'भारत-पाक मैच एक बिजनेस है, वैसे ऑस्ट्रेलिया और NZ भी एक दूसरे से हारने से नफरत ही करते हैं'
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता अपने आप में एक बिजनेस है। गंभीर ने भारत-पाक मुकाबले से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मुकाबले की तुलना की है।
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता अपने आप में एक बिजनेस है। गंभीर ने भारत-पाक मुकाबले से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मुकाबले की तुलना की है जो पड़ोसी देश हैं, लेकिन गंभीर के अनुसार भारत-पाकिस्तान की तरह भयंकर प्रतिद्वंद्विता उनमें नहीं है।
गंभीर की टिप्पणी टी 20 विश्व कप से ठीक पहले आई है। गंभीर ने भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता के छिपे हुए उस हिस्से पर प्रकाश डाला, जिसके बारे में उनका मानना है कि "राजस्व पैदा करने" के जानबूझकर उसे जीवित रखा गया है।
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गौतम गंभीर ने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता को नोटिस करना मुश्किल है। भारत और पाकिस्तान की तरह, वे भी पड़ोसी हैं। भारतीयों और पाकिस्तानियों की तरह, ऑस्ट्रेलियाई और कीवी एक-दूसरे से हारने से नफरत करते हैं ... किसी भी तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच इतनी भयंकर प्रतिद्वंद्विता नहीं है जैसा लगता है। क्या आपने सोचा है क्यों? क्या वे क्रिकेट मैच के आधार पर अपने उत्पादों को बेचने के लिए एकतरफा विज्ञापन अभियान नहीं चलाते? यह प्रमुख हितधारकों का अर्थशास्त्र है?'
गंभीर ने आगे भारत-पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की आबादी के बीच एक तुलना करते हुए भी इस मामले को समझाने की कोशिश की।
गौतम गंभीर ने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की जनसंख्या मिलाकर लगभग तीन करोड़ है, जबकि यहां हम पाकिस्तान में 22 करोड़ और भारत में लगभग 140 करोड़ लोग हैं। डेटाबेस ही उनके लिए सोने की अंडे देने वाली मुर्गी है। भले ही भारत और पाकिस्तान की 10 फीसदी आबादी भी मैच देखे तब भी हम ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की संयुक्त संख्या से पांच गुना ज्यादा बात कर रहे हैं।'
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गंभीर ने कहा, 'फिर भारतीयों और पाकिस्तानियों की भावनाओं का भी एक छोटा सा मामला होता है। मैं यह सुझाव नहीं दे रहा हूं कि ऑस्ट्रेलियाई और कीवियों में दिल और भावना नहीं है। लेकिन हम यह नहीं कह सकते हैं, बैड लक या वेल प्लेड और मैच के बाद दोनों देशों के खिलाड़ी पोस्ट मैच ड्रिंक्स साथ में लें। केवल विराट कोहली ही नहीं, भारत के अधिकांश लोग अपना दिल हाथ में लेकर चलते हैं। यही वह मार्केटिंग है जो हमें पक्षपाती प्रचार अभियानों में चूसता है।'