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मिताली राज का गुस्सा फूटा,सेमीफाइनल विवाद पर कोच रमेश पवार और इडुल्जी पर लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली, 28 नवंबर | वेस्टइंडीज में खेले गए महिला विश्व कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम से मिताली राज को अंतिम-11 में जगह देने का विवाद खत्म नहीं हो रहा है। मिताली ने मंगलवार को टीम

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 Mithali raj
Mithali raj (Twitter)
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Nov 28, 2018 • 09:57 AM

नई दिल्ली, 28 नवंबर | वेस्टइंडीज में खेले गए महिला विश्व कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम से मिताली राज को अंतिम-11 में जगह देने का विवाद खत्म नहीं हो रहा है। मिताली ने मंगलवार को टीम के कोच रमेश पवार और प्रशासकों की समिति (सीओए) की अध्यक्ष डायना इडुल्जी की आड़े हाथों लिया है। पूर्व कप्तान ने कहा है कि इन दोनों का उन्हें बाहर बैठाने में बड़ा हाथ है। 

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
November 28, 2018 • 09:57 AM

खेल के सबसे छोटे प्रारुप में पुरुष और महिला दोनों को मिलाकर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले मिताली ने बीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी और महा प्रबंधन (क्रिकेट संचालन) सबा करीम को भावुक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कोच पवार के उनके प्रति व्यवहार को 'गलत और भेदभावपूर्ण' बताया है। 

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मिताली ने लिखा, "20 साल के करियर में पहली बार मैं हताश, तनावपूर्ण, और हारा हुआ महसूस कर रही हूं। मैं यह सोचने पर मजबूर हूं कि मैंने देश की जो सेवा की है उसकी सत्तासीन लोगों के लिए कोई अहमियत नहीं है और वह मुझे तोड़ने तथा मेरे आत्मविश्वास को खत्म करने में लगे हुए हैं।"

उन्होंने कहा, "चीजों को सही दिशा में रखने के लिए, मैंने हमेशा डायना इडुल्जी में विश्वास जताया है और उनकी हमेशा उनकी और सीओए में उनके पद की हमेशा इज्जत की है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह अपने पद का इस्तेमाल मेरे खिलाफ करेंगी। वो भी वेस्टइंडीज में जो मेरे साथ हुआ उसके बारे में उनसे बात करने के बाद"

उन्होंने लिखा, "मैं यह जानती हूं कि यह ई-मेल लिखने के बाद मैं अपने आप को कमजोर कर रही हूं। वह सीओए की सदस्य हैं जबकि मैं सिर्फ एक खिलाड़ी हूं। रिकार्ड को देखते हुए, मैंने सेमीफाइनल से पहले मैंने लगातार अर्धशतक लगाए और दोनों मौकों पर मैन ऑफ द मैच चुनी गई। सेमीफाइनल में मुझे बाहर रखकर सिर्फ तीन इनफॉर्म बल्लेबाजों के साथ मैच में जाना, इस फैसले से मैं उतनी ही हैरान थी जितना पूरा विश्व था।"

भारत को दो बार वनडे विश्व कप के फाइनल में पहुंचाने वाली मिताली ने लिखा, "लेकिन सीओए की सदस्य से इस बात का समर्थन मिलना, साफ तौर पर यह दर्शाता है कि एकतरफा फैसला है और साथ ही मेरे खिलाफ पहले से उठाया गया कदम है। यह कहना 'मैं किसी का समर्थन नहीं करती' और फिर प्रेस में मेरे बाहर बैठाए जाने के फैसले के साथ खड़े होना, इससे साफ पता चलता है कि क्या कहानी है।"

मिताली ने हालांकि कहा है कि उन्हें हरमनप्रीत से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन उन्होंने कोच के साथ अपनी खटास को जाहिर किया है। 

मिताली ने लिखा, "इस मौके पर मैं साफ कर देना चाहती हूं कि मुझे टी-20 टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर से कोई दुश्मनी नहीं है। हां मैं इस बात को मानती हूं कि उनके कोच के मुझे अंतिम-11 में शामिल न करने के फैसले के समर्थन से मैं हैरान रह गई थी। लेकिन मेरे शिकायत और गहरी है। मेरी शिकायत कोच रमेश पवार से है और उन खबरों से हो मीडिया में सामने आईं, मुझे लगा कि मुद्दे को भटका दिया गया है।"

पवार को लेकर उन्होंने कई कहानियां बताईं। उन्होंने लिखा, "यह चिंताजनक और बेइज्जती करने वाला है क्योंकि कोच मुझे बर्बाद और बेइज्जत करना चाहते थे।"

उन्होंने कहा, "उदाहरण के तौर पर, मैं जहां भी बैठती थी वह वहां से चले जाते थे। वह नेट्स में बाकी बल्लेबाजों को देखते थे, लेकिन जब मैं बल्लेबाजी करने आती थी वह चले जाते थे। जब मैं उनसे बात करने की कोशिश करती वह फोन देखने लगते और चले जाते। यह बेहद निराशाजनक था और साफ तौर पर पता चल रहा था कि वह मुझे बेइज्जत करने की कोशिश कर रहे हैं।"

मिताली ने पवार पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने मिताली को आस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में एक तरह से नजरबंद कर दिया था और ड्रेसिंग रूम से बाहर नहीं जाने दिया था। इस दौरान पर वह बुखार से जूझ रही थीं। 

मिताली ने कहा कि वह सेमीफाइनल तक ठीक हो गई थीं, लेकिन कोच के इरादे कुछ और थे जो टॉस के समय तब पता चले जब हरमनप्रीत ने कहा कि टीम प्रबंधन विजयी टीम में बदलाव नहीं करना चाहता। 

उन्होंने कहा, "सेमीफाइनल में, रमेश मैच से एक दिन पहले या मैच के दिन मैदान पर जाने से पहले टीम बता देते थे, लेकिन सेमीफाइनल वाले दिन ऐसा नहीं हुआ। हरमनप्रीत जब टॉस के लिए जा रही थी तब वह मेरे पास दौड़कर आई और उसने कहा कि वह बिना बदलाव के मैदान पर उतर रहे हैं।"

उन्होंने लिखा, "ऐसा लग रहा था कि पूरी टीम को पता है कि कौन खेल रहा है और सिर्फ मुझे ही नहीं पता। साथ ही दूसरी पारी में जब टीम फील्डिंग के लिए तैयार हो रही थी तो ऐसी प्रथा है कि जो खिलाड़ी टीम में नहीं है वह भी हर्डल में हिस्सा लेंगी, लेकिन मुझे बेइज्जत करने के लिए, उन्होंने मैनेजर से मुझे कहलवाया कि सिर्फ अंतिम-11 की खिलाड़ी ही हर्डल में हिस्सा लेंगीं बाकी डकआउट में ही रहेंगी।"
 

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