IND vs WI: भारत-वेस्टइंडीज के दूसरे टी-20 में बना अनोखा रिकॉर्ड, 24 साल बाद हुआ ऐसा कमाल
लखनऊ, 6 नवंबर (CRICKETNMORE)| 'नवाबों के शहर' नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 24 साल के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट की वापसी हुई है और यह वापसी कई लिहाज से अहम है। अंतिम बार 1994 में इस खूबसूरत
लखनऊ, 6 नवंबर (CRICKETNMORE)| 'नवाबों के शहर' नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 24 साल के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट की वापसी हुई है और यह वापसी कई लिहाज से अहम है। अंतिम बार 1994 में इस खूबसूरत शहर में इंटरनेशनल मैच खेला गया था। श्रीलंकाई टीम भारत दौरे पर आई थी और इस दौरे का पहला टेस्ट मैच यहां के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में हुआ था। अब यह शहर पहली बार भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच टी-20 मैच की मेजबानी कर रहा है।
वह मैच भारत ने एक पारी और 119 रनों से जीता था। भारत ने उस मैच में अपनी पहली पारी में 511 रन बनाए थे। भारत के लिए नवजोत सिंह सिद्धू (124) और सचिन तेंदुलकर (142) ने शतक लगाए थे। संजय मांजरेकर (61) ने अर्धशतक जड़ा था। श्रीलंका के दिग्गज स्पिनर मुथैयार मुरलीधरन ने पांच भारतीय बल्लेबाजों को पवेलियन लौटाया था।
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इसके बाद अनिल कुम्बले (69-4) के नेतृत्व में भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए श्रीलंका की पहली पारी 218 रनों पर समेट दी थी। श्रीलंका की ओर से रौशन महानामा ने सर्वाधिक 73 रन बनाए थे। फालोऑन खेल रही श्रीलंकाई टीम 59 रन देकर सात विकेट लेने वाले कुम्बले के आगे बेबस नजर आई और दूसरी पारी में 174 रन बनाकर आउट हो गई। कुम्बले मैन ऑफ द मैच चुने गए थे।
इसके बाद उत्तर प्रदेश में कई इंटरनेशनल मुकाबले हुए लेकिन लखनऊ में नहीं बल्कि कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में। अब लखनऊ भारत के 52वें इंटरनेशनल क्रिकेट आयोजन स्थल के रूप में क्रिकेट के नक्शे पर जगह पा चुका है।
इकाना में बने 50 हजार की क्षमता वाले स्टेडियम का नामकरण भारत रत्न से नवाजे जा चुके भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया गया है। वाजपेयी लखनऊ से लोकसभा चुना लड़ा करते थे।
लखनऊ की भवन निर्माण कला से मेल खाती इस स्टेडियम की बाहरी छवि काफी लुभावनी है। अंदर से भी यह काफी सुंदर और भव्य है। इसमें पुरातन के साथ-साथ आधुनिक भवन निर्माण कला का उपयोग हुआ है।
खास बात यह है कि इस स्टेडियम के स्टैंड्स में कोई भी पिलर नहीं है। इस कारण दर्शकों को खेल देखने मे किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं होगी। इसका ड्रेनेज सिस्टम आत्याधुनिक है और इसमें कुल आठ पिचें हैं। चार पिचों का निर्माण ओडिशा की काली मिट्टी और चार का दक्षिण की लाल मिट्टी से किया गया है।