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सुनील गावस्कर की उस पारी पारी ने सबको हैरान कर दिया

सुनील मनोहर गावस्कर का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरों अक्षरों में लिखा जाता है ।

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Sunil Gavaskar inning of 36 in world cup
Sunil Gavaskar inning of 36 in world cup ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Jan 10, 2015 • 12:05 AM

सुनील मनोहर गावस्कर का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरों अक्षरों में लिखा जाता है । भारतीय क्रिकेट में सलामी  बल्लेबाज के तौर पर इस दिग्गज ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं । अपने करियर में कई बड़ी पारी खेलने वाले सुनील गावस्कर ने एक ऐसी पारी भी खेली थी जिसे कोई भी खिलाड़ी याद नहीं रखना चाहेगा । सन् 1975 वर्ल्ड कप (प्रडेंशियल कप) के इंडिया और मेजबान इंग्लैंड के बीच खेले गए पहले मैच में सुनील गावस्कर ने एकदिवसीय इतिहास की बेहद धीमी पारियों में से एक पारी खेली जिसने क्रिकेट जगत को हक्का - बक्का कर दिया । उन्हें इस पारी के बाद बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ा । सुनील गावस्कर ने अपनी आत्मकथा “सनी डेज” में यह कबूला है कि वह पारी उनके क्रिकेट करियर का सबसे घटिया पारी थी। इसमे गावस्कर ने ये भी लिखा है कि बैटिंग करते वक्त वो चाह रहे थे कि विकेट को छोड़ दे ताकि बोल्ड हो सके और मैदान से बाहर आ जाएं। 

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
January 10, 2015 • 12:05 AM

7 जून 1975 को लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 60 ओवरों में 4 विकेट खोकर 334 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था जिसमें इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज डेनिस एमिस ने 137 रन की बेहतरीन पारी खेली थी जिसमें 18 चौके शामिल थे । उनके अलावा कैथ फ्लैचर औऱ क्रिस ओल्ड ने भी शानदार हाफ सेंचुरी बनाई थी। 

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लक्ष्य का पीछा करने आई भारतीय टीम ने ये कभी नहीं सोचा होगा कि उसके दिग्गज बल्लेबाज जिस पर पूरी टीम को भरोसा है उस दिन कुछ ऐसा कर जाएगें कि वह पारी हमेशा के लिए गावस्कर के रिकॉर्ड में काले अक्षरों में दर्ज हो जाएगी । पारी की शुरूआत करने उतरे सुनील गावस्कर अंत तक आउट नहीं हुए फिर भी वह कोई बड़ा स्कोर नहीं कर पाए उन्होंने 174 गेदों में केवल 36 रन ही बनाए। अपनी इस बेहद धीमी पारी में उन्होंने केवल एक ही चौका मारा था। इंडिया की टीम ने  इस मैच में 3 विकेट खोकर केवल 132 रन के स्कोर तक ही पहुंच पाई थी जिससे मेजबान इंग्लैंड ने 202 रन के भारी अंतर से मैच जीत लिया था । 

सुनील गवासकर के इस पारी को क्रिकेट पंडितों ने आड़े हाथों लेते हुए खुब आलोचना की थी । इंग्लैंड के डैनिस कॉप्टन ने गावस्कर की आलोचना करते हुए कहा था कि गावस्कर की अप्रोच बिल्कुल ही जिम्मेदारी भरी नहीं थी । 

उस मैच में खेल रहे गावस्कर के साथी खिलाड़ी अंशुमन गायकवाड़ मैच में टीम के माहौल को याद करते हुए कहते है कि “पूरी टीम के खिलाड़ियों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था , सभी हैरानी में थे कि गावस्कर जैसा दिग्गज बल्लेलबाज ऐसी बल्लेबाजी कैसे कर सकता है ।“

मैच में कप्तान रहे एस . वेंकटराघवन ने भी गावस्कर को कोई इंस्ट्क्शन नहीं पहुंचाई गई थी, ड्रेसिंग रूम का माहौल भी हैरान करने वाला रहा था । गायकवाड़ ने कहा कि “ जिस पल मैं गावस्कर के साथ बल्लेबाजी कर रहा था तो हम कोई भी बात आपस में नहीं कर रहे थे । मैं उस समय बहुत जूनियर था जिससे मैं गवासकर से आगे बढ़कर इस पर कुछ भी नहीं बोल सकता था। मैदान से बाहर आने के बाद भी गावस्कर ने किसी से भी कोई बात नहीं की थी” । 

उस समय टीम के मैनेजर रहे जी.एस रामचंद्र ने गवासकर के धीमी बल्लेबाजी करने के कारण उनकी शिकायत भारतीय क्रिकेट बोर्डसे भी की थी। रामचंद्र ने अपनी शिकायत मे कहा था कि गवासकर के इस रवैये से न सिर्फ टीम का मनोबल नीचे गिरा बल्कि इससे युवा खिलाड़ियों के मनोदशा पर भी प्रभाव पड़ेगा । 

कहा जाता है कि गावस्कर ने यह पारी वन डे क्रिकेट के विरोध में खेली थी। उन्हें वन डे क्रिकेट पसंद नहीं था। इस चीज का इस चीज से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेस्ट क्रिकेट में 34 शतक मारने वाले गावस्कर के नाम वन डे क्रिकेट में केवल एक ही शतक दर्ज था जो उन्होंने 1987 के वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाया था।  

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