ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट खिलाड़ी और कप्तान ब्रायन बूथ (Brian Booth) को, इस समय, याद करने की दो वजह हैं- एक तो ये कि इन दिनों एशेज सीरीज खेल रहे हैं और दूसरे लगभग 89 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया है। सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को 'गॉड ऑफ़ क्रिकेट' कहने वाले कई हैं, चेन्नई के आस-पास एमएस धोनी (MS Dhoni) के मंदिर हैं पर विश्वास कीजिए एक समय इंग्लैंड के अखबार हेडलाइन में लिखते थे- 'इंग्लैंड जीत नहीं सकता क्योंकि गॉड ब्रायन बूथ की तरफ है।'
बूथ की बात करना महज किसी खिलाड़ी के बारे में बात करना नहीं है। बहुत सी ऐसी बातें हैं जो ये कहने पर मजबूर कर देंगी कि हैरानी है कि ऐसा भी कोई खिलाड़ी था। इंटरनेशनल क्रिकेट करियर में 1960 के शुरुआती दौर में ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी लाइन अप के एक ख़ास खिलाड़ी थे- 29 टेस्ट जिनमें से 2 में कप्तान, 5 शतक, 42.21 औसत और 1,773 रन। अपना सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर 169 बनाया 1963-64 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध ब्रिसबेन में और उस सीरीज में उनके दो शतक थे। 1965 में, चार्ली ग्रिफिथ, वेस हॉल और गैरी सोबर्स के पॉवरफुल वेस्टइंडीज अटैक पर पोर्ट ऑफ स्पेन में एक और शतक बनाया।
1965-66 एशेज सीरीज में बॉब सिम्पसन कप्तान थे पर जिन दो टेस्ट में वे नहीं खेले तो बूथ कप्तान थे। गड़बड़ ये हुई कि उस दौरान बूथ कोई ख़ास बल्लेबाजी नहीं कर पाए और जैसे ही सिम्पसन लौटे- बूथ प्लेइंग इलेवन से भी बाहर। टेस्ट कप्तान से सीधे टीम से बाहर और फिर कभी टेस्ट नहीं खेले। ये तब इतना बड़ा और अनोखा फैसला था कि सिलेक्शन कमेटी के चेयरमैन सर डॉन ब्रैडमैन, बूथ को चिठ्ठी लिखने पर मजबूर हो गए थे- ये बताने के लिए कि ऐसा क्यों हुआ? वह ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में बदलाव का दौर था और नए खिलाड़ी टीम में आ रहे थे- इयान चैपल और कीथ स्टैकपोल उसी सीरीज में टीम में आए थे।