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आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन को दिए तीन विकल्प

सुप्रीम कोर्ट ने आज आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुनवाई करते हुए श्रीनिवासन के वकील को इस मामले में आगे बढ़ने के लिए तीन विकल्‍पों का सुझाव दिया है। श्रीनिवासन के वकील कपिल सिब्‍बल को कोर्ट ने ये विकल्‍प दिए।

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Supreme court of India
Supreme court of India ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Jan 23, 2015 • 08:16 AM

नई दिल्‍ली,09 दिसम्बर (हि.स.) । सुप्रीम कोर्ट ने आज आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुनवाई करते हुए श्रीनिवासन के वकील को इस मामले में आगे बढ़ने के लिए तीन विकल्‍पों का सुझाव दिया है। श्रीनिवासन के वकील कपिल सिब्‍बल को कोर्ट ने ये विकल्‍प दिए। पहले विकल्‍प के तौर पर बीसीसीआई का चुनाव बिना श्रीनिवासन के किया जाए और इस मामले में निर्णय करने के लिए बीसीसीआई की नई बॉडी का गठन किया जाए। दूसरे विकल्‍प के तौर पर, बीसीसीआई गवर्निंग काउंसिल की एक बॉडी का गठन किया जाए और वही इस मुद्दे पर कार्रवाई तय करे। वहीं, तीसरे विकल्‍प के तौर पर पूर्व जजों की एक कमेटी का गठन किया जाए जो आसन्‍न बीसीसीआई चुनावों और इस मामले से संबंधित निर्णय ले, साथ ही श्रीनिवासन से कहा कि गुरुनाथ मयप्‍पन के खिलाफ शीघ्रता से कार्रवाई करने की आवश्‍यकता है।

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
January 23, 2015 • 08:16 AM

गौर हो कि स्पॉट फिक्सिंग मामले में जस्टिस मुकुल मुद्गल की जांच रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बीसीसीआई से कहा था कि क्रिकेट की पवित्रता को बरकरार रखा जाना चाहिए और इसके कामकाज को देखने वाले शीर्ष अधिकारियों को संदेह से परे होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से निर्वासित एन श्रीनिवासन से आज कहा कि उनकी यह दलील स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि चेन्नई सुपर किंग्स का मालिक होना और बोर्ड का मुखिया होने के बावजूद हितों का कोई टकराव नहीं था। कोर्ट ने इसके साथ ही श्रीनिवासन से कुछ तीखे सवाल भी किए।

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न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि हितों का टकराव तो पूर्वाग्रह के समान है और हो सकता है कि वास्तविक पूर्वाग्रह नहीं हो लेकिन पूर्वाग्रह की संभावना होना भी महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि क्रिकेट की पवित्रता बनाये रखनी है और इसके मामलों की देखरेख करने वाले सभी व्यक्तियों को संदेह से परे होना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा, सभी परिस्थितियों पर गौर करते समय आपकी यह दलील स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि इसमें हितों का टकराव नहीं था। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चार बिन्दु है जिनसे हितों के टकराव का मुद्दा उठता है क्योंकि श्रीनिवासन इंडिया सीमेन्ट्स के प्रबंध निदेशक हैं, इंडिया सीमेन्ट्स चेन्नई सुपर किंग्स की मालिक है और इसका एक अधिकारी सट्टेबाजी में शामिल है जबकि वह खुद बीसीसीआई के मुखिया हैं। न्यायाधीशों ने श्रीनिवासन की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आपके इस तर्क को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि इसमें कोई हितों का टकराव नहीं था। सिब्बल का कहना था कि मौजूदा समय में सभी गतिविधियों में हितों का टकराव नजर आता है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि हाकी फेडरेशन और फीफा में इसकी अनुमति है।

कोर्ट ने सुझाव दिया कि चुनाव के बाद गठित होने वाले बोर्ड को न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने जानना चाहा कि किसे बीसीसीआई का चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यदि हम उसे इसका फैसला करने की अनुमति दें तो बीसीसीआई को हर तरह के कलंक से मुक्त होना चाहिए। कोर्ट ने सवाल किया कि किसे चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए? क्या रिपोर्ट में दोषी ठहराये गये व्यक्ति को चुनाव लडने की अनुमति दी जा सकती है? कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट के निष्कषरे के आधार पर कार्रवाई करने के लिये क्रिकेट का प्रशासक सभी आरोपों और संदेह से परे होना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/गोविन्द

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