मौत को छूकर वापस आया आयरिश क्रिकेटर, डॉक्टर ने भी कह दिया था, दोबारा नहीं खेल पाएगा क्रिकेट
पिछले कुछ सालों में फैंस को क्रिकेटर्स की कई प्रेरक कहानियां देखने को मिली हैं। युवराज सिंह से लेकर मार्टिन गप्टिल तक कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने काफी संघर्ष करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी...
पिछले कुछ सालों में फैंस को क्रिकेटर्स की कई प्रेरक कहानियां देखने को मिली हैं। युवराज सिंह से लेकर मार्टिन गप्टिल तक कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने काफी संघर्ष करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी है। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं जो आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप में खेल रही आयरलैंड की टीम से जुड़ी हुई है।
ये एक मोटिवेशनल कहानी है जो आयरलैंड के ऑलराउंडर शेन गेटकेट की है। इस ऑलराउंडर को 2011 में कार्डियक अरेस्ट हुआ था और ऐसा लग रहा था कि वो अब नहीं बच पाएंगे। यहां तक कि डॉक्टर्स ने भी कह दिया था कि वो 99.99% दोबारा क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे। गेटकेट को आठ या नौ साल की उम्र में वोल्फ-पार्किंसंस-व्हाइट - गर्मी से संबंधित बीमारी थी। इस बीमारी ने गेटकेट के लिए कई मौकों पर समस्याएं पैदा की, जिसके चलते 2011 में एक मैच के दौरान लगभग उनकी जान चली गई थी।
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आयरलैंड के 19 वर्षीय ऑलराउंडर उस समय चेशायर के खिलाफ वारविकशायर के लिए अंडर-19 का मैच खेल रहे थे। वो स्पेल डालने के बाद अपने कोच के पास बैठ गया और अचानक से बेहोश होकर गिर गया। यहां तक कि वो कुछ दिनों के लिए कोमा में भी चला गया था। उस खराब दिन को याद करते हुए गेटकेट ने खुलासा किया है कि अगर मेडिकल टीम समय पर नहीं पहुंची होती, तो वो बच नहीं पाता।
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गेटकेट ने बीबीसी को बताया, "मेरे पूरे जीवन में वोल्फ-पार्किंसंस-व्हाइट सिंड्रोम रहा है, लेकिन उस दिन तक ये कोई मुद्दा नहीं था। उस दिन गर्मी थी। मैंने अपना स्पेल डाला, कोच के बगल में बैठ गया और मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। अगले ही मिनट मैं बेहोश होकर गिर गया था। पैरामेडिक्स हेलीकॉप्टर में आए। उन्होंने मुझ पर दो बार डिफाइब्रिलेटर का इस्तेमाल किया। मैं दो दिनों से कोमा में था। मैं भाग्यशाली हूं कि पैरामेडिक्स मुझे इतनी जल्दी मिल गए, ”वो कहते हैं। अगर वो 5 या 10 मिनट बाद पहुंचे होते, तो मैं यहां नहीं होता।"