साउथ अफ्रीका के खिलाफ बैड लक तोड़ने से फिर चूका था भारत
वर्ल्ड कप के इतिहास में एक रिकॉर्ड है कि भारत का चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान उसे कभी भी वर्ल्ड कप में नहीं हरा पाया है। लेकिन ऐसा कुछ भारतीय टीम के साथ भी है।
वर्ल्ड कप के इतिहास में एक रिकॉर्ड है कि भारत का चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान उसे कभी भी वर्ल्ड कप में नहीं हरा पाया है। लेकिन ऐसा कुछ भारतीय टीम के साथ भी है। भारत आजतक वर्ल्ड कप में भी साउथ अफ्रीका को नहीं हरा पाया। 1992 में अपना पहला वर्ल्ड कप खेलने वाली साउथ अफ्रीका की टीम ने 2011 वर्ल्ड कप को मिलाकर भारत के खिलाफ वर्ल्ड कप में 3 मैच खेले हैं और तीनों में ही जीत हासिल की। 2011 वर्ल्ड कप में भारत के विजय रथ को रोकने का काम भी साउथ अफ्रीका ने किया था। रोमांचक मुकाबले में भारत को ही में मात देकर अफ्रीका ने अपने ग्रुप में टॉप किया था।
2011 वर्ल्ड कप में जब भारत की टीम साउथ अफ्रीका के खिलाफ नागपुर के मैदान पर उतरी तो धोनी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया जिसे एक बार फिर विस्फोटक बल्लेबाज सहवाग और सचिन तेंदुलकर ने सही साबित किया। अफ्रीकन गेंदबाजों पर शुरूआत से ही प्रहार कर तेंदलकर औऱ सहवाग ने साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों के साथ – साथ अफ्रीकन कप्तान ग्रिम स्मिथ को चकरा दिया। सहवाग ने केवल 66 गेंद पर 73 रन बनाकर भारत को तेज शुरूआत दी।
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लेकिन मैच में मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर ने शानदार शतक लगाकर भारतीय प्रशंसकों का दिल जीता। सचिन ने पहले सहवाग के साथ पहले विकेट के लिए 142 रन की पार्टनरशिप करी तो दूसरे विकेट के लिए गंभीर के साथ 125 रन की एक और शानदार पार्टनरशिप कर भारत को शानदार शुरूआत दी।
जब मैच अपने दूसरे पड़ाव पर पहुंचा तो जैसे भारत की पारी किसी परस्पर ढलान पर लुढ़क गई। तेंदुलकर और गंभीर के आउट होते ही अफ्रीकन गेंदबाजों की गेंदे अचानक से भारतीय बल्लेबाजों को परेशान करने लगी। डेल स्टेन ने अपनी गेंदबाजी का जलवा दिखाया औऱ 5 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाकर भारत का बड़ा स्कोर बनानें की चाह पर पानी फेर दिया। एक समय जहां भारत का स्कोर 2 विकेट पर 267 था वहीं 49 गेंद के बाद 296 रन पूरी भारतीय टीम सिमट गई थी । भारत 49 गेंद पर सिर्फ 29 रन बना सका और अपने 8 विकेट खो दिए।
साउथ अफ्रीका के लिए अब 50 ओवरो में 297 रन की चुनौती थी। हाशिम आमला और कप्तान स्मिथ पहले विकेट के लिए 41 रन जोड़कर स्मिथ जहीर खान का शिकार बने। पहला विकेट जल्द गिर जाने के बाद अफ्रीका के ऊपर दबाव बढने लगा था। लेकिन आमला और जैक कैलिस ने खूबसूरत ढ़ंग से बल्लेबाजी कर भारत के कप्तान धोनी की हर एक चाल को नासाज कर दिया।
दूसरे विकेट के लिए 88 रन की पार्टनरशिप कर आमला (61) को हरभजन सिंह ने आउट कर दिया लेकिन अफ्रीकी बल्लेबाजी क्रम में एक से एक धुरंधर बल्लेबाज होने के कारण साउथ अफ्रीका मैच में भारत से आगे नजर आ रहा था। एबी डि विलियर्स ने भी कैलिस का शानदार साथ दिया। 173 रन के स्कोर पर कैलिस (69) दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से रन आउट होकर पवेलियन की ओर चलते बने। मैच अब 50/50 के समीकरण पर आ लटका था।
ऐसे में साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों ने बेहद ही आत्मविश्वास के साथ मैच को आगे ले गए। एबी डि विलियर्स ने 52 रन बनाकर टीम को भारत के स्कोर के करीब ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 223 रन पर डि विलियर्स को हरभजन सिंह ने आउट कर मैच में जान फूंक दी थी । लेकिन भारत के गेंदबाजों ने सही समय पर विकेट नहीं ले पाने के कारण साउथ – अफ्रीका लक्ष्य के करीब बढ़ता चला गया।
अंतिम ओवर में साउथ अफ्रीका की टीम को 13 रन चाहिए थे और साउथ अफ्रीका के पास 3 विकेट थे। साउथ अफ्रीका के लिए चोकर्स के टैग से बाहर निकलने के लिए मैच जीतना बेहद ही अहम था। अंतिम ओवर कराने को लेकर धोनी के माथे पर चिंता की रेखाएं साफ झलक रही थी। हरभजन सिंह जो मैच में बेहद ही सफल गेंदबाज थे उनको गेंद ना थमाकर धोनी ने तेज गेंदबाज आशीष नेहरा से गेंदबाजी कराना उचित समझा और उनका यह फैसला गलत साबित हुआ।
आशीष नेहरा की पहली गेंद पर पीटरसन ने फाइन लेग पर चौका जड़ मैच को अफ्रीका के लिए जीत के मुहाने पर ला दिया। अगली गेंद पर पीटरसन ने छक्का लगाकर मैच को खत्म करने की पहल शुरू कर दी। 49. 4 ओवर में साउथ अफ्रीका ने 300 रन बनाकर मैच जीत लिया और भारत को 3 विकेट से हार का सामना करना पड़ा।
“मैच के बाद धोनी ने अचानक से बल्लेबाजों के पतन पर लताड़ते हुए कहा था कि हम क्रिकेट दर्शकों के लिए नहीं अपने देश के लिए खेलते हैं तो हमें दर्शकों के बहकावे में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाने चाहिए।“
भारत के डेथ ओवरों में डेल स्टेन की घातक गेंदबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था। इस तरह साउथ अफ्रीका ने वर्ल्ड कप में भारत से नहीं हारने के रिकॉर्ड को बरकरार रखा था। हालांकि 2011 वर्ल्ड कप में भी साउथ अफ्रीका क्वार्टर फाइनल में न्यूजीलैंड से हारकर “चोकर्स” के टैग के साथ वर्ल्ड कप से बाहर हो गया था।
विशाल भगत (Cricketnmore)