Advertisement

IPL में 70 मैच और वुमेंस टूर्नामेंट में सिर्फ 4 मैच, बहुत नाइंसाफी है बीसीसीआई

BCCI Should feel shame on their strategy to promote women's cricket : एकतरफ हम बात करते हैं महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने की लेकिन उनके टूर्नामेंट में सिर्फ 4 मैच रखते हैं।

Advertisement
Cricket Image for IPL में 70 मैच और वुमेंस टूर्नामेंट में सिर्फ 4 मैच, बहुत नाइंसाफी है बीसीसीआई
Cricket Image for IPL में 70 मैच और वुमेंस टूर्नामेंट में सिर्फ 4 मैच, बहुत नाइंसाफी है बीसीसीआई (Image Source: Google)
Shubham Yadav
By Shubham Yadav
May 26, 2022 • 11:31 PM

पिछले काफी समय से पूरी दुनिया बात कर रही है कि दुनिया की सबसे बड़ी लीग आईपीएल की ही तर्ज पर महिला आईपीएल की भी शुरुआत की जाए और हो सकता है कि आने वाले समय में ऐसा कुछ हो भी जाए। लेकिन इस समय जो हो रहा है उसके बारे में बात करना बहुत ज़रूरी है। आईपीएल में हर साल हर सीज़न में लगभग 60 से 70 मैच खेले जाते हैं और लगभग डेढ़ से दो महीने फैंस का भरपूर मनोरंजन होता है।

Shubham Yadav
By Shubham Yadav
May 26, 2022 • 11:31 PM

वहीं, दूसरी तरफ अगर महिला क्रिकेट की बात करें तो बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के नाम पर साल 2018 में वुमेंस टी-20 चैलेंज की शुरुआत की। ऐसा लगा कि हर साल वुमेंस खिलाड़ियों के इस टूर्नामेंट में फैंस को आईपीएल वाला ही रोमांच देखने को मिलेगा और महिला खिलाड़ियों को भी अपना टैलेंट दिखाने का भरपूर मौका मिलेगा।

Trending

महिला खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट के हर सीज़न में शानदार खेल दिखाया। ऐसे में फैंस और खिलाड़ियों को लगा कि शायद इस टूर्नामेंट में हर साल के बाद कुछ मैच बढ़ाए जाएंगे लेकिन बीसीसीआई ने महिला खिलाड़ियों के इस टूर्नामेंट को सिर्फ 4 मैचों में ही खत्म करने की अपनी ज़िद्द कभी भी नहीं छोड़ी और इसका खामियाजा शानदार खेल दिखाने वाली टीमों को भुगतना पड़ा है।

4 मैच के इस टूर्नामेंट में एक टीम बाकी दो टीमों से सिर्फ 1-1 मैच ही खेलती है और ज़रा सोचिए अगर किसी दिन किसी टीम का दिन खराब रहा और आप वो मैच हार गए तो आपके पास टूर्नामेंट में वापसी का कोई मौका नहीं होगा क्योंकि इस टूर्नामेंट में आईपीएल की तरह ना तो 70 मैच हैं और ना ही प्लेऑफ जैसा सिस्टम, ऐसे में आपको हर मैच करो या मरो जैसा ही खेलना होगा।

Also Read: आईपीएल 2022 - स्कोरकार्ड

अब सवाल ये उठता है कि क्या वुमेंस क्रिकेट को बढ़ावा देने के नाम पर बीसीसीआई को ऐसा भद्दा मज़ाक करना चाहिए। क्या ये महिला खिलाड़ियों के साथ इंसाफ है? क्या असल में बैट्समैन को बैटर कर देने से पुरुष क्रिकेट और महिला क्रिकेट को बराबरी का दर्जा मिल जाएगा? या इन दोनों के टूर्नामेंट्स को बराबर की तवज्जो देने से इस फासले को मिटाया जा सकेगा? फैसला आप पर छोड़ रहे हैं, आप बताइए।

Advertisement

Advertisement