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BCCI अधिकारी कुछ और दिन रहेंगे पदों पर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार

बीसीसीआई (BCCI) जब 24 दिसम्बर को अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) आयोजित करेगी तब सुप्रीम कोर्ट शीतकालीन छुट्टियों पर होगी। सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां 18 दिसम्बर से एक जनवरी तक रहेंगी। इसका मतलब है कि क्रिकेट रिफॉर्म...

IANS News
By IANS News December 06, 2020 • 22:23 PM
 BCCI officials set to rule some more as SC verdict awaited
BCCI officials set to rule some more as SC verdict awaited (Image Credit: IANS)
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बीसीसीआई (BCCI) जब 24 दिसम्बर को अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) आयोजित करेगी तब सुप्रीम कोर्ट शीतकालीन छुट्टियों पर होगी। सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां 18 दिसम्बर से एक जनवरी तक रहेंगी। इसका मतलब है कि क्रिकेट रिफॉर्म संबंधित सभी मामले अगले साल में पहुंचेंगे। इसका यह भी मतलब है कि सौरव गांगुली (Sourav Ganguly), जय शाह (Jay Shah) और जयेश जॉर्ज अपने पदों पर 2021 तक बने रहेंगे वो भी तब जब उनका कार्यकाल कुछ महीनों पहले खत्म हो चुका है।

बीसीसीआई के नए संविधान के मुताबिक, उसके अधिकारियों को बीसीसीआई में या किसी राज्य संघ में, दोनों को मिलाकर, लगातार छह साल बिताने के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होता है।

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कूलिंग ऑफ पीरियड बिताने के बाद वह शख्स दोबारा तीन साल के लिए लौट सकता है। यह उन सात नियमों में से है जिन पर बदलाव की मांग की गई है।

सौरव गांगुली पिछले साल 23 अक्टूबर को बीसीसीआई अध्यक्ष चुने गए थे। उनके पास 278 दिन बचे थे क्योंकि वह बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) में भी रह चुके थे। वह सीएबी में जुलाई 2014 से थे। इसलिए बीसीसीआई में उनका कार्यकाल 26 जुलाई 2020 को खत्म हो गया है।

मेनलाइन अखबार की 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक बीसीसीआई के मौजूदा सचिव जय शाह आठ सितंबर 2013 को गुजरात क्रिकेट संघ (जीसीए) के संयुक्त सचिव चुने गए थे। इससे पहले भी वह जीसीए के कार्यकारी थे। इसलिए उनका कार्यकाल भी खत्म हो चुका है।

बीसीसीआई के मौजूदा संयुक्त सचिव जॉर्ज पांच साल तक केरल क्रिकेट संघ (केसीए) के सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष रह चुके हैं और वह बीसीसीआई में बतौर संयुक्त सचिव एक साल पूरा कर चुके हैं।

पिछले साल सितंबर में उन्होंने केसीए के चुनाव के समय एक अखबार से कहा था कि, "मैं 21 जून 2013 से सात जुलाई 2018 तक केसीए में रहा हूं। मेरे पास छह साल का समय पूरा करने के लिए अभी 11 महीने बाकी है।"

केसीए के कार्यकाल के दौरान उन्होंने ब्रेक भी लिया था। उन्होंने सात जुलाई 2018 से 14 सितंबर 2019 के बीच ब्रेक लिया था और फिर 23 अक्टूबर 2019 को केसीए अध्यक्ष के तौर पर लौटे थे। इसका मतलब है कि वह अपने छह साल पूरे कर चुके हैं, ब्रेक को हटाकर। इसलिए 14 सितंबर से वह भी कूलिंग ऑप पीरियड में चले जाने चाहिए थे।

तीनों अधिकारी हालांकि अभी बोर्ड में हैं क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई संविधान में सात बदलाव करने की अपील की है। यह सभी खास तौर पर नियम 45 से छुटकारा चाहते हैं जिसके तहते बीसीसीआई के लिए अनिवार्य है कि वह किसी भी तरह का सुधार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी ले।

अगर यह नियम बदल दिया था जाता है तो जो रिफॉर्म लागू किए गए थे उनका कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। और बीसीसीआई के करोड़ो रुपये, सुप्रीम कोर्ट का समय सब बर्बाद चला जाएगा। गौरतलब है कि बीसीसीआई के संविधान को सुप्रीम कोर्ट ने ही मंजूरी दी थी।

लेकिन एल.नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है और यह एक उम्मीद की किरण है। रोचक बात यह है कि राव पंजाब एवं हरियाणा के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल की अध्यक्षता वाली उस तीन सदस्यीय समिति का हिस्सा था जिसने अक्टूबर 2013 में इस मामले को संभाला था।

मुदगल की रिपोर्ट पर ही आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को दो साल के लिए बैन किया गया था। तभी से भारतीय क्रिकेट में रिफॉर्म की शुरुआत हुई थी।

राव मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। एक सूत्र ने कहा कि वह क्रिकेट को काफी करीब से फॉलो करते हैं और कई क्रिकेट प्रशासकों को जानते हैं।

सूत्र ने आईएएनएस से कहा, "पिछली बार (एक दिसंबर) जज ने नौ दिसंबर की तारीख तय की थी और इसे कई उच्च न्यायालयों में भेज दिया था। इसके बाद पीठ अन्य मामलों में कुछ अन्य तारीखें तय करेगी। इसलिए एक या दो सुनवाई में मामला क्लीयर हो जाएगा।"

उन्होंने कहा, "राव जल्दी केस समाप्त करने के लिए जाने जाते हैं। वह इसे भी ज्यादा देर तक नहीं लटकाए रखेंगे। वह बीसीसीआई से जुड़े रहे हैं और कई क्रिकेट याचिकाओं में शामिल रहे हैं। वह जानते हैं कि क्या हो रहा है। वह सिस्टम को जानते हैं। वह मुदगल समिति का भी हिस्सा रहे हैं। वह ऐसे दो जजों के साथ हैं जो मामलों को लंबा नहीं खींचते।"

इस मामले में एमिकस क्यूरे पी.एस. नरसिम्हा ने दो दिसंबर को आईएएनएस से कहा था कि मामले की सुनवाई नौ दिसंबर को नहीं की जाएगी और ऐसा होता है तो यह मामला नए साल में जाएगा।

नरसिम्हा ने कहा था, "नौ दिसंबर को जो मामले उच्च न्यायालय द्वारा सुलजाए जा सकते हैं उनकी सुनवाई की जाएगी। राज्य संघों के आंतरिक मुद्दे सहित कुछ और मुद्दे।"

इस मामले में जिस तरह से सुनवाई लंबे समय तक चली है उसे देखते हुए लगता है कि अगले साल भी यह मामले जारी रहेंगे।

बीसीसीआई ने अप्रैल में दाखिल की गई याचिका में अपील की थी उसे बदलाव, जुड़ाव, सुधार की मंजूरी मिले और वह अपनी जनरल बॉडी में तीन चौथाई मत के बाद अपनी मर्जी के मुताबिक बदलाव कर सके।

वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्यता प्राप्त बीसीसीआई संविधान के मुताबिक अदालत की मंजूरी के बिना किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता।
 


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