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चरित्रहीन, नशेड़ी इमरान की भारत को हाफिज शैली में धमकी नहीं चौंकाती

पिछली रात मुझे टीवी चैनलों पर पूर्व क्रिकेटर और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक इमरान खान को भारत के खिलाफ हाफिज सईद शैली में जहर उगलता देख हैरत नहीं हुई। मैं उसे पिछले 38 बरस से जानता हूं। भारत का विरोध

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Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Oct 02, 2016 • 05:15 PM

पिछली रात मुझे टीवी चैनलों पर पूर्व क्रिकेटर और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक इमरान खान को भारत के खिलाफ हाफिज सईद शैली में जहर उगलता देख हैरत नहीं हुई। मैं उसे पिछले 38 बरस से जानता हूं। भारत का विरोध इस चरित्रहीन-नशेड़ी शख्स की घूंटी में रहा है।

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
October 02, 2016 • 05:15 PM

पिछली रात मुझे टीवी चैनलों पर पूर्व क्रिकेटर और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक इमरान खान को भारत के खिलाफ हाफिज सईद शैली में जहर उगलता देख हैरत नहीं हुई। मैं उसे पिछले 38 बरस से जानता हूं। भारत का विरोध इस चरित्रहीन-नशेड़ी शख्स की घूंटी में रहा है।

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मैंने क्रिकेट सीरीज के दौरान इस इमरान को जीत के लिए सारे हथकंडे आजमाते देखा है और देखी उस दौरान उसकी चरित्रहीनता। दुख होता था मेरे जैसों को उसे भारतीय टीवी चैनलों पर बैठा देख कर। ताज्जुब होता था कि क्रिकेट मैच खेल कर कश्मीर का फैसला करने की बात करने वाले इस इंसान के बारे में क्या भारतीय मीडिया वाकई नहीं जानता या 'टीआरपी के लिए कुछ भी करेगा' की सोच काम कर रही थी?

वाह रे हिंदुस्तान की जम्हूरियत और कुछ भी बोलने की आजादी? हालिया वर्षों में परवेज मुशर्रफ सरीखे घोषित भारतीय दुश्मन न जाने कितने सेमीनार और कांक्लेव में भारत आमंत्रित होते रहे हैं। देश पर हमला करने और परमाणु हमले की धमकी देने वाले इमरान ने उन मोदी को बुरा भला कहा जिनसे पिछली भारत यात्रा के दौरान वह मिल कर गए थे।

1978 में वह भारत के खिलाफ सीरीज में पहली बार नमूदार हुआ था। उस वक्त मुश्ताक की कप्तानी में पाकिस्तान ने अंपायरों की मदद से सीरीज जीती थी, लेकिन यह 1982-83 की श्रृंखला थी कि जिसमें गेंद के साथ छेड़खानी के साथ ही पक्षपाती अंपायर पाक की ओर से इसी इमरान की सरपरस्ती में नापाक हरकते करते रहे।

हम बुरी तरह से हारे थे। उसकी चर्चा फिर कभी होगी मगर इस सीरीज में पाकिस्तानी 'घोड़' के नाम से बुलाए जाने वाले इमरान की रंगीनियां अपनी आंखों से देखीं।

बात फैसलाबाद टेस्ट की है। इसी टेस्ट की दूसरी पारी में तत्कालीन भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने नाबाद शतक लगाया था, फिर भी टीम हारी थी। उस टेस्ट की पहली पारी में पाकिस्तान खासी बढ़त ले चुका था और उम्मीद थी कि अवकाश के बाद चौथे दिन मेजबान पारी घोषित कर देंगे। हालांकि, सनी का कहना था ऐसा नहीं होगा। पाकिस्तानी टीम आगे पूरा खेलेगी।

मेरे पूछने पर हंसते हुए सनी ने कहा, "तीसरे दिन शाम को इमरान फैसलाबाद चला गया है। चौथे दिन वह लंच के बाद ही गेंदबाजी की हालत में होगा। सीता व्हाइट आयी हुई है न। पंडितजी समझा कीजिए।"

चौथे दिन सब समझ में आ गया, जब मीडिया में खबर आई कि लाहौर के होटल में इमरान की हत्या के इरादे से घुसा शख्स गिरफ्तार। हालांकि, हकीकत यह थी कि वह एक फोटोग्राफर था और रौशनदान से इमरान के अंतरंग क्षणों को कैमरे में कैद करने की कोशिश कर रहा था। पता नहीं कि क्या हुआ उस बेचारे का।

पर सनी ने जो कहा था वैसा ही हुआ और इमरान मियां की टीम लंच तक खेलती रही थी। मजा यह कि यह घोड़ा उस समय दो नावों की सवारी कर रहा था। एक ओर बैंकर सीता व्हाइट (अब मरहूम हो चुकी हैं और इमरान से प्रदत्त एक औलाद छोड़ गई हैं) पाकिस्तान में थीं तो भारतीय अभिनेत्री बबूशा यानी जीनत अमान भी वहां आ धमकी।

यही नहीं, एक और अभिनेत्री मुनमुन सेन भी उसकी प्रेमिकाओं की सूची में थी, जिसको लेकर मैंने उसी सीरीज के अंतिम कराची टेस्ट की पिच की मुनमुन के सपाट गाल से तुलना करते हुए जागरण में पूर्वालोकन लिखा था।

मुनमुन का मजेदार किस्सा तो 1987 की भारत में हुई सीरीज के दौरान देखने को मिला। बात कोलकाता टेस्ट की है। एक बुजुर्ग पाकिस्तानी टीम के सदस्य यूनुस अहमद को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से प्रतिबंधित होने के चलते टीम में देरी से मौका मिला। उसने सनसनीखेज बयान देकर सभी को चौंका दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुनमुन के यहां ड्रग पार्टी में उन्होंने जाने से इनकार कर दिया।

टीम चरस गांजा हेरोइन की आदी है और इमरान उनका अगुवा है। उन्होंने कहा, "टीम तस्करी करती है और इमरान सरगना है।" यह आरोप बाद में नाइजीरियाई मूल के पाकिस्तानी बल्लेबाज कासिम उमर ने भी लगाया। इमरान ने उल्टे उसे ही फंसा दिया और दूसरा मियांदाद समझे जाने वाला खिलाडी कहीं अंधेरों में गुम हो गया। गलत नहीं कहा जाता है कि पाकिसानी टीम अपने घर में संत और विदेशी धरती पर शैतान होती है।

याद होगा पुरनियों को कि उसी अस्सी के दशक में पाकिस्तानी टीम वेस्टइंडीज में नशाखोरी में धरायी थी और तब भी अगुवा यही घोड़ा ही था। कूटनीतिक प्रयासों से तब बची थी खिलाड़ियों की जान।

यहूदी जेमिमा से निकाह और तलाक और अब 60 पार की उम्र में नई शादी इस रसिया की रंगीन तबियत खुद ही बयां कर देती है। यह शख्स भारत विरोध की जमीन पर पाकिस्तान में सत्तानशीं होना चाहता है, लेकिन भूल रहा है कि इस बार पाकिस्तान का पाला मोदी से पड़ा है और उसको छठी का दूध याद आ जाएगा और इसकी शुरूआत 'सर्जिकल स्ट्राइक' से हो चुकी है।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और स्तम्भकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

--CRICKETNMORE

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