एक खिलाड़ी के IPL कॉन्ट्रैक्ट की जलन में T20 वर्ल्ड कप टाइटल को दांव पर लगा दिया था तब इंग्लैंड वालों ने
2024 टी20 वर्ल्ड कप शुरू होने में ज्यादा दिन नहीं बचे और जो 20 टीम इसमें हिस्सा ले रही हैं उनमें से 19 ने अपनी प्रोविजनल टीम चुन ली है। किस खिलाड़ी को टी20 वर्ल्ड कप टीम में न चुनने
2024 टी20 वर्ल्ड कप शुरू होने में ज्यादा दिन नहीं बचे और जो 20 टीम इसमें हिस्सा ले रही हैं उनमें से 19 ने अपनी प्रोविजनल टीम चुन ली है। किस खिलाड़ी को टी20 वर्ल्ड कप टीम में न चुनने पर हंगामा हो रहा है- शायद एक भी नहीं। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया टीम में अनुभवी बल्लेबाज स्टीव स्मिथ और आईपीएल में चमके जेक फ्रेजर-मैकगर्क को न चुनने की चर्चा तो हो रही है पर खुद ऑस्ट्रेलिया में इस पर कोई विवाद नहीं- कोई हंगामा नहीं हो रहा। टी20 वर्ल्ड कप में 9वां इवेंट खेलने जा रहे हैं और इनमें जिस एक 'नॉन सेलेक्शन' को सबसे विवादास्पद मानते हैं उसके लिए वोटिंग कराएं तो सबसे ज्यादा वोट केविन पीटरसन के किस्से को मिलेंगे। क्या था ये मामला?
सीधे 2010 के टी20 वर्ल्ड कप पर चलते हैं। इंग्लैंड के लिए ये वर्ल्ड कप बड़ा ख़ास रहा था- वे चैंपियन बने और जीत के स्टार में से एक पीटरसन भी थे। कुछ जानकार तो इंग्लैंड के पहली बार कोई आईसीसी टाइटल जीतने की सबसे ख़ास वजह ही पीटरसन को गिनते हैं। पीटरसन ने 6 पारी में 248 रन बनाए 62 औसत और 137+ स्ट्राइक रेट से और उस समय की प्लेइंग कंडीशन में ये गजब का प्रदर्शन था। वे प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी थे। इसलिए जब 2012 के वर्ल्ड कप के लिए टीम चुन रहे थे तो पीटरसन का नाम तो उसमें होना ही था- तब भी इंग्लैंड ने उन्हें नहीं चुना। ये एक ऐसा फैसला था जिसकी जितनी चर्चा इंग्लैंड में हुई- उससे ज्यादा इंग्लैंड से बाहर। कई जगह तो ये भी लिखा गया कि इंग्लैंड ने इस फैसले से उस शोपीस टी20 इवेंट का न सिर्फ आकर्षण ही कम कर दिया, अपने जीतने के आसार भी बहुत कम कर दिए।
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ऐसा हुआ क्यों? विश्वास कीजिए- इस सवाल के जवाब की चर्चा आज भी क्रिकेट की दुनिया में होती है और ये एक बेहतरीन क्रिकेटर के करियर के अंत की शुरुआत थी। 22 अगस्त 2012 को इंग्लैंड ने अपनी प्रोविजनल टीम चुनी और उसमें पीटरसन का नाम नहीं था। सच ये है कि सेलेक्टर्स ने साथ ही, उन दिनों इंग्लैंड में सीरीज खेल रही दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध वनडे और टी20 सीरीज के लिए भी उन्हें टीम में शामिल नहीं किया। ये बड़ा पेचीदा किस्सा है।
दक्षिण अफ्रीका टीम उस सीजन में इंग्लैंड टूर पर थी और पहले दोनों टेस्ट में पीटरसन खेले- लीड्स के दूसरे टेस्ट में तो बेहतरीन 149 भी बनाए। तीसरा टेस्ट लॉर्ड्स में था और इससे पहले बम फटा। ये खबर आई कि पीटरसन, दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों को, इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस की आलोचना करने वाले 'भड़काऊ' टेक्स्ट मैसेज भेज रहे हैं। एक तो अपने ही कप्तान की आलोचना और वह भी दूसरी टीम के खिलाड़ियों को मैसेज में। इससे बात बिगड़ गई।
बड़ा हंगामा हुआ और इंग्लैंड ने फटाफट कार्रवाई करते हुए पीटरसन को लॉर्ड्स टेस्ट की टीम से बाहर कर दिया- पिछले टेस्ट में मैन ऑफ द मैच होने के बावजूद। संयोग से दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध ये टेस्ट इंग्लैंड 51 रन से हार गया। तब लगा था कि ये मामला इसी के साथ खत्म हो जाएगा पर इंग्लैंड ने तो पीटरसन को वाइट बॉल सीरीज की दोनों टीम से भी बाहर कर दिया और वर्ल्ड कप की प्रोविजनल टीम में भी नहीं चुना। उस समय की मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि बड़ी उम्मीद थी कि आख़िरी टीम तय करने की तारीख से पहले बोर्ड और पीटरसन के बीच सुलह हो जाएगी और वे टीम में लौट आएंगे पर ऐसा नहीं हुआ। सेलेक्टर्स के चीफ ज्योफ मिलर की स्टेटमेंट में ये साफ़ था कि नतीजा चाहे जो रहे- इंग्लैंड को, पीटरसन को, टीम में लाने की कोई जल्दी नहीं है।
तब वर्ल्ड कप इवेंट श्रीलंका में था और इंग्लैंड का पहला मैच 21 सितंबर को अफगानिस्तान के विरुद्ध था। जो 15 खिलाड़ी टीम में चुने उनमें से 8 खिलाड़ी, 2010 की पार्टी से थे पर पीटरसन नहीं थे। पीटरसन ने भेजे मैसेज के लिए माफ़ी भी मांग ली और ये भी मान लिया कि ये 'भड़काऊ' मेसेज थे पर टीम के डायरेक्टर एंडी फ्लावर ने कहा- 'भरोसा टूटा है और कप्तान का सम्मान ख़राब किया- ये कुछ ऐसे अनसुलझे मुद्दे हैं जिन्हें हल करना होगा।'
इस मामले पर सुलह के लिए पीटरसन की स्ट्रॉस से मीटिंग की कोशिश की गई पर तीसरे टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका से हार के बाद बौखलाए, इंग्लैंड के कप्तान ने कह दिया- उनकी ऐसी मीटिंग में कोई रुचि नहीं और पीटरसन से जुड़े मुद्दों को 'हल होने में थोड़ा समय लगेगा।' रिकॉर्ड में ये दर्ज है कि तब बोर्ड की पॉलिसी यही थी कि पीटरसन को सबक सिखाना है और एक तरह से इस बेहतरीन बल्लेबाज के करियर को खत्म करने का रास्ता बना दिया था।
कई मीडिया रिपोर्ट ये भी कहती हैं कि इस किस्से को इतना लंबा खींचने के पीछे एक और मुद्दे की सुलगती आग थी। तब आज की तरह से ढेरों टी20 लीग नहीं थीं और न ही दूसरे देशों के क्रिकेट बोर्ड आज की तरह से, आसानी से अपने खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलने के लिए एनओसी देते थे। पीटरसन आईपीएल में खेलते थे और इंग्लैंड के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट भी यानि कि उनका दोनों से पैसा कमाना कई को इंग्लैंड में रास नहीं आ रहा था। टेक्स्ट स्कैंडल से पीटरसन ने उन्हें मौका दे दिया इसका हिसाब बराबर करने का। खुद कोच एंडी फ्लावर को उनके लिए आईपीएल की रियायत पसंद नहीं थी। आज ढेरों इंग्लिश क्रिकेटर आईपीएल खेलते हैं और बोर्ड उन्हें काउंटी सीजन की कीमत पर भी आईपीएल खेलने और पैसा कमाने का मौका देता है।
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2010 की चैंपियन टीम इंग्लैंड, 2012 में दूसरे राउंड से आगे नहीं बढ़ पाई (वेस्टइंडीज और श्रीलंका दोनों ने हराया) पर किसे चिंता थी? पीटरसन इंटरनेशनल क्रिकेट में वापस लौटे पर इस विवाद की कीमत चुकाई। असर उनकी क्रिकेट पर आ चुका था- सिर्फ एक टी20 इंटरनेशनल और खेले जून 2013 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध ओवल में।