एक जबरदस्त कप्तान की अनोखी कहानी
1992 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड को हराकर पाकिस्तान पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बना। पाकिस्तान के वर्ल्ड चैंपियन बनने के पीछे जिस खिलाड़ी का सबसे बड़ा योगदान था
1992 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड को हराकर पाकिस्तान पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बना। पाकिस्तान के वर्ल्ड चैंपियन बनने के पीछे जिस खिलाड़ी का सबसे बड़ा योगदान था वो थे पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान। वो इमरान खान का ही विश्वास था जिसने शुरूआत से अंत तक पाकिस्तानी खिलाड़ियों का मनोबल नहीं गिरने दिया था। वर्ल्ड के शुरूआती मैचों में करारी हार मिलने के बाद पाकिस्तान ने जिस तरह से टूर्नामेंट में वापसी करी थी वह वाकई तारीफ के काबिल था। इमरान खान ने अपने शानदार नेतृत्व औऱ संघर्ष करने की बेमिशाल क्षमता के बलबूते पाकिस्तान की टीम को इतिहास लिखने के दरवाजे पर लाकर खड़ा किया था। यह वर्ल्ड कप इमरान लिए बेहद ही खास था और वह हर हाल में अपने देश को वर्ल्ड कप जीतना चाहते थे। पाकिस्तान को वर्ल्ड चैंपियन बनाने के बाद इमरान ने फिर कभी वन डे क्रिकेट नहीं खेला।
पाकिस्तान ने 1992 वर्ल्ड में अपने सफर की शुरूआत वेस्टइंडीज के खिलाफ करी थी। पाकिस्तान को 220 रन बनानें के बावजूद पाकिस्तान को हार झेलनी पड़ी थी। पहले ही मैच में इतनी बुरी तरह से हार जाने के बाद पाकिस्तान की टीम का मनोबल कमजोर पड़ता दिख रहा था । ऐसे में इमरान खान ही थे जिन्होंने पाकिस्तान के हर एक खिलाड़ी में जीत की आशा बनाए रखी । लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान की हार का सिलसिला रूक नहीं रहा था और अपने चिरप्रतिद्वंदी भारत के हाथों मिली हार से पाकिस्तानी टीम बहुत मायूस हो गई थी। इस हार के बाद ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान की टीम टूर्नामेंट में वापसी नहीं कर पाएगी । लेकिन इमरान खान का विश्वास था कि हम वर्ल्ड कप जीत सकते हैं । खिलाड़ियों ने कप्तान की बात सुनी और जी जान लगाकर आगे बढ़ते रहे ।
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इमरान खान ने महत्वपूर्ण मैचों में अपने फैसलों और ऑल राउंड परफॉर्मेंस से पाकिस्तान की जीत की आधारशिला रखी थी। कंधे की चोट से परेशान होने के बावजूद इमरान खान मैदान पर अपना 100 फीसदी देते थे। 1992 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल और फाइनल में उनके द्वारा अपनी कप्तानी में जो भी निर्णय लिए वो भी पाकिस्तान को चैम्पियन बनाने में बेहद की अहम साबित हुए ।
न्यूजीलैंड के साथ हुए पहले सेमीफाइनल मैच में जब न्यूजीलैंड की टीम ने 262 रनों का शानदार स्कोर खड़ा किया तो पाकिस्तान के लिए जीत के रास्ते कठिन हो गए थे। लेकिन अपना अंतिम वर्ल्ड कप खेल रहे पाकिस्तानी दिग्गज ने ठान लिया था कि वो पाकिस्तान को बनाकर ही दम लेगें। 30 रन के स्कोर पर अमिर सोहेल के रूप में जब पाकिस्तान का पहला विकेट गिरा तो इमरान खान जिम्मेदारी लेते हुए तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए थे। इमरान का यह निर्णय बेहद ही चौकाने वाला था। इमरान ने 44 रन की पारी खेली और अपने टीम को मैच में बनाए रखा। जिसके बाद युवा बल्लेबाज इंजमाम उल हक और जावेद मियांदाद ने शानदार साझेदारी कर पाकिस्तान को फाइनल में पहुंचाया था।
इमरान खान ने अपनी टीम के बुरे समय टीम का मनोबल गिरने नहीं दिया । समीफाइनल मैच शुरू होने से पहले इमरान खान ने अपने पूरे टीम को कहा था मैदान पर शेर की तरह खेलों ..इमरान की ऐसी ही बातों का नतीजा था कि इंजमाम उल हक ने सेमीफाइनल में जो पारी खेली वो उनके करियर का सबसे यादगार पारी बन गई था।
इंग्लैंड के साथ होने वाले फाइनल मुकाबले में इमरान खान अपने पूरे करियर के अनुभव के साथ पूरी जी- जान लगाकर मैदान पर उतरे थे। इंग्लैंड के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लेकर इमरान ने जता दिया था कि अपने करियर की अंतिम लड़ाई में हमले का बिगुल पाकिस्तान की तरफ से बजेगा । सेमीफाइनल की तरह ही फाइनल में पहला विकेट गिरने के बाद इमरान खुद बल्लेबाजी करने के लिए मैदान पर आए। 24 रन पर पाकिस्तान के दो विकेट गिरने के बाद इमरान खान ने शानदार 72 रन की पारी खेली और जावेद मियांदाद के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 31 ओवरों में कुल 139 रन की साझेदारी करी थी।
वर्ल्ड कप 1992 के वर्ल्ड कप में अपनी गेंदबाजी से करिश्मा करने वाले वसीम अकरम के लिए इमरान खान पूरे टूर्नामेंट में मेंटोर की तरह थे। इमरान खान ने वर्ल्ड कप मैचों के दौरान वसीम अकरम को कहा था कि “जितना तेज गेंदबाजी कर सकते हो करों नो बॉल और वाइड की चिंता करना छोड़ दो” ।। अकरम के ऊपर इमरान खान के इस बात का इतना बेहतरीन प्रभाव पड़ा कि यह युवा गेंदबाज 1992 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज के रूप में उभरा था।
इमरान खान ने इंग्लैंड के बचे आखिरी बल्लेबाज रिचर्ड कैथ इल्लिंगवर्थ को रमीज राजा के हाथों कैच कराकर पाकिस्तान को पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनाया था। ऐसी शानदार विदाई क्रिकेट जगत ने कभी नहीं देखी थी।