बीसीसीआई को शीर्ष अदालत ने लगाई लताड़
नई दिल्ली, 8 अप्रैल | देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सख्त लहजे में कहा कि बोर्ड की कार्य पद्धति 'पारदर्शी और प्रत्यक्ष' होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने इसको संज्ञान में लिया कि
नई दिल्ली, 8 अप्रैल | देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सख्त लहजे में कहा कि बोर्ड की कार्य पद्धति 'पारदर्शी और प्रत्यक्ष' होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने इसको संज्ञान में लिया कि बीसीसीआई 'सुधार करने से इनकार' और लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों का विरोध कर रही है।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस ठाकुर और न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की खंडपीठ ने बीसीसीआई से कड़े शब्दों में कहा, " आपका काम किस तरह सुधारा जा सकता है, आप इस सार्वजनिक दायित्व को नकार रहे हैं। आप जो कर रहे हैं कैसे कर रहे हैं, यह पारदर्शी और प्रत्यक्ष होना चाहिए।"
बीसीसीआई की तरफ से वरिष्ठ वकील के.के.वेणुगोपाल द्वारा बोर्ड में सीएजी की नियुक्ती के लोढ़ा समिति के सुझाव का विरोध करने पर अदालत ने कहा, "आप हजारों, करोड़ो रुपये का लेने देन करते हैं। क्या आप कह रहे हैं कि आपकी उसके खर्च के ऊपर पूरी स्वधीनता है और आपसे इस पर सवाल नहीं पूछा जा सकता। क्या आप यह कह रहे हैं कि आप हजारों करोड़ों रुपये को किस तरह खर्च कर रहे हैं इस पर आपसे सवाल नहीं पूछा जा सकता। क्या हम इस बयान को रिकार्ड कर लें?"
अदालत ने वेणुगोपाल से पूछा, "बोर्ड में सरकार के नुमाइंदे और सीएजी से कैसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नियम का उल्लंघन होगा।"
अदालत का यह सवाल बीसीसीआई के यह कहने पर आया था कि लोढ़ा समिति द्वारा बोर्ड में सीएजी का नुमाइंदा रखने से आईसीसी के नियम का उल्लंघन होगा क्योंकि इससे ऐसा प्रतीत होगा कि एक स्वतंत्र खेल संस्था में सरकार द्वारा दखल दिया जा रहा है।
अदालत ने वेणुगोपाल से यह पूछते हुए कि इससे कैसे आईसीसी के नियम का उल्लंघन होगा, कहा, "सीएजी या सरकार के नुमाइंदे की मौजूदगी से कैसे आईसीसी के नियम का उल्लंघन होगा। आप बोर्ड में सीएजी के नुमाइंदे के खिलाफ हैं लेकिन आप बोर्ड में मंत्रियों और अधिकारियों की नियुक्ति के समर्थन में हैं, क्या इससे सरकार का दखल नहीं होगा?" बीसीसीआई लोढ़ा समिति की एक राज्य एक वोट, अधिकारियों के कार्यकाल को दो बार तक सीमित करने, बोर्ड में सीएजी का प्रतिनिधित्व, अधिकारियों की आयु सीमा 65 वर्ष करने जैसी सिफारिशों को लागू करने के खिलाफ है।
पंजाब क्रिकेट संघ (पीसीए) की तरफ से दलील दे रहे वरिष्ठ वकील अशोक देसाई ने अदालत में कहा कि क्रिकेट संघ के लिए किसी तरह के समान नियम नहीं हो सकते और आयु सीमा तय नहीं की जा सकती। पीसीए में अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष है। इस पर अदालत ने कहा, "क्या सभी के लिए अधिकतम आयु सीमा होनी चाहिए? खिलाड़ी के संन्यास लेने की क्या उम्र है? इस मामले की सुनवाई 12 अप्रैल को जारी रहेगी।
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