वर्ल्ड कप जिताने वाले गैरी कर्स्टन ने बताया, कैसे बने थे भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच
नई दिल्ली, 15 जून | साउथ अफ्रीका के पूर्व सलामी बल्लेबाज गैरी कर्स्टन ने बताया कि वह 2008 में कैसे भारतीय टीम के कोच बने। भारत का कोच बनने से पहले उनके पास कोई कोचिंग अनुभव नहीं था लेकिन वह
नई दिल्ली, 15 जून | साउथ अफ्रीका के पूर्व सलामी बल्लेबाज गैरी कर्स्टन ने बताया कि वह 2008 में कैसे भारतीय टीम के कोच बने। भारत का कोच बनने से पहले उनके पास कोई कोचिंग अनुभव नहीं था लेकिन वह अपनी कोचिंग में भारत को वर्ल्ड विजेता बनाने में सफल रहे।
कर्स्टन ने कहा कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने उन्हें ई-मेल के जरिए टीम का कोच बनने के बारे में पूछा था।
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कर्स्टन ने स्पोटीफाई के क्रिकेट कलेक्टिव पोडकास्ट पर कहा, "मुझे सुनील गावस्कर का ईमेल आया था। उन्होंने पूछा था कि क्या मैं भारतीय टीम का कोच बनना चाहूंगा।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगा यह मजाक है। मैंने इसका जवाब भी नहीं दिया। उन्होंने मुझे एक और मेल भेजा और कहा कि क्या आप इंटरव्यू के लिए आ सकते हो। मैंने यह अपनी पत्नी को दिखाया उन्होंने कहा कि वह कुछ गलत समझ रहे हैं। इसलिए यह काफी अजीब था। मुझे तो उस समय कोचिंग का अनुभव भी नहीं था।"
बाएं हाथ के पूर्व बल्लेबाज ने कहा, "खैर मैं इंटरव्यू के लिए पहुंच गया। यह कई मायनों में अजीब अनुभव था क्योंकि जब मैं वहां पहुंचा तो अनिल कुंबले मिल गए जो उस समय भारत की टेस्ट टीम के कप्तान थे। उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो। मैंने कहा, "मैं आपको कोचिंग देने के लिए इंटरव्यू देने के लिए आया हूं। हम दोनों हंसे। यह वाकई हंसने वाली बात है।"
कर्स्टन ने फिर इस पूरी प्रकिया के बारे में बताया और यह भी बताया कि वह इसके लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने साथ ही बताया कि उस समय समिति के सदस्य रवि शास्त्री ने किस तरह उनकी मदद की।
कर्स्टन ने कहा, "दस मिनट बाद, मैं बीसीसीआई अधिकारियों के साथ बैठक में था। वातारवरण काफी डरावना था। बोर्ड के सचिव ने मुझसे कहा- कर्स्टन आप भारतीय क्रिकेट के लिए अपने विजन को बता सकते हैं? मैंने कहा कि मेरे पास नहीं है क्योंकि किसी ने मुझसे यह तैयार करने को नहीं कहा था। मैं बस आया हूं।"
उन्होंने कहा, "शास्त्री जो उस समय समिति में थे, उन्होंने मुझसे कहा कि गैरी आप बताइए कि एक साउथ अफ्रीकी टीम के तौर पर आप भारत को हराने के लिए क्या करते थे। मुझे लगा यह अच्छी शुरुआत है क्योंकि मैं इसका जवाब दे सकता हूं, मैंने दो-तीन मिनट में इसका जवाब भी दिया, लेकिन मैंने ऐसी कोई रणनीति का जिक्र नहीं किया जिसे हम उस दिन उपयोग में ले सकते थे।"
कर्स्टन ने इसी मामले से जुड़ा एक और किस्सा सुनाया जिसमें ग्रेग चैपल का जिक्र है।
उन्होंने कहा, "शास्त्री और बोर्ड के अन्य सदस्य मुझसे काफी प्रभावित हुए। मेरा इंटरव्यू सात मिनट चला और तीन मिनट बाद बोर्ड के सचिव ने मुझे अनुबंध के कागज दिए। मैं उसे उठाया और पहला पेज देखा, मैं अपना नाम ढूंढ़ रहा था लेकिन मिला नहीं, लेकिन ग्रेग चैपल का मिला।"
उन्होंने कहा, "इसलिए मैंने वो अनुबंध वापस कर दिया और कहा कि सर मुझे लगता है कि आपने मुझे पुराने कोच के अनुबंध के कागज दे दिए हैं। उन्होंने मेरी तरफ देखा और जेब से कलम निकालते हुए चैपल का नाम हटा मेरा नाम लिख दिया और मुझे वापस दे दिया। अच्छी बात यह थी कि मुझे नहीं पता था कि मुझे कितना पैसा दिया जाएगा। लेकिन चैपल को जो पैकेज दिया जा रहा था तो मुझे लगा कि यही सही है मैं इससे खुश था।"