SPECIAL: क्रिकेट से जुड़े इन दो दिग्गजों को मिली पंजाब की सियासत की ट्रॉफी
11 मार्च,नई दिल्ली (CRICKETNMORE)। क्रिकेट औऱ राजनीति का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। लेकिन कई खिलाड़ी क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद राजनीति से जुड़े। इसमें पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू का नाम सबसे आगे हैं। काफी लंबे समय
11 मार्च,नई दिल्ली (CRICKETNMORE)। क्रिकेट औऱ राजनीति का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। लेकिन कई खिलाड़ी क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद राजनीति से जुड़े। इसमें पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू का नाम सबसे आगे हैं।
काफी लंबे समय तक बीजेपी टीम का हिस्सा रहने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हुए औऱ उसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ पार्टनरशिप करते हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में पंजाब में जीत का परचम लहराया।
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इन दोनों शख्सियतों को भारतीय क्रिकेटर से बहुत खासा नाता रहा है। जहां सिद्धू ने भारत के कई सालों तक क्रिकेट खेला। वहीं अमरिंदर सिंह उस परिवार का हिस्सा हैं जिन्होंने शुरूआती दिनो में भारतीय क्रिकेट में अपना योगदान किया।
अमरिंदर सिंह के पिता महाराजा यादवेंद्र सिंह ने साल 1934 में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एकमात्र टेस्ट मैच खेला था। इस मुकाबले की पहली पारी में उन्होंने 24 और दूसरी में 60 रन की अर्धशतकीय पारी खेली थी। इसके अलावा उनके नाम 52 फर्स्ट क्लास मैचों में 1629 रन दर्ज हैं।
अमरिंदर के दादा और महाराजा भूपिंदर सिंह भी अपने पूरे जीवन के दौरान क्रिकेट से जुड़े रहे। महाराजा भूपिंदर ने 1911 मे इंग्लैंड के दौरे पर गई भारतीय टीम की कप्तानी भी की थी। उन्होंने साल 1915 से 1937 तक 27 फर्स्ट क्लास मैच खेले। उन्होंने मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब के लिए भी क्रिकेट खेला।
कहा जाता है कि महाराजा भूपिंदर को साल 1932 में इंग्लैंड के पहले टेस्ट दौरे के लिए टीम इंडिया का सबसे पहला कप्तान चुना गया था लेकिन सेहत खराब होने के कारण वह दौरे से कुछ समय पहले टीम से बाहर हो गए थे।
महाराजा ऑफ पटियाला द्वारा साल 1893 में हिमाचल प्रदेश के चाली में एक क्रिकेट ग्राउंड बनाया गया था। यह आज भी दुनिया का सबसे ऊंचाई पर बना हुआ क्रिकेट स्टेडियम है।
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