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BCCI सुनिश्चित करे की गांगुली एक पद से ज्यादा पर न रहें, एथिक्स अधिकारी डी.के. जैन ने कही ऐसी बात

नई दिल्ली, 13 सितम्बर | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के एथिक्स अधिकारी डी.के. जैन ने बोर्ड से साफ कह दिया है कि सौरभ गांगुली का हितों का टकराव का मुद्दा 'टैक्टेबल' (आसानी से प्रभावित होने वाला) है और...

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BCCI  सुनिश्चित करे की गांगुली एक पद से ज्यादा पर न रहें, एथिक्स अधिकारी डी.के. जैन ने कही ऐसी बात I
BCCI सुनिश्चित करे की गांगुली एक पद से ज्यादा पर न रहें, एथिक्स अधिकारी डी.के. जैन ने कही ऐसी बात I (twitter)
Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat
Sep 13, 2019 • 05:22 PM

नई दिल्ली, 13 सितम्बर | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के एथिक्स अधिकारी डी.के. जैन ने बोर्ड से साफ कह दिया है कि सौरभ गांगुली का हितों का टकराव का मुद्दा 'टैक्टेबल' (आसानी से प्रभावित होने वाला) है और वह अपनी पदों को चयन करने पर ध्यान दें तथा ख्याल रखें कि वह एक पद से ज्यादा पर न रहें। जैन ने हितों के टकराव के मुद्दे में हालांकि गांगुली को संदेह होने का फायदा दिया है, लेकिन साथ ही कहा है कि उन्हें एक पद से ज्यादा पर सवार नहीं रहना चाहिए। इसे लेकर जैन ने बीसीसीआई को एक पत्र लिखा है। इस पत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास है।

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By Vishal Bhagat
September 13, 2019 • 05:22 PM

उन्होंने कहा, "हालिया मामले में, गांगुली को जो नोटिस दिया गया था जिसमें लिखा था कि अगर एथिक्स अधिकारी को लगा कि सीएसी में उनका रहना हितों के टकराव का मुद्दा है जो नियम 38 में है, ऐसे में इन शिकायतों को लेकर उनका जवाब तुरंत प्रभाव से उनके इस्तीफे के तौर पर मान लिया जाएगा, दूसरा यह कि उनका आईपीएल फ्रेंचाइजी से करार तुरंत प्रभाव से खत्म होगा। मैं यह साफ करता हूं कि इस मामले में हितों का टकराव ट्रैक्टेबल है।

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उन्होंने कहा, "हालांकि यह साफ है कि कानून का ज्ञान ने होना बहाना नहीं हो सकता। गांगुली को 38(2) के नियम के तहत जरूरी जानकारी देनी थी, लेकिन इस बात को ध्यान में रखते हुए कि नियम अगस्त 2018 से अस्तित्व में आया, मैं गांगुली को संदेह का लाभ दे रहा हूं कि शायद उन्होंने पद स्वीकार करते हुए यह पता न हो कि यहां हितों का टकराव है।"

उन्होंने लिखा, "साथ ही, मैं बीसीसीआई को निर्देश देता हूं कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि गांगुली ऐसी स्थिति से बचें जहां हितों का टकराव आड़े आए और उन्हें नियम 38 (4) के मुताबिक एक पद पर ही बने रहने दें।"

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