वर्ल्ड कप फ्लैशबैक - जब सुनील गावस्कर ने खेली थी वर्ल्ड कप इतिहास की सबसे धीमी पारी
22 अप्रैल (CRICKETNMORE) - सुनील मनोहर गावस्कर का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरों अक्षरों में लिखा जाता है । भारतीय क्रिकेट में ओपनिंग बेट्समैन के तौर पर इस दिग्गज ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए है। लेकिन सुनील...
22 अप्रैल (CRICKETNMORE) - सुनील मनोहर गावस्कर का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरों अक्षरों में लिखा जाता है । भारतीय क्रिकेट में ओपनिंग बेट्समैन के तौर पर इस दिग्गज ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए है। लेकिन सुनील गावस्कर ने अपने वनडे करियर में एक ऐसी पारी भी खेली थी जिससे बड़े विवाद ने जन्म लिया था ।
सन् 1975 में पहली बार प्रडेंशियल वर्ल्ड कप का आयोजन इंग्लैंड में हुआ। इस वर्ल्ड कप में भारत ग्रुप ए का हिस्सा था। वर्ल्ड कप का पहला ही मुकाबला भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया। मैच में सुनील गावस्कर ने ऐसी पारी खेली जिसने पूरे क्रिकेट जगत को हक्का-बक्का कर दिया कि उनके जैसे दिग्गज बल्लेबाज ने ऐसा कैसे कर दिया। ।
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दिन था 7 जून 1975, लॉर्ड्स के एतेहासिक मैदान पर इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और निर्धारित 60 ओवरों में 4 विकेट खोकर 334 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। जिसमें इंग्लैंड के ओपनर डेनिस एमिस ने शानदार 137 रन 147 गेंदों पर बनाए थे जिसमें 18 चौके शामिल थे । इसके अलावा कीथ फ्लैचर (68) और क्रिस ओल्ड (नाबाद 51) ने शानदार अर्धशतक लगाया।
वर्ल्ड कप फ्लैशबैक: एक नजर 1975 क्रिकेट वर्ल्ड कप पर
उन दिनों 300+ का स्कोर मुश्किल से ही चेज हो पाता था। लेकिन माना जा रहा था कि भारत मेजबान को कड़ी टक्कर देगी। लेकिन भारतीय टीम निर्धारित 60 ओवरों में 3 विकेट के नुकसान पर 132 रन ही बना पाई औऱ 202 रनों के विशाल अंतर से मैच हार गई।
भारत की इस करारी हार के विलेन बने सुनील गावस्कर,जो इस मुकाबले में ओपनिंग करने उतरे और अंत में नाबाद लौटे। गावस्कर ने 172 गेंदों में 20.68 की स्ट्राइक रेट से नाबाद 36 रन की बेहद धीमी पारी खेली और इस दौरान सिर्फ एक चौका जड़ा। यह वर्ल्ड कप के इतिहास की सबसे धीमी पारी थी।
इस धीमी पारी के बाद गावस्कर को चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा था।
उस समय टीम के मैनेजर रहे जी.एस रामचंद्र ने गावस्कर की धीमी बल्लेबाजी करने को लेकर उनकी शिकायत बीसीसीआई से भी की थी। उन्होंने कहा था कि “गावस्कर के इस रवैये से ना सिर्फ टीम का मनोबल नीचे गिरा और युवा खिलाड़ीयों के मनोदशा पर भी प्रभाव पड़ेगा ।
सुनील गावस्कर ने अपनी आत्मकथा सनी डेज भी में यह कबूला है कि वह उनके क्रिकेट करियर की सबसे घटिया पारी थी।