Cricket Tales - हाल ही में, इंग्लैंड में काउंटी चैंपियनशिप के एक मैच में मिडिलसेक्स की दूसरी पारी में नॉटिंघमशायर के सभी 11 खिलाड़ियों ने गेंदबाजी की। इसमें कुछ गलत नहीं पर आम तौर पर ऐसा होता नहीं है- ऐसी नौबत कैसे आ गई कि विकेटकीपर ने भी गेंदबाजी की? इसीलिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ऐसा सिर्फ 63 बार हुआ है- इसमें उस 1880 के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी-जेंटलमैन ऑफ इंग्लैंड मैच को नहीं गिना जिसमें 12 खिलाड़ियों ने गेंदबाजी की (हालांकि मैच फर्स्ट क्लास गिना जाता है)।
नॉटिंघमशायर ने पहली पारी में 551-8 बनाकर मिडलसेक्स को 376 पर आउट कर दिया। फॉलोऑन पारी में मिडिलसेक्स ने 261/1 बनाकर मैच को बेकार कर दिया और तब ड्रा के लिए रुके। जब ये लगभग तय हो गया था कि मैच का रोमांच खत्म हो चुका है तो मेजबान टीम ने अपने ख़ास गेंदबाजों को आराम देकर, बाकी सभी को गेंदबाजी पर लगा दिया। वैसे जब भी टीम के सभी 11 खिलाड़ी गेंदबाजी करें तो जरूर उसके पीछे कोई न कोई ख़ास बात होगी। टेस्ट क्रिकेट में भी ऐसा हो चुका है। एक बार तो भारत की टीम ने भी ऐसा किया था।
ये वेस्टइंडीज-भारत, रिक्रिएशन ग्राउंड, सेंट जॉन्स, मई 2002 के टेस्ट की बात है। आम तौर पर जब भी इस टेस्ट का जिक्र आता है तो अनिल कुंबले की टूटे जबड़े के साथ गेंदबाजी का जिक्र होता है। यह एक बड़ा दिलचस्प टेस्ट था जिसमें विकेटकीपर दो ख़ास रिकॉर्ड के लिए जिम्मेदार थे। पहली बार ऐसा हुआ कि खेल रहे दोनों विकेटकीपर अजय रात्रा (भारत के 513-9 में 115*) और रिडले जैकब्स (वेस्टइंडीज के 629-9 में 118) ने शतक बनाए।