कभी टीम इंडिया के क्रिकेटरों को उनका पासपोर्ट जिस देश में जाने भी नहीं देता था- अब वहां क्रिकेट सीरीज खेलते हैं
India vs South Africa: भारत की टीम साउथ अफ्रीका में क्रिकेट सीरीज खेल रही है- टीम इंडिया के लिए ये टूर लगभग वैसा ही है जैसे किसी और देश में क्रिकेट सीरीज। रिकॉर्ड ये है कि भारत ने पहली बार 1992
ये एक अलग स्टोरी है कि वे क्यों गए और क्या टूर था ये पर उस दौर के माहौल से हालात ऐसे बदले कि बीसीसीआई के सेलेक्टर्स ने जो टीम साउथ अफ्रीका टूर के लिए चुनी उसके क्रिकेटरों के पासपोर्ट सबसे पहले भारत सरकार के पासपोर्ट ऑफिस भेजे गए करेक्शन के लिए क्योंकि हर पासपोर्ट पर एक मुहर लगी थी कि ये पासपोर्ट साउथ अफ्रीका और इजरायल जाने के लिए मान्य (valid) नहीं है।
आज भारत और साउथ अफ्रीका के बीच क्रिकेट संबंध आपसी 'दोस्ती' के लिए चर्चा में रहते हैं- सबूत आईपीएल में देख ही चुके हैं। जब 2014 में आम चुनाव की वजह से भारत में आईपीएल खेलने पर संकट आया था तो आईपीएल साउथ अफ्रीका में खेले थे। SA 20 में, आईपीएल मालिकों का टीम बनाना ये सोचने भी नहीं देता कि कुछ ही साल पहले तक क्या हालात थे?
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ये हालात तब बदले जब अपनी रंगभेदी नीतियों के कारण, इंटरनेशनल खेलों से दूर साउथ अफ्रीका में बदलाव के संकेत मिले। वे टेस्ट बिरादरी से भी बाहर थे और ये एक संयोग था कि उस समय साउथ अफ्रीका क्रिकेट में डा. अली बाकर जैसे ऑफिशियल थे जो उस रंगभेद वाली सोच से बिलकुल अलग थे। ये अली बाकर और कोई नहीं वही थे जो साउथ अफ्रीका पर आईसीसी के प्रतिबंध से पहले की आख़िरी सीरीज (1969-70) में उनके कप्तान थे। उस टीम ने 'वर्ल्ड चैंपियन' कही जाने वाली बिल लॉरी की ऑस्ट्रेलिया टीम को 4-0 से हराया था।
अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) के नेता कृष मैकरधुज के सहयोग से बाकर ने अलग-अलग काम कर रहे दो बोर्ड को जोड़ा, एक नया यूनाइटेड बोर्ड बनाया और तब भारत उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट में वापस लाने में मदद देने वाला पहला देश था। जिस देश में महात्मा गांधी को रंग के आधार पर ट्रेन के एक खास कोच से उतार दिया गया था- वहां बदले हालात में भारत के नए संबंध बन रहे थे क्रिकेट की बदौलत। इसीलिए भारत ही वह पहला देश था जिसने साउथ अफ़्रीका की इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी पर उन्हें सबसे पहली सीरीज खेलने आमंत्रित किया।
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उससे पहले, अली बाकर भारत आए- उनके साथ जो पेंस्की (उनके क्रिकेट चीफ) और कृष मैकरधुज (नेल्सन मंडेला की अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के लीडर) भी थे। तब बीसीसीआई चीफ माधवराव सिंधिया थे जो संयोग से क्रिकेट जानते थे तो साथ में सरकार में भी थे और इससे राजनीतिक मुश्किलें सुलझने लगीं। तभी साउथ अफ़्रीकी खिलाड़ियों को भारत आने का वीजा मिला और इसी से जो नाता जुड़ा उसकी बदौलत 1992 में रंगभेद के बाद साउथ अफ्रीका का टूर करने वाला भारत पहला देश बना।