मनु भाकर का गुस्सा अपनी जगह, पर कहां आसान रहा है क्रिकेटरों के लिए खेल रत्न अवार्ड?
Manu Bhaker: इस बार चर्चा शुरू करते हैं एक गैर क्रिकेट खबर से। पिछले ओलंपिक में डबल मैडल विनर मनु भाकर को भारत सरकार के खेल रत्न अवार्ड के लिए पहली लिस्ट में नॉमिनेट न किए जाना बड़ी चर्चा में
Manu Bhaker: इस बार चर्चा शुरू करते हैं एक गैर क्रिकेट खबर से। पिछले ओलंपिक में डबल मैडल विनर मनु भाकर को भारत सरकार के खेल रत्न अवार्ड के लिए पहली लिस्ट में नॉमिनेट न किए जाना बड़ी चर्चा में है इन दिनों। ऐसा नहीं कि ओलंपिक के बाद उनके लिए अवार्ड, सम्मान और नकद इनाम में कोई कमी रही, तब भी अपनी निराशा जाहिर करने के लिए मनु ने मीडिया का सहारा लिया। उस पर उनके पिता राम किशन ने तो गुस्से में यहां तक कह दिया कि अगर उन्होंने उसे क्रिकेटर बनाया होता तो जरूर अवार्ड के लिए उसका नाम लिस्ट में होता- 'मुझे उसे शूटिंग में डालने का अफसोस है। उसे क्रिकेटर बनाना चाहिए था। तब, सभी अवार्ड और सम्मान उसे मिलते।'
इस स्टेटमेंट ने इस खबर को क्रिकेट से जोड़ दिया। तो क्या क्रिकेटरों को आसानी से मिलता रहा है भारत सरकार का राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड? काश उन्होंने ऐसा स्टेटमेंट देने से पहले थोड़ा रिसर्च किया होता। कुछ फैक्ट नोट कीजिए :
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* इस अवार्ड के लिए गाइडलाइन के अनुसार, अवार्ड के दावेदार को पॉइंट मिलते हैं (दावेदारी में इनका वजन : 80 प्रतिशत) पर चूंकि क्रिकेट में कोई ओलंपिक, एशियाई या कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे मैडल नहीं मिलते इसलिए क्रिकेटर 0 पॉइंट पर होते हैं हर साल और सिर्फ सरकार की अवार्ड कमेटी का वोट (दावेदारी में इनका वजन : 20 प्रतिशत), क्रिकेटर को ये अवार्ड दिला सकता है।
* अब तक राहुल द्रविड़ (3 बार नॉमिनेट होने के बावजूद) जैसे क्रिकेटर को ये अवार्ड नहीं मिला है। क्या द्रविड़ ने इस पर कोई निराशा जाहिर की?
* जिन अन्य बड़े खिलाड़ियों को अब तक ये अवार्ड नहीं मिला है उनमें सौरव गांगुली, अनिल कुंबले और टेनिस ग्रैंड स्लैम विजेता महेश भूपति भी हैं।
ख़ास तौर पर राहुल द्रविड़ के केस की चर्चा करते हैं क्योंकि ये उनकी हर दावे में 0 पॉइंट से शुरुआत का मामला नहीं है- और भी बहुत कुछ ऐसा है जो हैरान कर देगा। उनका एक बल्लेबाज और कप्तान के तौर पर योगदान किसी से छिपा नहीं पर वे 'खेल रत्न' न बन पाए।
1997-98 : पहली बार किसी क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को खेल रत्न अवार्ड मिला।
2005 के लिए : तब टीम इंडिया के कप्तान थे राहुल द्रविड़, खेल रत्न के लिए पहली बार नॉमिनेट हुए पर अवार्ड मिल गया बिलियर्ड्स खिलाड़ी पंकज आडवाणी को। उस साल युवराज सिंह अर्जुन अवार्ड के लिए नॉमिनेट हुए थे- उन्हें भी ये अवार्ड न मिला।
2006 के लिए : बीसीसीआई ने फिर से राहुल द्रविड़ को खेल रत्न और युवराज को अर्जुन अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया। न युवराज (लगातार दूसरे साल किसी भी पुरुष क्रिकेटर को ये अवार्ड नहीं मिला) को और न द्रविड़ को अवार्ड मिले। दोनों लगातार दो साल रिजेक्ट हुए। इस बार विश्व चैंपियन ट्रैप शूटर मानवजीत सिंह संधू को खेल रत्न दे दिया।
मजेदार बात ये कि 14 सदस्य के जिस पैनल ने अवार्ड विनर चुने उसके चेयरमैन कपिल देव थे और राहुल द्रविड़ की उपलब्धियों को, पैनल को उनसे बेहतर और कौन बता सकता था?
2007 के लिए : एमएस धोनी को खेल रत्न अवार्ड मिला।
2011 के लिए : कई साल चुप रहने के बाद, बीसीसीआई ने 2012 में फिर से राहुल द्रविड़ को नॉमिनेट किया- तब तक वे इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायर हो चुके थे। एक बार फिर से युवराज सिंह अर्जुन अवार्ड के लिए नॉमिनेट हुए और अब तक तो वे वनडे वर्ल्ड कप जीत के हीरो भी बन चुके थे। द्रविड़ को अवार्ड नहीं मिला।
उस साल की स्टोरी बड़ी मजेदार है। स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री ने हर खेल की एसोसिएशन को हर अवार्ड के लिए खिलाड़ी नॉमिनेट करने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल 2012 दी। गैर प्रोफेशनल अंदाज में काम करने वाले बीसीसीआई ने इस तारीख को नजरअंदाज कर दिया और किसी भी अवार्ड के लिए कोई नाम न भेजा। पता नहीं क्यों, स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री ने आखिरी तारीख बढ़ाकर 20 जुलाई कर दी। तब बीसीसीआई की नींद खुली। बोर्ड ने कहा- उन्हें पिछली तारीख के बारे में कोई खबर नहीं मिली थी। यहां द्रविड़ को अब तक खेल रत्न अवार्ड न मिलने का मामला फिर से उछला और स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री के एक ऑफिशियल ने तो, अनऑफिशियल तौर पर इसके लिए बीसीसीआई को जिम्मेदार ठहरा दिया और साफ़ कहा कि बीसीसीआई ने उनके नाम को ठीक तरह से प्रपोज नहीं किया- उनकी उपलब्धियों को ठीक हाईलाइट नहीं किया।
बीसीसीआई का जवाब था- क्या आप हमसे पैरवी की उम्मीद करते हैं? इस दिग्गज खिलाड़ी के बारे में हम क्या जानकारी देते, उन्हें तो सब जानते हैं। ये स्टेटमेंट बीसीसीआई प्रेसिडेंट एन श्रीनिवासन ने दी थी। इस विवाद के चलते राहुल द्रविड़ एक बार फिर से खेल रत्न अवार्ड के दावेदार बन तो गए, तब भी उन्हें ये अवार्ड न मिला। ये मिल गया ओलंपिक मैडल विनर शूटर विजय कुमार और पहलवान योगेश्वर दत्त को। दूसरे खेलों के ऑफिशियल ने भी माना कि विजय और योगेश्वर इंतजार कर सकते थे और ये द्रविड़ को अवार्ड देने का बिलकुल सही समय था।
और मजेदार बात जो बीसीसीआई की तरफ से कभी नहीं बताई गई, वह ये कि अवार्ड कमेटी के अकेले क्रिकेटर सदस्य रवि शास्त्री उस मीटिंग से गैरहाजिर थे जिसमें अवार्ड लिस्ट फाइनल हुई। वहां क्रिकेटरों पर बोलने वाला ही कोई नहीं था।रवि शास्त्री ने कहा- उन्हें मीटिंग के लिए कोई खबर नहीं मिली।
अब बीसीसीआई ने पद्म भूषण के लिए राहुल द्रविड़ और गौतम गंभीर को पद्मश्री के लिए नॉमिनेट किया। जो राहुल द्रविड़ खेल रत्न से चूक गए, अब पद्म भूषण (देश का तीसरा सबसे बड़ा सिविल अवार्ड) के लिए नॉमिनेट हुए। राहुल द्रविड़ इस सब से बिलकुल अनजान थे। बहरहाल उन्हें पद्म भूषण अवार्ड मिला।
2013 के लिए : राहुल द्रविड़ को लेकर बीसीसीआई की इतनी बदनामी हुई कि किसी भी क्रिकेटर को, किसी भी अवार्ड के लिए नॉमिनेट नहीं किया।
2016 के लिए : विराट कोहली को खेल रत्न के लिए नॉमिनेट किया पर उन्हें अवार्ड न मिला। तब रियो ओलंपिक स्टार पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, जीतू राय और दीपा करमाकर को अवार्ड मिला।
2018 के लिए : विराट कोहली को खेल रत्न अवार्ड मिला। जैसे ही ये घोषणा हुई, अवार्ड न मिलने पर पहलवान बजरंग पुनिया ने सरकार के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की धमकी दे दी। उनका दावा था कि सबसे ज्यादा पॉइंट के बावजूद, उन्हें अवार्ड नहीं दिया और 0 पॉइंट वाले विराट कोहली को अवार्ड दे दिया (उस साल वेटलिफ्टर मीराबाई चानू भी विनर थीं)। मजे की बात ये कि पॉइंट लीक हो गए और विराट एवं चानू के पॉइंट अन्य दावेदारों पुनिया, विनेश फोगाट, दीपा मलिक, मनिका बत्रा, अभिषेक वर्मा और विकास कृष्णन से कम थे।
2020 के लिए : रोहित शर्मा को खेल रत्न अवार्ड मिला।
2021 के लिए : मिताली राज को खेल रत्न अवार्ड मिला।
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नहीं आसान रहा क्रिकेटरों के लिए खेल रत्न अवार्ड।
-चरनपाल सिंह सोबती