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21 दिन की जिस बच्ची को माता-पिता ने फेंका, नियति ने उसे बनाया ऑस्ट्रेलिया का कैप्टन

जन्म देने के बाद लड़की को फेंकने वाले माता-पिता आज अंदर ही अंदर रो रहे होंगे क्योंकि उन्होंने जिस बच्ची को फेंका नियति उसे पहले अमेरिका ले गई और फिर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का कप्तान बनवाया।

Prabhat  Sharma
By Prabhat Sharma August 10, 2022 • 14:15 PM
Cricket Image for 21 दिन की जिस बच्ची को माता-पिता ने फेंका, नियति ने उसे बनाया ऑस्ट्रेलिया का कैप्ट
Cricket Image for 21 दिन की जिस बच्ची को माता-पिता ने फेंका, नियति ने उसे बनाया ऑस्ट्रेलिया का कैप्ट (Lisa Sthalekar)
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Cricket Tales: क्रिकेटर्स और उनके संघर्ष से जुड़ी आपने तमाम कहानियां सुनी होंगी। लेकिन, आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको जो कहानी बताएंगे वो आपनी रूह को झकझोड़ कर रखे देगी। ये कहानी है अनाथालय से ऑस्ट्रेलिया टीम के कैप्टन बनने तक की यात्रा! ये कहानी है ऑस्ट्रेलिया के लिए 4 विश्व कप खिताब जीतने में अहम किरदार निभाने वालीं महिला क्रिकेटर लिसा स्टालेकर (Lisa Sthalekar) की।

लड़की को एक अनाथालय में छोड़ दिया, लेकिन नियति उसे पहले अमेरिका ले गई और फिर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का कप्तान बनवाया। तीन सप्ताह की उम्र में भारत में अनाथालय की सीढ़ियों पर छोड़े जाने के बाद इस खिलाड़ी ने अपनी लाइफ में जो कुछ भी हासिल किया उसकी कल्पना करना भी रोंगटे खड़े कर देता है।  13 अगस्त 1979 को शहर के एक अनजान कोने में एक लड़की का जन्म हुआ लेकिन, माता-पिता के लिए ये लड़की एक मजबूरी और बोझ थी।

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महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक अनाथालय है, जिसे 'श्रीवास्तव अनाथालय' कहा जाता है। सुबह-सुबह इस अनाथालय के पालने में किसी ने लिसा स्टालेकर को छोड़ दिया था। प्रबंधक अनाथालय ने उस अनाथ प्यारी बच्ची का नाम 'लैला' रखा। हरेन और सू नाम का एक अमेरिकी जोड़ा भारत घूमने आया था लेकिन उनका मकसद लड़के को गोद लेना था लड़की को नहीं।

हरेन और सू के परिवार में पहले से ही एक लड़की थी और वो एक सुन्दर लड़के की तलाश में उस आश्रम गए जिसमें प्यार बच्ची लैला रहती थी। अनाथालय में उन्हें लड़का तो नहीं मिला, लेकिन सू की नज़र लैला पर पड़ी और लैला की भूरी आँखों और मासूम चेहरे को देखकर उन्हें उससे प्यार हो गया।

हरेन और सू ने लड़की को गोद ले लिया और लैला का नाम बदलकर हो गया लिसा। वो लिजा को लेकर वापस अमेरिका चले गए और कुछ वर्षों के बाद ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बस गए। पिता ने बेटी को क्रिकेट खेलना सिखाया, घर के पार्क से शुरू होकर गली के लड़के के साथ खेलने तक का यह सफर चला।  

क्रिकेट के प्रति उनका जुनून अपार था जिसने उन्हें महान बनाया। 2013 में जब ऑस्ट्रेलिया टीम ने क्रिकेट विश्व कप जीता, उसके अगले दिन इस खिलाड़ी ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया। लेकिन, संन्यास लेने से पहले इस खिलाड़ी ने जो हासिल किया वो कमाल था।

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जब आईसीसी की रैंकिंग प्रणाली शुरू हुई तो वो दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर थीं। वनडे में 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर लिसा स्टालेकर ही थीं। ODI और T-20 कुल मिलाकर चार विश्व कप में भाग लिया।


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