1975 वर्ल्ड कप फाइनल : जब वेस्टइंडीज बना पहला वर्ल्ड चैंपियन
वर्ल्ड कप के इतिहास में पहला वर्ल्ड कप फाइनल क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स पर खेला गया था। इस एतेहासिक फाइनल में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया की टीम आमनें – सामनें थी। अपने लीग मैचों में शानदार परफॉर्मेंस करने
वर्ल्ड कप के इतिहास में पहला वर्ल्ड कप फाइनल क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स पर खेला गया था। इस एतेहासिक फाइनल में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया की टीम आमनें – सामनें थी। अपने लीग मैचों में शानदार परफॉर्मेंस करने के बाद क्रिकेट वर्ल्ड कप के इतिहास का पहला पन्ना लिखने को बेताब दोनों टीम मैदान पर उतरी थी।
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान इयान चैपल ने टॉस जीतकर वेस्टइंडीज की टीम को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता दिया । ऑस्ट्रेलियन फास्ट बॉलर डेनिस लिली, थॉमसन और गैरी गिलमोर ने वेस्टइंडीज टीम को बहुत जल्द ही शुरूआती झटके देकर ऑस्ट्रेलियन टीम को मैच में पूरी तरह से आगे लाकर खड़ा कर दिया था।
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वेस्टइंडीज के शुरूआती 3 खिलाड़ी 50 रन के अंदर ही पवेलियन लौट गए थे जिसके बाद ऑस्ट्रेलियन कप्तान का फैसला सही साबित होता हुआ नजर आ रहा था,पर उसी वक्त वेस्टइंडीज क्रिकेट के बेहद ही उम्दा सितारा मैदान पर बल्लेबाजी करने आया तो उसने ऑस्ट्रेलिया के सपने को उड़ान भरने पर रोक लगा दिया था। वह सितारा था वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव रॉयड ।
क्लाइव लॉयड के मैदान पर आते ही ऑस्ट्रेलियन कप्तान चैपल ने लॉयड के लिए चक्रव्यूह रचते हुए लॉयड को अपने तेज – तर्राक फील्डरों से घेर लिया और साथ ही चैपल ने रणनीति के तहत सीम बॉलरों के सहारे क्लाइव लॉयड पर लगाम लगाने की भरसक कोशिश की। लॉयड ने इस चुनौती को सहसा ही स्वीकार कर अपने बल्लेबाजी का एक बार फिर असाधारण परिचय देते हुए फास्ट बॉलर लिली की शॉट बॉल पर हुक किरके स्कॉयर लेग पर बेहद ही दार्शनिक छक्का जड़ा।
क्लाइव लॉयड और रोहन कन्हाई ने मिलकर तेजी से रन बनाते 36 ओवरों में 149 रन की साझेदारी कर दी थी। इस दौरान क्लाइव लॉयड ने शानदार शतक जड़ते हुए केवल 108 बॉल पर 102 रन बनाएं थे जिसमें लॉयड ने 12 चौके और 2 गंगन चूंबी छक्के जड़े। जिस वक्त लॉयड को गिलमोर ने मार्श के हाथों कैच कराया तब तक लॉयड और कन्हाई ने मिलकर वेस्टइंडीज टीम के स्कोर को 199 रन तक पहुंचा दिया था। कन्हाई ने भी ऑस्ट्रेलियन बॉलर के सामने संघर्ष की क्षमता का जमकर परिचय दिया और 55 रन की पारी खेली। अंत ओवरों में वेस्टइंडीज की टीम ने बोयस के धमाके -दार पारी के बदौलत टीम का स्कोर 60 ओवरों में 291 रन पर पहुंचा दिया था। वोयस ने केवल 37 बॉल पर 34 रन की छोटी मगर निर्णायक पारी खेली।
ऑस्ट्रेलियन बॉलर गैरी गिलमोर ने अपने तरफ से बेहद ही शानदार बॉलिंग का मुजाएरा पेश करते हुए 5 वेस्टइंडीज बल्लेबाजों को पवैलियन की राह दिखाई थी।
वर्ल्ड कप के पहले फाइनल को अपने नाम करने के ईरादे से उतरी ऑस्ट्रेलियन टीम की ओपनिंग बल्लेबाजी ने निराश किया और टीम के खाते में केवल 25 रन ही जुड़े थे कि बल्लेबाज रिक मक्सोस्के को बोयस ने आउट कर ऑस्ट्रेलिया को पहला झटका दिया था। इसके बाद तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए ऑस्ट्रेलियन कप्तान इयन चैपल ने कप्तानी की जिम्मेदारी लेते हुए टीम पर से संकट के बादल को हटाने में अपना शत प्रतिशत दिया पर अचानक जब ऑस्ट्रेलियन टीम का स्कोर 81 रन था तभी एक छोर से पारी को संभाल रहे ओपनर बल्लेबाज टर्नर और चैपल के बीच ताल मेल में अभाव आया जिसका खामियाजा टर्नर को अपना विकेट खोकर देना पड़ा था। टर्नर को रिचर्ड्स ने 40 रन पर रन आउट कर ऑस्ट्रेलियन टीम को बड़ा झटका दिया । रिचर्डस ने अपने फील्डिंग से गजब का परफॉर्मेंस करते हुए उस रोज ऑस्ट्रेलियन कप्तान चैपल को रन आउट कर ऑस्ट्रेलियन ख्बाव पर पानी फेर दिया था। रिचर्डस ने ने फाइनल में 3 बल्लेबाजों को रन आउट किया ।
चैपल ने बेहद ही जिम्मेदारी भरी पारी खेलते हुए अर्धशतक 62 रन ठोका था पर उनका यह पारी अंत में बेकार साबित हुआ । चैपल के आउट होने के बाद ऑस्ट्रेलियन टीम के वाल्टर और एडवर्ड को छोर कोई भी बल्लेबाज वेस्टइंडीज बॉलर के सामने टीक नहीं पाया और देखते ही देखते ऑस्ट्रेलियन पारी 58.4 ओवरों में 274 रन पर सिमट गई । जिससे वर्ल्ड कप 1975 पर वेस्टइंडीज की टीम ने कब्जा कर इतिहास में अपना नाम सबसे आगे लाकर क्रिकेट के पृष्ठभूमि पर लिख दिया ।
वेस्टइंडीज बॉलर वोयस ने बेहद ही शानदार बॉलिंग करते हुए 4 ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाजों पर कहर ढ़ाया और 12 ओवरों में 50 रन देकर 4 विकेट लिए ।
वर्ल्ड कप 1975 फाइनल में क्लाइव लॉयड के एतिहासिक पारी के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था।
21 जून 1975 को लॉर्ड्स के मैदान पर लगभग 26,000 क्रिकेट प्रमियों ने वर्ल्ड कप के पहले अध्याय का समापन होते हुए अपने आंखों से देखा था।