भारत बनाम जिम्बाब्वे : 1999 वर्ल्ड कप का सबसे रोमांचक उलटफेर

Updated: Sun, Feb 08 2015 05:13 IST

19 मई 1999 को लीसेस्टर के मैदान पर जिम्बाब्वे की टीम ने एक रोमांचक मैच में भारत को हराकर 1999 वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा उलटफेर किया था। मैच से पहले क्रिकेट पंडितों को इस मैच के रिजल्ट पर कोई संदेह नहीं था , सबको पता था मैच में भारत का पलड़ा जिम्बाब्वें के परस्पर कहीं बेहतर है । लेकिन भारत के लिए यह मैच और मैचों की तरह नहीं था क्योंकि भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर टीम में नहीं थे। पिता का अकस्मात देहांत होने के कारण सचिन स्वदेश लौट गए थे। सचिन के ना खेलने से इस मैच में जिम्बाब्वे की टीम को मनोबल काफी बढ़ा हुआ था।

लेकिन उस रोज वर्ल्ड कप 1999 का सबसे रोमांचक और उलट फेर करने वाला मैच साबित हुआ था। भारत के कप्तान अजहर ने टॉस जीतकर पहले फिल्डिंग करने का फैसला किया । जिम्बाब्वें के ओपनर नील जॉनसन और ग्रांट फ्लावर ने पारी की शुरूआत करने मैदान पर उतरे थे। हमेशा की तरह जिम्बाब्वें के ओपनर एक बार फिर फेल रहे और जॉनसन केवल 7 रन बनाकर श्रीनाथ का शिकार बनें । 12 रन पर 1 विकेट के गिर जाने के बाद तीसरे बल्लेबाज के रूप में पॉल एंड्रू स्ट्रांग  बल्लेबाजी करने आए पर आगरकर ने पॉल स्ट्रेंग को 18 रन के निजी स्कोर पर बोल्ड आउट कर जिम्बाब्वें की टीम को 45 रन पर दूसरा झटका दे दिया था। जिम्बाब्वें की टीम की पारी लड़खड़ाने के कगार पर पहुंच गई थी,लेकिन जिम्बाब्वें की टीम में उस समय के सबसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज के रूप में मौजूद एंडी फ्लावर ने एक बार फिर से जिम्बाब्वें की टीम के लिए रीढ़ की हड्डी साबित हुए । अपने सगे भाई ग्रांट फ्लावर के साथ एंडी फ्लावर ने जिम्बाब्वें की पारी को संभालने का काम किया था। दोनों ने मिलकर चौथे विकेट के लिए 57 रन की पार्टनरशिप करके टीम को संकट की स्थिति से बाहर निकाले में अहम भूमिका निभाई। जब जिम्बाब्वें की टीम का स्कोर 144 रन था तब अजय जडेजा ने ग्रांट फ्लावर को विकेटकीपर नयन मोंगिया के हाथों कैच कराकर जिम्बाब्वे को चौथा झटका दे दिया था। ग्रांट फ्लावर ने संघर्षपूर्ण बल्लेबाजी करते हुए 44 रन की छोटी मगर किफायती पारी खेली।मैच में एंडी फ्लावर ने जमकर बल्लेबाजी करी और अंत तक क्रीज पर टिके रहे। उन्होंने नाबाद 68 रन की पारी खेली और अपनी टीम को 250 रन तक पहुंचाने में सबसे अहम भूमिका निभाई। 

वैसे जिम्बाब्वे के स्कोर को 250 के पार पहुंचाने में भारतीय गेंदबाजों ने भी अहम रोल निभाया था। इस मैच में भारतीय गेंदबाजों ने निराशाजनक गेंदबाजी करते हुए 51 अतिरिक्त रन दिए थे,जिसमें 21 वाइड और 16 नो बॉल शामिल थी और भारत को अपनी पारी में इसका नुकसान भी झेलना पड़ा। 21 वाइड गेंद वाइड किए जाने के कारण निर्धारित समय पर जिम्बाब्वे की पारी खत्म नहीं होने के कारण भारती पारी में 4 ओवर कम कर दिए गए थे। जिसके बाद भारत को 46 ओवर में 253 रन बनानें का लक्ष्य मिला था। 

अब बारी थी भारतीय बल्लेबाजों की , जिम्बाब्वें के कमजोर गेंदबाजी अटैक के सामने भारत के लिए 253 रनों का लक्ष्य को पाना कोई कठीन काम नहीं था। हालांकि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के पिता का अकस्मात देहांत होने के कारण तेंदुलकर अपने पिता की अंतेष्टी करने के लिए वापस मुंबई लोट चुके थे। फिर भी ऐसा कतई नहीं सोचा जा रहा था कि भारत लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा । सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और कप्तान अजहर के सस्ते में आउट होने से जिम्बाब्वें के गेंदबाजों में जोश का ईजाफा तो जरूर हुआ था पर सचिन तेंदुलकर की जगह खेल रहे रमेश उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने में लगे हुए थे। 

रमेश ने मैच में अर्धशतक ठोकते हुए टीम भारत को शुरूआती झटकों से बाहर निकालने में अहम भूमिका अदा करी । जब टीम भारत का स्कोर 27.5 ओवर में 155 रन था तभी ग्रांट फ्लावर ने अपनी स्पिन गेंद पर चकमा देते हुए रमेश को कैच कराकर आउट कर दिया था। रमेश के पवेलियन लौटने के बाद मैदान पर आए रॉबिन सिंह ने जडेजा के साथ मिलकर टीम को जीत के द्वार पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे थे। लेकिन भारत के स्कोर में केवल 19 रन ही जुड़े थे कि जडेजा 43 रन बनाकर स्ट्रीक का शिकार बने । अब भारत की आधी टीम आउट होकर पवेलियन में आराम फरमा रही थी। फिर बल्लेबाजी करने आए अजीत आगरकर और वह भी 1 रन बनाकर रन आउट हो गए ।

लगातार दो विकेट गिरने से टीम भारत पर अब संकट अपनी आहट देने लगा था। जिस वक्त आगरकर आउट हुए उस समय टीम भारत का स्कोर 33.2 ओवर में 175 रन था। भारत को अब 12 ओवर में 78 रनों की दरकार थी। अब पूरी जिम्मेदारी रॉबिन सिंह और नयन मोंगिया पर जा टिकी थी। मोंगिया ने इस जिम्मेदारी को भलीभांती समझते हुए तेजी से रन बनाना शुरू कर दिया था। 1 छक्के और 2 चौका सहित मोंगिया ने केवल 24 गेंद पर 28 रन बनाकर टीम भारत को लक्ष्य के और करीब लाकर खड़ा कर दिया । लेकिन 41वें ओवर की आखिरी गेंद पर गाई व्हिट्टल ने मोंगिया को बोल्ड कर जिम्बाब्वें को मैच में वापस ला दिया। 41 ओवर में 219 रन पर 7 विकेट आउट होने के बाद जवागल श्रीनाथ बल्लेबाजी करने उतरे थे। भारत को 30 गेंद पर 34 रन बनानें थे जबकि 3 विकेट भारत के हाथ में था। रॉबिन सिंह एक छोर से टीके हुए थे ऐसा लग रहा था कि सिंह भारत को मैच जीताकर ही वापस लौटेगें तो दूसरी तरफ श्रीनाथ मौके पर तेज बल्लेबाजी कर रहे थे। श्रीनाथ ने तो 2 गगनचुंबी छक्के जड़कर भारत की जीत सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । भारत को अंतिम बचे 2 ओवरों में केवल 9 रन की दरकार थी और श्रीनाथ और रॉबिन सिंह क्रीज पर बल्लेबाजी कर रहे थे। 

जिम्बाब्वे के कप्तान एलियेस्टर  कैम्पबेल ने गेंदबाजी में हैरतंगेज बदलाव करते हुए हेनरी ओलोंगा को अटैक पर लगाया । ओलोंगा के ओवर में कुछ ऐसा हुआ जिससे वहां मौजूद दर्शक सभी हैरान हो गए थे।  ओलोंगा ने 45वें ओवर के दूसरी गेंद पर 35 रन बनाकर खेल रहे रॉबिन सिंह को कैम्पबेल के हाथों कैच करा कर मैच में अचानक से रोमांच ला दिया था। उसी ओवर के 5वें गेंद पर ओलोंगा ने एक बेहद ही शानदार यॉर्कर गेंद पर श्रीनाथ को क्लीन बोल्ड कर मैच में खलबली सी मचा दी थी। सभी क्रिकेट प्रसंशकों की धड़कन जोर से धड़कने लगी थी और मैच में रोमांच अपने चरम पर पहुंच गया था। वेंकटेश प्रसाद भारत के आखिरी बल्लेबाजी के रूप में मैदान पर बल्लेबाजी करने उतरे थे। नॉन स्ट्राइक छोर पर अनिल कुंबले एक रन बनाकर खड़े थे। दोनों टीम के सदस्य खिलाड़ी सांस थाम के मैच के क्लाइमैक्स का इंतजार कर रहे थे। ओलोंगा ने 45 वें ओवर का आखिरी गेंद पर वेंकटेश प्रसाद को एलबीडब्लयू आउट कर अपनी टीम को जीत दिलाई थी । जिम्बाब्वें ने भारत को बेहद ही रोमांचकारी मैच में नाट्किय ढ़ंग से पटखनी दे दी थी। भारत 3 रन के मामूली अंतर से जिम्बाब्वें से हार गया था।

ग्रांट फ्लावर को शानदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया स मैच में जहां जिम्बाब्वें ने इतिहास लिखा था औऱ वहीं किसी वर्ल्ड कप मैच में दोनों टीमों के द्वारा 90 अतिरिक्त रन देने का रिकॉर्ड भी बन था। जिम्बाब्वें ने भारत को हराकर 1999 वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा उलट – फेर किया था। 

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