'ICC जवाब क्यों नहीं देता? क्या हम दुनिया में मौजूद नहीं', अफगानिस्तानी महिला क्रिकेटर का छलका दर्द
अफगानिस्तान में तालिबान युग की वापसी हो गई है। सैकड़ों और हजारों निराश अफगानों की तरह, देश की महिला क्रिकेटर रोया समीम का भी दर्द छलका है। रोया समीम ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर जाना उनके लिए एक दुखद
अफगानिस्तान में तालिबान युग की वापसी हो गई है। सैकड़ों और हजारों निराश अफगानों की तरह, देश की महिला क्रिकेटर रोया समीम का भी दर्द छलका है। रोया समीम ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर जाना उनके लिए एक दुखद दिन था। लेकिन, अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र अफगानिस्तान में रहना कभी भी उनके लिए आसान नहीं था।
रोया समीम, जो अब कनाडा में शरणार्थी के रूप में अपना जीवन जी रही हैं, उनके जीवन में पलक झपकते ही सब कुछ बदल गया, क्योंकि उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए अपना सब कुछ अफगानिस्तान में ही छोड़कर देश छोड़ा है। द गार्डियन से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा है कि तालिबान लड़कियों के पढ़ने के खिलाफ हैं, तो वे लड़कियों की क्रिकेट टीम कैसे चाहते हैं?
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उन्होंने कहा, 'अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर जाना मेरे लिए यह एक दुखद दिन था। मैं बस रो रही थी। मुझे वास्तव में वह सब कुछ पसंद है जो मेरे पास था। मेरी नौकरी, मेरा क्रिकेट, मेरे साथी, मेरा होमटाउन, मेरे रिश्तेदार। मेरे पास जो कुछ भी था, मैंने उसे पीछे छोड़ दिया है। आज भी मुझे जब ये दिन याद आता है तो में रो पड़ती हूं।'
रोया समीम ने कहा, 'हम सभी ने आईसीसी को ईमेल किया लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। वे हमें जवाब क्यों नहीं देते? वे हमें क्यों नहीं मानते, यहां तक कि हमारे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं कि हम दुनिया में मौजूद नहीं हैं? तालिबान के काबुल में आने के बाद, हमने अनुरोध किया कि [आईसीसी] कृपया सभी लड़कियों को बचाएं, हम अपने साथियों के लिए चिंतित हैं। अफगान क्रिकेट बोर्ड [ACB] ने भी कुछ नहीं कहा, उन्होंने बस इतना ही कहा रुको।'