वर्ल्ड कप इतिहास के 5 ऐसे मैच जब भारतीय टीम ने झेली दिल को तोड़ने वाली हार
वर्ल्ड कप के इतिहास में भारतीय टीम 2 दफा खिताब जीतने में सफल रही है। साल 1983 में महान कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम पहली बार विश्व विजेता बनी थी तो वहीं 28 साल के बाद साल 2011
1992 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया को 1 रन से हराया
1992 वर्ल्ड कप में भी भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 1 रन से हार झेलनी पड़ी थी। 1 मार्च 1992 में गावा में खेले गए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की और 50 ओवर में 9 विकेट पर 237 रन ब
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नाए। ऑस्ट्रेलिया की ओर से डीन जोन्स ने एक बार फिर से कमाल की बल्लेबाजी की और 90 रन बनाए। भारतीय टीम को जीत के लिए 50 ओवर में 238 रन बनानें थे।
ऐसे में भारत की ओर से मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 93 रन बनाए और संजय मांजरेकर ने 47 रन की पारी खेली। यह मैच भारत की गिरफ्त में था लेकिन आखिरी ओवर में जो हुआ उसे क्रिकेट फैन्स आजतक नहीं भूले होंगे। आखिरी ओवर में भारतीय टीम को जीत के लिए 13 रनों की दरकार थी। इस समय तक किरण मोरे अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे और ऐसा लग रहा था कि भारत को मैच जीता देंगे।
ऑस्ट्रेलिया की ओर से आखिरी ओवर टॉम मुडी ने की। 47वें ओवर की पहली गेंद पर किरण मोरे ने शानदार चौका जड़कर लक्ष्य को और भी करीब पहुंचा दिया। वहीं दूसरी गेंद पर भी किरण मोरे ने कमाल किया और चौका जड़कर लगभग भारतीय टीम को मैच जीता दिया। लेकिन कहते हैं क्रिकेट अनिश्चितों का खेले हैं। ऐसे में तीसरी गेंद पर टॉम मुडी ने मोरे को बोल़्ड आउट कर मैच को रोमांच के चरम सीमा पर पहुंचाने का काम किया। अब भारतीय टीम को 3 गेंद पर 5 रनों की दरकार थी। ऐसे में क्रिज पर अब मनोज प्रभाकर और श्रीनाथ मौजूद थे। चौथी गेंद पर मनोज प्रभाकर ने 1 रन लिया और स्ट्राइक श्रीनाथ को देने में सफल रहे। पांचवीं गेंद पर श्रीनाथ और प्रभाकर के बीच गलतफहली हुई और प्रभाकर आसानी के साथ रन आउट हो गए।
ऐसे में आखिरी गेंद पर भारत को 4 रनों की दरकार थी। ऐसे में आखिरी गेंद पर श्रीनाथ ने हवा में लॉग ऑन की तरफ शॉट खेला और 2 रन लेने में सफल रहे। लेकिन तीसरा रन लेने से पहले ही वेंकटपति राजू क्रिज तक नहीं पहुंच पाए और 1 रन से भारत को हार मिली। कहा जाता है कि वेंकटपति राजू यदि दौड़ने में और भी तेजी दिखाते तो शायद यह मैच टाई हो सकता था।