झूठी है यशस्वी जायसवाल की पानी-पूरी बेचने की कहानी? कोच ज्वाला सिंह ने किया बड़ा खुलासा
यशस्वी जायसवाल के बचपन के कोच ज्वाला सिंह ने यह खुलासा किया है कि यशस्वी की पानी-पूरी बेचने की कहानी गलत है।
21 वर्षीय यशस्वी जायसवाल चर्चा में हैं। हाल ही में इस युवा बल्लेबाज ने इंडियन टीम के लिए अपना टेस्ट डेब्यू किया और अब उम्मीद लगाई जा रही है कि वह वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 सीरीज में अपना टी20 डेब्यू भी करेंगे। लेकिन इसी बीच यशस्वी के पूर्व कोच ज्वाला सिंह ने एक ऐसा बयान दिया है जिसके कारण सभी फैंस हैरान हैं। दरअसल, ज्वाला सिंह ने यह खुलासा किया है कि यशस्वी की पानी-पूरी बेचने की कहानी पूरी तरह झूठी है।
यशस्वी जायसवाल के बचपन के कोच ज्वाला सिंह कहते हैं कि यशस्वी और उनसे जुड़ी पानी-पूरी बेचने की कहानी उन्हें काफी चुबती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने बचपन से ही यशस्वी को खूब सपोर्ट किया है। ज्वाला सिंह ने यह साफ किया है कि यशस्वी बचपन में अपना गुजारा करने के लिए पानी-पूरी नहीं बेचा करते थे।
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वह बोले, 'यशस्वी 2013 में मुझे मिला था। तब वह आज़ाद मैदान के टेंट में रहता था क्योंकि उस समय उसकी फैमिली उसे ज्यादा पैसे नहीं दे पाती थी। आज़ाद मैदान पर ट्रॉलीज़ रहती हैं, वहां शाम को पानी-पूरी वाले आते हैं। वहां यशस्वी जाता था और फ्रेंडली वे में उनके साथ खड़ा हो जाता था। कभी कभी वो दो चार या दस पानी-पूरी खिलाता था तो उसे 20-25 रूपये मिल जाते थे।'
ज्वाला सिंह ने आगे कहा, 'वहां यशस्वी को काफी सारे लोग जानते थे, इसलिए यशस्वी उनकी मदद कर देता था। सोशल मीडिया पर जो फोटो और वीडियो आता है जिसमें यशस्वी एक आदमी के साथ पानी-पूरी बेच रहा है वो 2018 का है। एक टीवी चैनल वाले मेरे पास आए थे। जब वो पहली बार अंडर-19 के लिए सेलेक्ट हुआ था। उन्होंने मुझे अप्रोच किया, और फिर हम वहां-वहां गए जहां यशस्वी रहा था।
यशस्वी के बचपन के कोच ने आगे कहा, 'उन्होंने ही बोला कि सर इसे स्टॉल पर खड़ा करके पानी-पूरी खिलाते हुए कुछ विजुअल्स चाहिए। मैं इस बात से खुश नहीं था, लेकिन उनके रिक्वेस्ट करने पर मान गया। फिर हम एक पानी-पूरी की दुकान पर गए। जहां मेरी ही अकैडमी के कुछ स्टूडेंट्स थे, जो वहां खड़े हुए और फिर उन्हें यशस्वी ने पानी-पूरी खिलाई। फिर वही सब वायरल हो गया।'
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गौरतलब है कि जहां एक तरफ ज्वाला सिंह ने यशस्वी के कठिन दिनों का याद करके उनके द्वारा पानी-पूरी बेचने वाली कहानी को झूठ बताया है, वहीं यशस्वी कई बार अपने संघर्ष के दिनों को याद करके दुनिया को से यह कह चुके हैं कि कैसे उन्होंने पानी-पूरी बेचकर अपने दिन काटे थे।