भारत में गोल्फ का भविष्य सुनहरा, लेकिन विकास की गति धीमी है : जॉय चक्रवर्ती
Kartik Singh: भारत में गोल्फ का विकास बहुत धीमी गति से हुआ है। टोक्यो ओलंपिक में अदिति अशोक के चौथे स्थान पर आने के बाद इसे थोड़ी लोकप्रियता मिली, लेकिन अभी तक यह प्रमुख खेल के तौर पर अपनी जगह नहीं बना पाया है।
अंतर्राष्ट्रीय गोल्फ संवाददाता जॉय चक्रवर्ती के अनुसार, "इस खेल में भारत में बहुत अधिक संभावनाएं हैं।"
जॉय ने आईएएनएस से कहा, “मैंने 1990 के दशक से भारत में गोल्फ को देखा है।इसका विकास जरूर हुआ है, लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है। दुबई में पहला गोल्फ कोर्स 1988 में बनाया गया था और अब दुबई में इनकी संख्या 12 और यूएई में 20 हैं। बहुत से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक वहां आकर इस खेल का लुत्फ उठाते हैं। गोल्फ से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और रोजगार भी बढ़ता है। अगर हम एक गोल्फ कोर्स की बात करें तो अनुमान है कि इसमें करीब 500 लोग काम करते हैं और क्रिकेट स्टेडियम के विपरीत इन लोगों के लिए यह साल भर का रोजगार है। भारत में इसके लिए काफी संभावनाएं हैं।"
जॉय दिल्ली गोल्फ क्लब लीग (डीजीसीएल) के चौथे संस्करण में शामिल हुए थे, जो 3 अक्टूबर को दिल्ली गोल्फ क्लब में शुरू हुआ और इसमें खिताब के लिए रिकॉर्ड 24 टीमें हिस्सा ले रही हैं। फाइनल 26 अक्टूबर को खेला जाएगा।
जॉय ने आईएएनएस से कहा, “मैंने 1990 के दशक से भारत में गोल्फ को देखा है।इसका विकास जरूर हुआ है, लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है। दुबई में पहला गोल्फ कोर्स 1988 में बनाया गया था और अब दुबई में इनकी संख्या 12 और यूएई में 20 हैं। बहुत से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक वहां आकर इस खेल का लुत्फ उठाते हैं। गोल्फ से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और रोजगार भी बढ़ता है। अगर हम एक गोल्फ कोर्स की बात करें तो अनुमान है कि इसमें करीब 500 लोग काम करते हैं और क्रिकेट स्टेडियम के विपरीत इन लोगों के लिए यह साल भर का रोजगार है। भारत में इसके लिए काफी संभावनाएं हैं।"
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Article Source: IANS