जॉन राइट के रिकॉर्ड, रोचक तथ्य और अन्य दिलचस्प जानकारी
न्यूजीलैंड के बल्लेबाजी के स्तंभ रहे जॉन राइट का जन्म 5 जुलाई, साल 1954 को न्यूजीलैंड में हुआ। उन्होंने अपनी टीम की ओर से 82 टेस्ट मैच और 149 वनडे मुकाबले खेले है।
एक नजर डालते हैं उनके करियर और जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातों पर:
1) साल 2000 में जॉन राइट को जिम्बाब्वे सीरीज के लिए भारत का कोच नियुक्त किया गया। इसके अलावा उन्हें उस सीरीज के लिए भारत के मैनेजर का भी रोल दिया गया जो टीम के सभी खिलाड़ियों की सारी सुविधा का ध्यान दे सकें। कारण यह था कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई ने इस पद के लिए किसी अलग इंसान को नहीं चुना था।
2) साल 2000-01 में हरभजन सिंह भारतीय टीम में वापसी कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया का बड़ा दौरा आने वाला था और टीम के मुख्य स्पिनर अनिल कुंबले चोटिल हो गए। फिर जॉन राइट ने कप्तान सौरव गांगुली के साथ मिलकर हरभजन सिंह को इस दौरे के लिए तैयार किया और उनके अभ्यास की सारी सुविधाओं को देखा। हरभजन ने भी किसी को निराश नहीं किया और उस तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में उन्होंने कुल 32 विकेट झटके।
3)उन्होंने साल 1977 में डर्बीशायर के लिए अपना डेब्यू किया और उसके बाद साल 1978 में उन्होंने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया।
4) न्यूजीलैंड की टीम में इस बाएं हाथ के बल्लेबाज का निकनेम 'शेक' पड़ा था। वो और ब्रूस एडगर न्यूजीलैंड के सबसे बेहतरीन ओपनिंग जोड़ी थे।
5) साल 1980 में जॉन राइट एक टेस्ट मैच में एक गेंद पर 8 रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज बने। 4 रन उन्होंने दौड़ कर पूरे किए और बाकी 4 रन ओवरथ्रो में मिले।
6) जॉन राइट को म्यूजिक से बहुत प्यार रहा है और वो अपने हर दौरे पर साथ में गिटार लेकर जाते थे। उन्होंने साल 2017 में अपना एल्बम रेड स्काइस लॉन्च किया।
7) जॉन राइट ने दो किताबें लिखी है - साल 1990 में उन्होंने क्रिसमस इन रारोटोंगा लिखा और साल 2006 में उन्होंने इंडियन समर्स लिखा।
8) 82 टेस्ट मैचों में उन्होंने 5334 रन बनाए है जिसमें 12 शतक शामिल है और उनका टॉप स्कोर 185 रन रहा है। 149 वनडे मैचों में उन्होंने 3891 रन बनाए है।
9) जॉन राइट ने 366 फर्स्ट-क्लास मैच खेले है जिसमें उन्होंने 25073 रन बनाए है। इस दौरान उनके नाम 59 शतक शामिल है। 349 लिस्ट -ए मैचों में उन्होंने 10240 रन बनाने का कारनामा किया है।
10) साल 1998 में रानी के जन्मदिन के उपलक्ष में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए उन्हें मेंबर ऑफ द ब्रिटिश अंपायर नियुक्त किया गया।