गोल्डन ब्वाय लक्ष्य सेन को मिलेगा अर्जुन अवार्ड, फिर किया उत्तराखंड का नाम रोशन
देहरादून, 16 नवंबर उत्तराखंड के गोल्डन ब्वाय शटलर लक्ष्य सेन को प्रतिष्ठित अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। उन्होंने यह अवॉर्ड अपने दादा को समर्पित किया है। इसकी जानकारी लक्ष्य ने अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा की।
देहरादून, उत्तराखंड के गोल्डन ब्वाय शटलर लक्ष्य सेन को प्रतिष्ठित अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। उन्होंने यह अवॉर्ड अपने दादा को समर्पित किया है। इसकी जानकारी लक्ष्य ने अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा की।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार प्राप्तकर्ताओर्ं में से एक के रूप में घोषित किए जाने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इन पुरस्कारों की घोषणा 14 नवंबर को की गयी, ठीक उसी दिन जब मेरे प्यारे दादा स्वर्गीय सी.एल.सेन 2013 में हमें छोड़कर चले गए थे।
हाल ही में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के अंतिम दिन बैडमिंटन के एकल मुकाबले के फाइनल में लक्ष्य सेन ने मलेशिया के त्जे यंग को तीन गेम तक चले मुकाबले में शिकस्त देकर स्वर्णिम कामयाबी हासिल की थी।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी बधाई दी थी। लक्ष्य सेन ने बचपन से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। बचपन में पिता व कोच डीके सेन चार बजे स्टेडियम निकल जाते थे, जबकि मां शिक्षिका थीं। ऐसे में तीन साल की उम्र में पिता ने लक्ष्य को एकेडमी ले जाना शुरू किया।
डीके सेन के पारिवारिक मित्र और उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले गोकुल सिंह मेहता का कहना है कि बचपन में लक्ष्य को रिमोट कार बहुत पसंद थी। मम्मी के सामने जब भी वह होता तो रिमोट वाली कार चलाता था, लेकिन पापा डीके सेन के घर आने की आहट होते ही उसे छिपा देता था। धीरे-धीरे स्टेडियम में जब मेहनत ज्यादा पड़ने लगी तो उसने बचपन के खेल और अपनी प्यारी रिमोट कार भी छोड़ दी और बैडमिंटन में अपना करियर बनाया।
लक्ष्य सेन की प्रमुख उपलब्धियों में से विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप 2021 स्पेन में कांस्य पदक, आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप 2022 इंग्लैंड में रजत पदक समेत कई पदक और सम्मान शामिल हैं।
डीके सेन के पारिवारिक मित्र और उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले गोकुल सिंह मेहता का कहना है कि बचपन में लक्ष्य को रिमोट कार बहुत पसंद थी। मम्मी के सामने जब भी वह होता तो रिमोट वाली कार चलाता था, लेकिन पापा डीके सेन के घर आने की आहट होते ही उसे छिपा देता था। धीरे-धीरे स्टेडियम में जब मेहनत ज्यादा पड़ने लगी तो उसने बचपन के खेल और अपनी प्यारी रिमोट कार भी छोड़ दी और बैडमिंटन में अपना करियर बनाया।
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