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भारत को पदार्पण मैच में जीत दिलाना जबरदस्त अनुभूति है : अमनजोत कौर

ईस्ट लंदन, (दक्षिण अफ्रीका), 20 जनवरी मैच के 12वें ओवर में भारत ने 69 के स्कोर पर पांच विकेट गंवा दिए थे। यास्तिका भाटिया के अलावा अन्य चार शीर्ष बल्लेबाजों ने दोहरे अंक को भी नहीं छुआ था। कठिन पिच

IANS News
By IANS News January 20, 2023 • 17:18 PM
The feeling right now is very unreal: Amanjot Kaur on leading India to victory on debut
The feeling right now is very unreal: Amanjot Kaur on leading India to victory on debut (Image Source: IANS)
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ईस्ट लंदन, (दक्षिण अफ्रीका), 20 जनवरी मैच के 12वें ओवर में भारत ने 69 के स्कोर पर पांच विकेट गंवा दिए थे। यास्तिका भाटिया के अलावा अन्य चार शीर्ष बल्लेबाजों ने दोहरे अंक को भी नहीं छुआ था। कठिन पिच और गर्म परिस्थितियों में रन आसानी से बन नहीं रहे थे। ठीक तब दीप्ति शर्मा का साथ देने टी20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण कर रहीं ऑलराउंडर अमनजोत कौर क्रीज पर आईं।

अमनजोत को चुनौतियों का सामना करना पसंद हैं। 2018-19 में पंजाब की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू करने के बाद उन्होंने 2019-20 से मैच खेलने के मौकों की तलाश में चंडीगढ़ की ओर से खेलना शुरू किया। इन दो सीजनों में चंडीगढ़ की कप्तानी करने के साथ-साथ उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों के साथ योगदान दिया। एकादश में उनका स्थान पक्का था और वह अपना जलवा बिखेर रही थीं।

हालांकि उन्हें अपने करियर से और कुछ चाहिए था। इसलिए ज्यादा प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलने के लिए उन्होंने 2022-23 में फिर पंजाब का रुख किया जहां उन्हें भारतीय विकेटकीपर तानिया भाटिया से सीखने का मौका मिला। सीनियर महिला टी20 ट्रॉफी में अमनजोत ने 100 से अधिक के स्ट्राइक रेट से पंजाब की ओर से सर्वाधिक 192 रन बनाए। इसके बाद उन्होंने सीनियर महिला इंटर-जोनल टी20 प्रतियोगिता में नॉर्थ जोन के लिए आठ विकेट लिए।

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भारतीय क्रिकेट में निरंतरता के साथ प्रदर्शन कर रहीं एक युवा तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर को अनदेखा नहीं किया जा सकता और अमनजोत को महिला टी20 विश्व कप से पहले त्रिकोणीय सीरीज के लिए भारतीय टीम से बुलावा आया। यह और महत्वपूर्ण था क्योंकि भारत की प्रमुख ऑलराउंडर पूजा वस्त्रकर पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सीरीज से बाहर रहने के बाद संपूर्ण फिटनेस की ओर बढ़ रही थीं।

अब अपने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय मैच में अमनजोत के सामने भारत को कम स्कोर पर ऑलआउट होने से बचाने की चुनौती थी। परिस्थितियों को समझने के लिए उन्होंने अपना समय लिया और पहले 13 गेंदों पर मात्र सात कर बनाए। वह फ्ऱी हिट का फायदा उठाने से चूकी लेकिन क्रीज पर जमी रहीं। समय लेने के बाद अब व़क्त था अपने हाथ खोलने का।

अपना तीसरा ओवर डाल रहीं अयाबोंगा खाका का स्वागत हुआ दो बेहतरीन टाइमिंग वाली कवर ड्राइव के साथ। दोनों मौकों पर खाका ने अमनजोत को ऑफ स्टंप के बाहर के पसंदीदा क्षेत्र में फुल गेंदें दी और गैप निकालने का आमंत्रण दिया। इसके बाद अमनजोत ने मारीजान काप के सिर के ऊपर से एक गेंद को खेला और टाइमिंग इतनी अच्छी थी कि गेंद सीमा रेखा पार चली गई। पारी के 19वें ओवर में उन्होंने खाका को तीन और चौके लगाए।

कुल मिलाकर अमनजोत ने खाका की 10 गेंदों पर 22 और काप की पांच गेंदों पर 10 रन बनाए। 30 गेंदों पर 41 रन बनाकर वह नाबाद रहीं जो टी20 अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू पर किसी भी भारतीय का दूसरा सर्वाधिक स्कोर है।

टी20 अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू पर प्लेयर ऑफ द मैच खिताब जीतने वाली तीसरी भारतीय खिलाड़ी बनने के बाद अमनजोत ने कहा, चंडीगढ़ के लिए खेलना एक टनिर्ंग प्वाइंट था क्योंकि मैंने बतौर बल्लेबाज ज्ञान, परिपक्वता और लाइमलाइट हासिल की। फिर मैं पंजाब गई और मुझे वह कदम उठाना पड़ा क्योंकि मैं सीनियरों के साथ और प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना चाहती थीं। वहां तानिया थीं और उनसे मैंने सीखा कि सबसे ऊंचे स्तर पर कैसे रहना होता है और वहां कैसी प्रतिद्वंद्विता होती है।

छठे विकेट के लिए अमनजोत ने दीप्ति के साथ 76 रन जोड़े जो सभी महिला टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में चौथी सबसे बड़ी साझेदारी है। उनकी बदौलत भारत ने अंतिम चार ओवरों में 44 रन बनाए और टीम 150 के पास पहुंचने में कामयाब रही। स्पिन को मदद करती पिच पर वह स्कोर दक्षिण अफ्ऱीका की पहुंच से बाहर चला गया।

अमनजोत ने कहा, दीप्ति ने कहा कि मुझे गेंद को बहुत जोर से मारने का प्रयास नहीं करना चाहिए। बातचीत यह थी कि पहले सिंगल के लिए कोशिश करो और सेट होने के बाद बाउंड्री आती रहेंगी। उन्होंने मुझे अपने उत्साह पर काबू पाने को कहा क्योंकि यह मेरा डेब्यू था और मुझे शांत रहकर साझेदारी बनाने की सलाह दी जिससे टीम एक अच्छी स्थिति में पहुंच सके।

अमनजोत ने 17 वर्ष की आयु में बतौर गेंदबाज कोच नागेश गुप्ता के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करना शुरू किया। उनके पिता ने अकादमी में उनका नाम दाखिल करवाया था। पिता को लगा कि क्रिकेट के प्रति उनका चस्का धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। हालांकि वह भारत के लिए क्रिकेट में कुछ बड़ा कर दिखाने के लिए तत्पर थीं। उनके समर्पण को देखते हुए, उनके पिता, जो लकड़ी के ठेकेदार और बढ़ई थे, ने ठेके की नौकरी छोड़ दी और केवल अपने घर के पास के स्थान पर बढ़ईगीरी का काम किया ताकि वे अमनजोत को ट्रेनिंग के लिए ले जा सकें।

अमनजोत ने कहा, घर और अकादमी के बीच का वह सफर साढ़े तीन से चार घंटे का था और उन्होंने (पिताजी) 2016-17 में उसे संभालने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। पहले वह लंबा काम लेते थे और ग्राहक के यहां और कभी-कभी घर से दूर रहते थे। लेकिन मुझे अकादमी से लेने और छोड़ने के लिए, उन्होंने वह छोड़ दिया।

भारतीय टीम के लिए अपने पहले ही मैच में छाप छोड़ने के बाद अमनजोत जानती हैं कि उनका सफर तो बस शुरू हुआ है। हालांकि जैसा कि हमने पहले बताया था, उन्हे चुनौतियां पसंद हैं और वह इसके लिए तैयार हैं।

अमनजोत ने कहा, घर और अकादमी के बीच का वह सफर साढ़े तीन से चार घंटे का था और उन्होंने (पिताजी) 2016-17 में उसे संभालने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। पहले वह लंबा काम लेते थे और ग्राहक के यहां और कभी-कभी घर से दूर रहते थे। लेकिन मुझे अकादमी से लेने और छोड़ने के लिए, उन्होंने वह छोड़ दिया।

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आरआर

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