'यह रजत था, मेरे समर्पण का चमकता प्रतीक...' : सिंधु
PV Sindhu: इन दिनों पीवी सिंधु अपनी खोई हुई फॉर्म हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। इस बीच उन्होंने अपने जीवन, संघर्ष और उपलब्धि को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X) पर दिल की बात लिखी है।
PV Sindhu: इन दिनों पीवी सिंधु अपनी खोई हुई फॉर्म हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। इस बीच उन्होंने अपने जीवन, संघर्ष और उपलब्धि को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X) पर दिल की बात लिखी है।
20 अगस्त, 2016 का जिक्र करते हुए पीवी सिंधु ने अपने सबसे खास मैच को याद किया, जब उन्होंने रियो ओलंपिक में महिला एकल फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन से हारने के बाद रजत पदक जीता था।
इस टूर्नामेंट में भारतीय शटलर का प्रदर्शन शानदार रहा और फाइनल मैच में भी सिंधु ने मारिन को कड़ी टक्कर दी थी।
निश्चित रूप से यह मैच सिंधु के लिए बेहद खास है क्योंकि उन्होंने अपना पहला ओलंपिक मेडल जीता था।
इसके बाद वो 2019 में भारत की पहली विश्व चैंपियन बनीं। धीरे-धीरे उनके मेडलों की गिनती आगे बढ़ती रही।
सिंधु ने X पर लिखा, "सात साल पहले, मैंने एक ऐसी यात्रा शुरू की जिसने मेरे जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। पीछे मुड़कर देखने पर, यह विश्वास करना कठिन है कि उस महत्वपूर्ण दिन को सात साल हो गए हैं जब मैंने गर्व से रियो में अपना पहला ओलंपिक पदक जीता था। यह एक रजत पदक था, जो मेरे समर्पण, कड़ी मेहनत और मेरे कोचों, टीम के साथियों और प्रशंसकों के अटूट समर्थन का एक चमकता प्रतीक था।"
रियो में फाइनल मैच में, 21 वर्षीय सिंधु ने शुरुआती गेम जीतने के बाद एक गेम की बढ़त बना ली थी। लेकिन मारिन ने एक गेम से पिछड़ने के बाद जोरदार वापसी की और भारतीय खिलाड़ी ने अंततः इस बेहद रोमांचक मैच में 21-19, 12-21, 15-21 के स्कोर के साथ स्पेनिश खिलाड़ी के सामने घुटने टेक दिए।
28 वर्षीय खिलाड़ी के नाम पांच विश्व चैंपियनशिप पदक हैं, जिनमें विश्व चैंपियनशिप में दो कांस्य (2013, 2014), दो रजत पदक (2017, 2018) और एक स्वर्ण पदक (2019) शामिल हैं। उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में रजत, टोक्यो ओलंपिक में कांस्य और 2022 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक भी जीता।
हालांकि, इस सीज़न में चीज़ें उनके मुताबिक़ नहीं रहीं क्योंकि अब तक उनका सीज़न ख़राब रहा है और वह बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर पर एक भी खिताब जीतने में असफल रहीं। बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेल 2022 में स्वर्ण पदक जीतने के उपरान्त लंबी चोट के बाद वापसी करने के बाद से शीर्ष भारतीय ने अपनी फॉर्म को हासिल करने के लिए काफी संघर्ष किया है। उनकी खराब फॉर्म का ही नतीजा है कि वह नवंबर 2016 के बाद पहली बार विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 से बाहर हो गईं।
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वर्तमान में 15वीं रैंक पर काबिज सिंधु एक बार फिर अपनी दृढ़ता पर भरोसा करेंगी क्योंकि वह डेनमार्क के कोपनहेगन में अपने विश्व चैंपियनशिप 2023 अभियान में चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।