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BREAKING: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को फिर से दिया झटका

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर।| देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के राज्य संघों को पैसे के आवंटन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि बोर्ड जब तक सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा समिति कि

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सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को फिर से दिया झटका
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को फिर से दिया झटका ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Oct 07, 2016 • 08:02 PM

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर।| देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के राज्य संघों को पैसे के आवंटन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि बोर्ड जब तक सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा समिति कि सिफारिशों को लागू करने का प्रस्ताव पारित नहीं करता, तब तक वह राज्य संघों को पैसे का आवंटन नहीं कर सकता। 

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
October 07, 2016 • 08:02 PM

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प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बीसीसीआई से संबद्ध राज्य संघ उसके द्वारा दिए गए धन का उपयोग तब तक नहीं कर सकते, जब तक वह लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने का हलफनामा दाखिल नहीं करता। 

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अदालत ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर से वह हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें उनकी और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड रिचर्डसन से की गई बात की जिक्र हो, जिसमें उन्होंने आईसीसी से सर्वोच्च न्यायालय और लोढ़ा समिति के फैसले को बीसीसीआई के कामकाज में सरकार का दखल माना हो। 

बीसीसीआई ने पहले ही 17 राज्यों को धन वितरित कर दिया है। 13 अन्य राज्यों को बीसीसीआई से अभी पैसा मिलना बाकी है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह भी बीसीसीआई को लताड़ लगाई थी। उसने बोर्ड को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर छह अक्टूबर तक बोर्ड अपने सुझाव पेश नहीं करता है तो उसे समिति के फैसले को मानना पड़ेगा। 

बीसीसीआई की तरफ से दलील दे रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने गुरुवार को अदालत में कहा था कि बोर्ड के लिए शुक्रवार तक राज्य संघों को धन आवंटन रोकने का हलफनामा देना मुश्किल होगा। 

इसके जवाब में प्रधान न्यायाधीश ठाकुर, न्यायाधीश ए.एम. खानविल्कर और न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने जोर देते हुए कहा कि वह अपना आदेश दे देंगे, जिसे शुक्रवार तक लागू करना होगा। 

भविष्य के बारे में संकेत देते हुए गुरुवार की सुनवाई के बाद अदालत ने कहा था कि उसके पास दो रास्ते हैं, एक यह कि वह एक समिति का गठन करे जो बीसीसीआई में परिवर्तन पर नजर रखे या फिर लोढ़ा समिति को इस बात की जिम्मेदारी सौंपे। 

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पीठ ने कहा कि लोढ़ा समिति बोर्ड को अपनी सिफारिशें लागू करने का और वक्त दे सकती है तथा एक प्रशासन समिति का गठन कर सकती है जो बीसीसीआई में बदलावों को लागू कर सके। 

पिछले सप्ताह बीसीसीआई ने अपनी विशेष आम बैठक (एसजीएम) में लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों को मानने का फैसला किया था। हालांकि बोर्ड ने शीर्ष अधिकारियों को हटाने संबंधी सिफारिश को नकार दिया था। 

एसजीएम में शीर्ष परिषद गठन करने का फैसला लिया था जो बीसीसीआई के कामकाज पर नजर रखेगा। बोर्ड ने साथ ही अपनी परिषद और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की गवर्निग काउंसिल में भी नियंत्रक एवं महालेखा परिक्षक का प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही थी। इन दोनों सिफरिशों को लोढ़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया था। 

शीर्ष परिषद के गठन के अलावा बैठक में विशेष योग्यता और महिला क्रिकेट की समिति के गठन को भी मंजूरी दे दी गई थी। 

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आईपीएल से पहले और बाद में 15 दिनों के अंतर की सिफारिश को बीसीसीआई ने मानने से इनकार किया था। 

बीसीसीआई ने इस पर कहा था कि लोढ़ा समिति की इस सिफारिश को अगर माना जाता है तो भारतीय टीम को अगले साल चैम्पियंस ट्रॉफी से नाम वापस लेना पड़ेगा या आईपीएल को रद्द करना पड़ेगा। 

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