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क्वार्टर फाइनल में हारीं लवलीना, मुक्केबाजी में भारत की मेडल की आस खत्म

Lovlina Borgohain: पेरिस ओंलपिक में भारत की मुक्केबाजी में मेडल की आस समाप्त हो चुकी है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज लवलीना बोर्गोहेन इस बार चूक गईं और क्वार्टर फाइनल में मिली हार के साथ प्रतियोगिता से बाहर हो चुकी हैं।

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IANS News
By IANS News August 04, 2024 • 16:26 PM
Paris: India's Lovlina Borgohain and Norway's Sunniva Hofstad in action during women's boxing 75 kg
Paris: India's Lovlina Borgohain and Norway's Sunniva Hofstad in action during women's boxing 75 kg (Image Source: IANS)

Lovlina Borgohain: पेरिस ओंलपिक में भारत की मुक्केबाजी में मेडल की आस समाप्त हो चुकी है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज लवलीना बोर्गोहेन इस बार चूक गईं और क्वार्टर फाइनल में मिली हार के साथ प्रतियोगिता से बाहर हो चुकी हैं।

75 किलोग्राम भारवर्ग में भारत की लवलीना का सामना रविवार को चीन की विश्व नंबर एक चीन की ली कियान से था। लवलीना हार गईं और पुरुष-महिला मुक्केबाजी में भारत की चुनौती समाप्त हो गई।

लवलीना को महिलाओं के 75 किग्रा भार वर्ग की क्वार्टर फाइनल बाउट में चीन की ली कियान से एकतरफा हार का सामना करना पड़ा। लवलीना को चीनी खिलाड़ी ली कियान ने 4-1 से शिकस्त दी।

निखत ज़रीन के बाहर होने के बाद लवलीना पदक जीतने की प्रबल दावेदार थी। लेकिन शीर्ष वरीयता प्राप्त चीनी मुकेबाज ने लवलीना के खिलाफ यह मुकाबला आसानी से जीत लिया।

जीत से लवलीना के लिए पदक पक्का हो जाता, क्योंकि ओलंपिक मुक्केबाजी में दो कांस्य पदक दिए जाते हैं, जिसमें दो हारने वाले सेमीफाइनलिस्ट को कांस्य मिलता है।

टोक्यो 2020 में, लवलीना ने 69 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता। इससे पहले विजेंदर सिंह और मैरी कॉम के बाद ओलंपिक में पदक जीतने वाली केवल तीसरी भारतीय मुक्केबाज बनी थीं।

हालांकि, उन्होंने इस बार 69 किग्रा वर्ग में नहीं, बल्कि 75 किग्रा वर्ग में भाग लिया जिसके लिए उन्हें और अधिक मेहनत करनी पड़ी।

असम की मुक्केबाज ने अपने नए वर्ग में अच्छी तरह से खुद को ढाल लिया था और उसी में मौजूदा विश्व चैंपियन बनीं।

मौजूदा ग्रीष्मकालीन खेलों में एकमात्र सीड प्राप्त भारतीय मुक्केबाज, लवलीना ने इस सप्ताह की शुरुआत में नॉर्वे की सुन्नीवा हॉफस्टेड के खिलाफ 5-0 की सर्वसम्मति से जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की।

असम की मुक्केबाज ने अपने नए वर्ग में अच्छी तरह से खुद को ढाल लिया था और उसी में मौजूदा विश्व चैंपियन बनीं।

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Article Source: IANS


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