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याद नहीं हमने आखिरी बार कब ठीक से खाना खाया था लेकिन ये लड़ाई कहीं ज्यादा जरूरी : साक्षी मलिक (शुक्रवार साक्षात्कार)

बिगुल बज चुका है, अब समय आ गया है कि महायुद्ध की तैयारी की जाए। तख्तियां लेकर कई जूनियर पहलवान-लड़कियां और लड़के- पिछले दो दिनों से अपने आइकन के समर्थन में यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जैसे-जैसे दिन बढ़ता जा रहा है, लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है।

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IANS News
By IANS News January 20, 2023 • 16:02 PM
याद नहीं हमने आखिरी बार कब ठीक से खाना खाया था लेकिन ये लड़ाई कहीं ज्यादा जरूरी : साक्षी मलिक (शुक्र
याद नहीं हमने आखिरी बार कब ठीक से खाना खाया था लेकिन ये लड़ाई कहीं ज्यादा जरूरी : साक्षी मलिक (शुक्र (Image Source: IANS)

बिगुल बज चुका है, अब समय आ गया है कि महायुद्ध की तैयारी की जाए। तख्तियां लेकर कई जूनियर पहलवान-लड़कियां और लड़के- पिछले दो दिनों से अपने आइकन के समर्थन में यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जैसे-जैसे दिन बढ़ता जा रहा है, लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है।

देश के शीर्ष पहलवानों और डब्ल्यूएफआई के बीच यह लड़ाई कब तक जारी रहेगी यह कोई नहीं जानता है, लेकिन प्रत्येक बीतता दिन आगामी प्रमुख प्रतियोगिताओं - विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए भारत की तैयारियों में बाधा बन रहा है।

कुश्ती पंडितों के अनुसार, इससे पहले कि यह हाथ से निकल जाए, सरकार को इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझा लेना चाहिए!

ओलंपियन विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया सहित 30 से अधिक पहलवान अपने महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर सार्वजनिक रूप से यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद उनके खिलाफ सड़कों पर हल्लाबोल कर रहे हैं।

उन्होंने बुधवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जो शुक्रवार को तीसरे दिन में प्रवेश कर गया, और कोई नहीं जानता कि यह कब तक चलेगा! लेकिन पहलवानों के अनुसार, जब तक उनकी मांग मानी नहीं जाती है, तब तक वह विरोध जताते रहेंगे।

सरकारी अधिकारियों और पहलवानों के बीच रोजाना बातचीत हो रही है लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। पहलवानों ने गुरुवार देर रात खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से भी मुलाकात की थी, हालांकि उस बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला।

आईएएनएस ने रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक से उनका अगला कदम जानने की कोशिश की। इस बीच, हरियाणा की पहलवान ने उन बुनियादी मुद्दों को भी साझा किया, जिनका विरोध करने वाले पहलवान सामना कर रहे हैं।

साक्षात्कार अंश:

प्रश्न: यह भारतीय पहलवानों के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफायर हैं और उसके बाद एशियाई खेल भी हैं। यह आपको मानसिक और शारीरिक रूप से कितना प्रभावित कर रहा है क्योंकि प्रत्येक बीतता दिन महत्वपूर्ण है?

उत्तर: आप पहले से ही प्रभाव देख रहे हैं। आज तीसरा दिन है और हम मानसिक या शारीरिक रूप से कितने परेशान हैं। हम लगभग 4 बजे सोए और फिर जल्दी उठ गए। हमारे पास उचित नींद या भोजन नहीं है। मुझे याद नहीं कि आखिरी बार कब हमने ठीक से खाना खाया था। लेकिन ये फाइट रेसलिंग के लिए अहम है। हमारा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से अनुरोध है कि हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करें, ताकि हम आगामी टूर्नामेंटों के लिए अपना प्रशिक्षण शुरू कर सकें और देश के लिए पदक जीत सकें।

प्रश्न: आप सभी शीर्ष पहलवान हैं जिन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भारत को गौरवान्वित किया है, लेकिन अब आप सड़कों पर आने और न्याय के लिए विरोध करने को मजबूर हैं। एक एथलीट के रूप में यह कितना निराशाजनक लगता है।

उत्तर: यह वास्तव में दुखद है कि जाने-माने पहलवान यहां सड़क पर बैठे हैं, अपना प्रशिक्षण छोड़ कर अपने करियर को दांव पर लगा रहे हैं। आज तीसरा दिन है कि हम एक ऐसे मामले के लिए धरने पर बैठे हैं, जिसे एक बार संवाद करके ही सुलझाया जाना चाहिए।

प्रश्न: आप डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को बर्खास्त करने और महासंघ को भंग करने की मांग कर रहे हैं। इसके बारे में आपको और क्या कहना है?

उत्तर: हम सभी चाहते हैं कि इस फेडरेशन को भंग किया जाए और एक नया फेडरेशन बनाया जाए जिसमें कुश्ती जानने वाले लोगों को शामिल किया जाए। महासंघ में जितने भी लोग हैं उन्हें कुश्ती का कोई ज्ञान नहीं है। वे अपनी मर्जी से नियम बनाते थे और अपनी मर्जी से तोड़ते हैं। हम अब किसी से नहीं डरते हैं हम खेल की रक्षा के लिए डब्ल्यूएफआई का विरोध कर रहे हैं। हमें हर जगह से समर्थन मिल रहा है। कई महिला पहलवान हमारा समर्थन कर रही हैं।

प्रश्न: महासंघ और उसके अध्यक्ष के खिलाफ यह लड़ाई भारत में युवा महिला पहलवानों की मदद करने वाली कैसे है?

उत्तर: अगर हम इस लड़ाई को जीतते हैं तो सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि पूरे कुश्ती खेल को फायदा होने वाला है और भारतीय कुश्ती नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी। अगर यह लड़ाई हमारे पक्ष में खत्म होती है तो नौजवान हमारी तरह दबेंगे नहीं।

प्रश्न: आप सभी ने गुरुवार रात खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की। आपकी मीटिंग कैसी थी? क्या उन्होंने कोई आश्वासन दिया?

उत्तर: अगर हम इस लड़ाई को जीतते हैं तो सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि पूरे कुश्ती खेल को फायदा होने वाला है और भारतीय कुश्ती नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी। अगर यह लड़ाई हमारे पक्ष में खत्म होती है तो नौजवान हमारी तरह दबेंगे नहीं।

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This story has not been edited by Cricketnmore staff and is auto-generated from a syndicated feed


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