल में खेलने की दावेदार थीं पर विश्वास कीजिए द ओवल का इंडिया कनेक्शन इसे भारत के लिए, भारत से बाहर, 'अपना' सा स्टेडियम बना देता है।
दक्षिण लंदन में बना ये स्टेडियम ऐतिहासिक है और अपने समृद्ध इतिहास में 100 से ज्यादा टेस्ट मैचों की मेजबानी कर चुका है। ये जरूर है कि भारत को अपनी पिच पर ये फाइनल खेलने का मौका नहीं मिल रहा लेकिन ऐतिहासिक ओवल मैदान के साथ भारतीय क्रिकेट का जुड़ाव, इसे भारत के लिए एक खास स्टेडियम बना देता है। इंग्लैंड के जिस स्टेडियम को भारत के लिए 'मददगार' कहते हैं- वह और कोई नहीं, यही स्टेडियम है। 1936 में, 3 दिन के टेस्ट में हार से नाता जुड़ा। इस टेस्ट में विजय मर्चेंट ने 52 और 48 रन बनाए थे। 1946 में, टेस्ट ड्रा रहा पर विजय मर्चेंट उसमें भी चमके थे और शानदार 129 रन बनाए।
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इसके बाद 1971 जब अजीत वाडेकर की टीम ने यहां जीत हासिल की- इंग्लैंड पर, इंग्लैंड में, भारत की पहली टेस्ट जीत, तो चंद्रशेखर ने 38 रन देकर 6 विकेट लिए। 1979 में, सुनील गावस्कर ने 8 घंटे से ज्यादा की बल्लेबाजी में 221 रन बनाए और भारत टेस्ट में जीत के लिए जरूरी 438 रन बनाने के बहुत करीब था। 2021 में यहां भारत ने जो आख़िरी टेस्ट खेला वह भी जीते थे। तब कप्तान विराट कोहली थे।
भारतीय क्रिकेट से द ओवल का कनेक्शन आप को स्टेडियम में कई जगह नजर आ जाएगा। मुख्य पवेलियन में भारतीय क्रिकेट के साथ संबंध की मजबूती के प्रतीक के तौर पर एक संगमरमर की प्लेट लगी है- इसे एक समय बीसीसीआई चीफ राज सिंह डूंगरपुर ने दिया था। और भी ख़ास बात ये कि स्टेडियम में वॉक्सॉल छोर की तीसरी मंजिल पर 'द इंडिया रूम' है। इसका उद्घाटन 2005 में सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड के पूर्व प्रधान मंत्री जॉन मेजर की मौजूदगी में किया था। जॉन मेजर खुद बड़े अच्छे क्रिकेट प्रेमी थे और सरे में क्रिकेट भी खेले।
इस इंडिया रूम को बनाने का खर्चा, सालों से ब्रिटेन में रह रहे पर मूलतः भारत के नट पुरी, हुंडुजा फाउंडेशन, लॉर्ड बागरी और सर गुलाम नून जैसों ने उठाया था। इसकी एक बड़ी खासियत हैं यहां लगी तस्वीरें। इन्हीं में से एक क्रिकेट गियर में भारत के भूतपूर्व प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की एक तस्वीर है- पैड बांधे हुए, बल्लेबाजी के लिए बाहर जाने को तैयार! ये तो नहीं लिखा कि ये पिक्चर कब की है पर आम अनुमान ये है कि ये दिल्ली में खेले उस चैरिटी मैच की है जिसमें उन्होंने बल्लेबाजी की थी।
ओवल की बात करते हुए ये जानकारी आपको हैरान कर देगी कि ये स्टेडियम भी लंदन शहर में है- आम तौर पर लंदन के स्टेडियम के नाम पर लॉर्ड्स को ही चर्चा मिलती है। दोनों अलग- अलग इलाके में ही नहीं हैं, बिलकुल अलग माहौल की झलक भी देते हैं- लॉर्ड्स बिलकुल इंग्लिश जबकि द ओवल के आस-पास गैर एशियाई ज्यादा रहते हैं। कई बार तो इंग्लिश टीम ने
यहां दर्शकों से कम सपोर्ट की शिकायत भी की है- उन्हें लगता ही नहीं कि अपने देश में खेल रहे हैं। दोनों स्टेडियम अलग-अलग काउंटी क्रिकेट क्लब के हेड क्वार्टर। मिडिलसेक्स क्लब का हेड क्वार्टर है लॉर्ड्स और सरे क्लब का हेड क्वार्टर है द ओवल।
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स्टेडियम के बिलकुल करीब बने बड़े गैस चेंबर इसकी सालों से पहचान हैं और ये गैस चेंबर क्रिकेट के कई ऐतिहासिक पल के गवाह हैं।