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डीडीसीए में अनियमितता की जेपीएसी जांच हो : कांग्रेस

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर | कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि अरुण जेटली के अध्यक्ष रहते दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में हुई वित्तीय अनियमितताओं की संयुक्त संसदीय समिति (जीपीसी) से जांच करवाए जाने की मांग की। कांग्रेस ने

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डीडीसीए में अनियमितता की जेपीएसी जांच हो : कांग्रेस
डीडीसीए में अनियमितता की जेपीएसी जांच हो : कांग्रेस ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Dec 17, 2015 • 12:21 PM

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर | कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि अरुण जेटली के अध्यक्ष रहते दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में हुई वित्तीय अनियमितताओं की संयुक्त संसदीय समिति (जीपीसी) से जांच करवाए जाने की मांग की। कांग्रेस ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "कांग्रेस बदले की हास्यास्पद कार्रवाई और अरुण जेटली तथा डीडीसीए के उनके साथी अधिकारियों को वित्तीय अनियमितता बरते जाने के मामले में त्वरित जांच और कानूनी कार्रवाई से बचाने के उद्देश्य से आपसी सहमति से चल रहे नृशंस खेल की ओर देशवासियों का ध्यान आकर्षित करना चाहती है।"

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
December 17, 2015 • 12:21 PM

वक्तव्य में कहा गया है, "हम डीडीसीए के अध्यक्ष अरुण जेटली और अन्य अधिकारियों के खिलाफ व्यापक वित्तीय अनियमितता के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच करवाए जाने की मांग करते हैं।" कांग्रेस ने आगे कहा, "चूंकि दिल्ली सरकार द्वारा नाटकीय ढंग से जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग सिर्फ दिखावा भर है, क्योंकि दिल्ली सरकार के पास उप-राज्यपाल और गृह मंत्रालय की मंजूरी लिए बगैर ऐसा करने का अधिकार ही नहीं है।

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अत: प्रथम दृष्टया अरुण जेटली को बिना किसी परेशानी के अपने पद पर बने रहने का मौका मिल जाता है, क्योंकि अधिकार क्षेत्र को लेकर यह विवाद आगे भी जारी ही रहेगा।" कांग्रेस ने आगे कहा, "हम मामले की शेष जांच जेपीसी से करवाए जाने की मांग करते हैं, अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग करते हैं और अगर वह ऐसा नहीं करते तो प्रधानमंत्री को खुद उन्हें पद से हटा देना चाहिए।"

कांग्रेस ने इसके अलावा डीडीसीए में 1999 से 2013 के दौरान अध्यक्ष रहे जेटली के कार्यकाल के दौरान हुई अनेक गड़बड़ियों की सूची भी तैयार की है। वक्तव्य के अनुसार, 2002 से 2007 के बीच फिरोज शाह कोटला स्टेडियम की मरम्मत के लिए दिए अधिकांश ठेके डीडीसीए के अधिकारियों को ही दिए गए और निविदा में निर्धारित राशि से परियोजना का कुल खर्च 90 करोड़ रुपये अधिक रहा।

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