नई दिल्ली, 29 जुलाई | मेरे जेहन में कई ऐसी यादें हैं जो मुझे सुनील गावस्कर का फैन बनाती हैं। इनमें कई मौकों पर मैल्कम मार्शल और माइकल होल्डिंग की गेंदों को सीमा रेखा के बाहर पहुंचाना, दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर हुकिंग और शानदार कटिंग करना, लक्ष्य का पीछा करते हुए द ओवल मैदान पर 221 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलना, बेंगलोर में पाकिस्तान के दिग्गज स्पिनरों इकबाल कासिम और तौसीफ अहमद के खिलाफ एकल लड़ाई लड़ना, आस्ट्रेलिया में वर्ल्ड चैम्पियनशिप ऑफ क्रिकेट जीतना, कराची में पाकिस्तान के पेस अटैक का बहादुरी से सामना करते हुए दोनों पारियों में शतक लगाना और आस्ट्रेलिया में जेफ थॉमसन के खिलाफ तीन शतक लगाना शामिल हैं।
हर एक याद ऐसी है, मानो कल की ही बात हो और हर एक याद को जीवंत करते हुए मन नहीं अघाता है। सुनील मनोहर गावस्कर कद में तो छोटे थे लेकिन क्रिकेट जगत में वह एक कद्दावर की तरह जिए। खुद गावस्कर ने ही कहा था-'छोटे कद के लोग अच्छे बल्लेबाज होते हैं क्योंकि लोवर सेंटर ऑफ ग्रेविटी उन्हें तेज गेंदबाजों और स्पिनरों के खिलाफ बैकफुट एवं फ्रंटफुट पर एक समान बढ़िया खेलने की आजादी देता है।'
इस महीने की शुरुआत में इस आइकोनिक सलामी बल्लेबाज ने अपना 70वां जन्मदिन मनाया लेकिन उनके जन्मदिन का जश्न आईसीसी विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों भारत की हार की भेंट चढ़ गया। आईएएनएस को दिए विशेष साक्षात्कार में गावस्कर ने अपने तथा अपने दिग्गज साथियों के बारे में कई अनकही और अनजानी बातों पर से पर्दा उठाया।