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अब रोहित शर्मा को हटाया तो शोर हुआ,क्या किसी को याद है जब मुंबई इंडियंस ने उन्हें कप्तान बनाया था तो क्या हालात थे?

आईपीएल 2024 से पहले, आईपीएल से जुड़ी, जिस स्टोरी की सबसे ज्यादा चर्चा रही वह है रोहित शर्मा (Rohit Sharma) को मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) के कप्तान के तौर पर हटाना। वे ट्रेड के जरिए गुजरात टाइटंस से हार्दिक पांड्या

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अब रोहित शर्मा को हटाया तो शोर हुआ,क्या किसी को याद है जब मुंबई इंडियंस ने उन्हें कप्तान बनाया था तो
अब रोहित शर्मा को हटाया तो शोर हुआ,क्या किसी को याद है जब मुंबई इंडियंस ने उन्हें कप्तान बनाया था तो (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Mar 26, 2024 • 04:37 PM

हैरानी है किसी ने भी इस मौके पर ये याद नहीं किया कि खुद रोहित शर्मा कैसे कप्तान बने थे मुंबई इंडियंस के? जो मुंबई इंडियंस ने अब रोहित शर्मा के साथ किया- वैसा वे पहले भी कर चुके हैं और इसीलिए जो इस टीम के काम करने की स्टाइल को जानते हैं, उन्हें मौजूदा किस्से पर कतई हैरानी नहीं हुई। 

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
March 26, 2024 • 04:37 PM

इस स्टोरी के लिए सीधे आईपीएल के पहले सीजन पर चलते हैं। 2007 में भारत ने टी20 वर्ल्ड कप जीता और उसकी चमक का युवा रोहित शर्मा को भी फायदा हुआ और नीलाम में डेक्कन चार्जर्स (अब ये टीम नहीं खेलती) ने उन्हें 3 करोड़ रुपये (750,000 डॉलर) में खरीदा। एडम गिलक्रिस्ट इस टीम के कप्तान थे और बड़े प्रभावित थे रोहित शर्मा से। 'कप्तान' के तौर पर ग्रूम करना शुरू कर दिया। रोहित शर्मा का दिल तो बहरहाल मुंबई में था और उनकी चाह भी पूरी हो गई- मुंबई इंडियंस ने 2011 में मेगा-नीलामी में रोहित पर 20 लाख डॉलर (9.20 करोड़ रुपये) खर्च कर दिए। मजे की बात ये है कि इस वक्त तक रोहित शर्मा टॉप फॉर्म में नहीं थे और 2011 वर्ल्ड कप टीम में भी नहीं चुना था। तब भी, मुंबई इंडियंस ने भविष्य देखा और अपने शहर का ही कोई मिल जाए- इससे बेहतर और क्या हो सकता था?

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स्कीम ये थी पर चूंकि सचिन तेंदुलकर तब कप्तान थे- किसी ने भी इस लाइन पर नहीं सोचा। तब मुंबई इंडियंस टीम में हरभजन सिंह भी थे। आम तौर पर वे ही कप्तान बनने के अगले दावेदार थे। जब 2011 चैंपियंस लीग के लिए सचिन उपलब्ध नहीं थे तो हरभजन को ही कप्तान बनाया। संयोग से हरभजन सिंह ने तो मुंबई इंडियंस के लिए टाइटल जीत लिया। एक रिकॉर्ड नोट कीजिए- वास्तव में हरभजन  मुंबई इंडियंस के पहले कप्तान हैं और टीम के लिए टाइटल जीतने वाले भी पहले कप्तान। 2011 चैंपियंस लीग टीम में सचिन तेंदुलकर और लसिथ मलिंगा जैसे टॉप क्रिकेटर नहीं थे और एक युवा टीम के साथ हरभजन ने टाइटल जीता- वे खुद बल्लेबाज और गेंदबाज के तौर पर भी चमके।

इसलिए जब 2012 आईपीएल सीजन से पहले सचिन ने कप्तानी छोड़ी तो हरभजन का कप्तान बनना महज ओपचारिकता लगा- वास्तव में टीम की नजर में ये महज एक स्टॉप गैप इंतजाम था। 2012 सीजन में मुंबई इंडियंस प्ले ऑफ में तो पहुंचे पर नंबर 4 रहे, वर्ल्ड कप के बाद टीम इंडिया में भी हरभजन को झटका लगना शुरू हो गया था और आईपीएल 2012 में हरभजन ने 11 पारी में 108 रन बनाए, 17 मैच की जिन 16 पारी में गेंदबाजी की उनमें सिर्फ 6 विकेट लिए- इकॉनमी रेट 7+ और स्ट्राइक रेट 50 से भी ज्यादा। इसी के साथ-साथ टीम ने ये भी नोट किया कि हरभजन 33+ साल के हैं,  उनका टीम इंडिया करियर लगभग खत्म और ये सब टीम की भविष्य की स्कीम में फिट नहीं हो रहा था। तब तक, रोहित शर्मा को ग्रूम ही किया जा रहा था। 

ऐसे में टीम ने एक नया काम किया- नीलाम में ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग को खरीद लिया। पोंटिंग सीधे कप्तान बना दिए गए पर वे साथ-साथ टीम असिस्टेंट कोच/मेंटोर भी थे। हरभजन की कप्तानी की उम्मीद एकदम हवा हो गई। पोंटिंग कप्तान बनने से इतने उत्साहित थे कि टीम के सभी विदेशी क्रिकेटर में से सबसे पहले भारत आ गए और टीम बॉन्डिंग पर बड़ा जोर दिया। ये सब तो ठीक था पर उनका बैट उनसे रूठ गया और 5 मैच की 5 पारी में सिर्फ 52 रन बनाए। इससे ज्यादा वे झेलने की हालत में ही नहीं थे और सीजन के बीच में ही न सिर्फ कप्तानी छोड़ दी, बेंच पर बैठ गए। तेंदुलकर तो खैर कप्तानी छोड़ ही चुके थे पर हरभजन और कीरोन पोलार्ड अभी भी टीम में थे। मुंबई इंडियंस ने इन्हें नहीं, भविष्य को देखा और रोहित शर्मा को कप्तान बना दिया। 

वह 21 अप्रैल 2013 का दिन था और मुंबई इंडियंस ने कोटला में दिल्ली डेयरडेविल्स से मैच खेला। ये ऐसा आख़िरी मैच था जिसमें पोंटिंग कप्तान थे और टीम 9 विकेट से हार गई। टीम मैनेजमेंट की सोच को पोंटिंग का भी वोट मिला और रोहित को कप्तानी सौंपने का सुझाव दिया। ये एक ऐसा कदम था जो मास्टर स्ट्रोक तो साबित हुआ पर मुंबई की कप्तान के मामले में सोच का एक और सबूत मिला। वे भविष्य की तैयारी में, टीम का फायदा देखते हैं- ठीक अपने बिजनेस की तरह और उसमें भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं। 

रोहित के कप्तान बनने के बाद, हरभजन के लिए काउंटडाउन की शुरुआत हो गई। तब तो फिर भी, टीम में से ही किसी को कप्तान बनाया- इस बार टीम के अन्य सीनियर छोड़कर किसी दूसरी टीम से 'कप्तान' ले आए। 

24 अप्रैल 2013- सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन था। उसी दिन ईडन गार्डन्स में, रोहित शर्मा ने, मुंबई इंडियंस के कप्तान के तौर पर पहली बार टॉस किया। बचे सीजन में टीम सिर्फ 3 और मैच हारी और फाइनल में सीएसके को हराकर अपना पहला टाइटल जीते। रोहित शर्मा ने 5 आईपीएल टाइटल कप्तान के तौर पर जीते हैं। पोंटिंग बेंच पर ही बैठे रह गए जबकि जॉन राइट और अनिल कुंबले बैक-रूम टीम में थे। हरभजन खुश नहीं थे, ये कहना सही नहीं होगा- दरअसल वह गुस्से में थे। आखिरकार वे दूसरी फ्रेंचाइजी के लिए खेलने लगे पर ये तय है कि टीम मैनेजमेंट ने भविष्य देखा। हरभजन की उम्र बढ़ रही थी और वे टीम इंडिया से भी बाहर हो रहे थे। भले ही, 2013 सीज़न में हरभजन को कप्तानी की जिम्मेदारी के बिना गेंदबाजी का फायदा मिला और 24 विकेट लिए- पिछले सीज़न से चार गुना ज्यादा और 2014 में भी 6.47 के असाधारण इकॉनमी रेट से 14 विकेट लिए पर वे कभी भूल नहीं पाए कि वे तो कप्तान बनने के बारे में सोच रहे थे और टीम ने नीलामी में पोंटिंग को खरीद लिया। उसके बाद भी जब मौका आया तो भी उन्हें कप्तान नहीं बनाया। 

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मुंबई इंडियंस मुश्किल फैसले लेने के लिए मशहूर है- अंबाती रायडू और हरभजन सिंह को रिलीज करना हो या कीरोन पोलार्ड को टीम से बाहर करना, उसके लिए भावना को कभी हावी नहीं होने दिया।
 

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