कर्णम मल्लेश्वरी: डोप से प्रदर्शन नहीं बढ़ता, इससे करियर तबाह होता है
Women's Olympic Medalist Karnam Malleswari: भारतीय खेल इतिहास की पहली महिला ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी Karnam Malleswari ने गुरूवार को जोर देते हुए कहा कि एथलीटों और कोचों में डोपिंग रोधी शिक्षा फैलाने की...
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Women's Olympic Medalist Karnam Malleswari: भारतीय खेल इतिहास की पहली महिला ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी Karnam Malleswari ने गुरूवार को जोर देते हुए कहा कि एथलीटों और कोचों में डोपिंग रोधी शिक्षा फैलाने की जरूरत है।
रिकॉर्ड के लिए भारत डोपिंग उल्लंघन मामलों में काफी ऊपर है। हाल में दो बार की राष्ट्रमंडल खेलों की विजेता भारोत्तोलक संजीता चानू को प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के लिए दोषी पाए जाने पर राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने चार साल का प्रतिबन्ध लगा दिया था।
यहाँ दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल के लिए टेलेंट स्काउटिंग को लांच करते हुए पूर्व भारोत्तोलक मल्लेश्वरी, जो दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर भी हैं , ने आईएएनएस से अपनी चिंता साझा की। उन्होंने कहा, डोप से प्रदर्शन नहीं आता करियर ही बर्बाद होता है। यह हर जगह बड़ी समस्या है। मेरा सुझाव है कि इस मामले में शिक्षा महत्वपूर्ण है। खिलाड़ियों और कोचों को इस बारे में पता होना चाहिए।
मल्लेश्वरी ने आगे कहा कि राज्य और केंद्र सरकारें हरसंभव तरीके से खिलाड़ियों की मदद कर रही हैं लेकिन काफी कुछ किया जाना बाकी है। सरकारें अपना काम कर रही हैं। भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमें बस खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने की जरूरत है।
देश में ग्रासरूट स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के नारे वर्षों से लगाए जाते रहे हैं लेकिन फिलहाल कोई ठोस शुरूआत नहीं हुई थी। देर से ही सही दिल्ली सरकार ने एक ऐसे स्पोर्ट्स स्कूल की शुरूआत का फैसला किया है, जिसमें छठी से नौवीं क्लास तक के बच्चों की शिक्षा और खेल में संतुलन बैठा कर भविष्य के चैंपियन तैयार किए जाएंगे।
मल्लेश्वरी ने दिल्ली सरकार द्वारा खेलों को गंभीरता से लेने को सराहनीय प्रयास बताया और कहा कि दिल्ली बेस्ड स्पोर्ट्स स्कूल और यूनिवर्सिटी पूरे देश के खिलाड़ियों के लिए है। इतना जरूर है कि दिल्ली ने पहली बार इस दिशा में पहल की है।
मल्लेश्वरी के अनुसार निशुल्क स्कूल और यूनिवर्सिटी में खेल के साथ साथ पढ़ाई लिखाई के लिए भी पर्याप्त माहौल रहेगा। देश के श्रेष्ठ शिक्षकों और खेल विशेषज्ञों की सेवाएं भी ली जाएंगी, जिसकी शुरूआत फिलहाल दस खेलों को लेकर की जा रही है। तीरंदाजी, एथलेटिक, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, लान टेनिस, टेबल टेनिस, निशानेबाजी, तैराकी, कुश्ती और भारोतोलन सहित दस खेलों को चिन्हित किया गया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हॉकी और फुटबाल जैसे लोकप्रिय खेलों को इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि शुरूआत में टीम खेलों को शामिल किया गया तो बाकी खेलों के लिए जगह कम पड़ जाएगी।
इस अवसर पर पेफी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. पीयूष जैन ने दिल्ली सरकार की खेल प्रोत्साहन योजना की सराहना की और कहा कि उनकी संस्था फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) राष्ट्रीय खेल यूनिवर्सिटी को हरसंभव सहयोग करेगी।
छठी से नौवीं कक्षा के छात्र जिनकी उम्र 11 से 16 साल के बीच है स्पोर्ट्स स्कूल में प्रवेश ले सकते हैं । लेकिन उन्हें लंबी और कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। मल्लेश्वरी ने कहा कि यहां किसी प्रकार की रियायत या कोटे का सवाल ही पैदा नहीं होता। श्रेष्ठ का चयन किया जाएगा ताकि देश को ज्यादा से ज्यादा पदक विजेता मिलें। उम्र की धोखाधड़ी के लिए भी कोई गुंजाइश नहीं होगी, क्योंकि प्रार्थियों को कड़े मेडिकल टेस्ट से गुजरना होगा।
मल्लेश्वरी मानती हैं कि आज खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं। पदक जीतने पर उन्हें वह सबकुछ मिल जाता है जिसके बारे में पुराने खिलाड़ी सोच भी नहीं सकते थे।
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इस अवसर पर सिक्स एस स्पोर्ट्स कंपनी के डायरेक्टर एंटोनी चाको भी उपस्थित थे।