टाइटल स्पांसर के लिए बीसीसीआई-सीओए की टेंडर प्रक्रिया पर उठे सवाल
नई दिल्ली, 27 जुलाई | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) कार्यकारियों ने फैसला किया है कि बोर्ड की टाइटल स्पांसर के लिए टेंडर प्रक्रिया 29 जुलाई को शुरू होगी और यह एम जंक्शन के साथ मिलकर आयोजित की जाएगी, लेकिन...
नई दिल्ली, 27 जुलाई | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) कार्यकारियों ने फैसला किया है कि बोर्ड की टाइटल स्पांसर के लिए टेंडर प्रक्रिया 29 जुलाई को शुरू होगी और यह एम जंक्शन के साथ मिलकर आयोजित की जाएगी, लेकिन बोर्ड के अधिकारी इससे खुश नहीं हैं कि नीलामी प्रक्रिया के आवेदन ऑनलाइन खरीदी और दाखिल की जाएगी और ई-नीलामी तभी होगी जब इसकी जरूरत होगी। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रक्रिया में पारदíशता नहीं है।
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि ई-नीलामी की जो प्रक्रिया मीडिया राइट्स के समय लागू की गई थी उसमें अचानक से बदलाव लोढ़ा समिति की के प्रस्ताव के खिलाफ है।
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अधिकारी ने कहा, "लोढ़ा समिति ने जो पहली चीज प्रस्तावित की थी वो पारदर्शिता थी। और अब सीओए की आंख के नीचे यह सब हो रहा है जो पूर्व में सीएजी रह चुके हैं। हमें इस पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि भारतीय क्रिकेट के मीडिया राइट्स की नीलामी के समय जो ई-नीलामी प्रक्रिया का पालन किया गया था वो अलग थी। इस प्रक्रिया में बदलाव क्यों?"
अधिकारी ने कहा, "तो अब आपका कहना है यह है कि पहले वित्तीय नीलामी की जाएगी और फिर अगर जरूर पड़ी तो ई-नीलामी की जाएगी। इस प्रक्रिया पर शक होना स्वाभविक है। यह हैरान करने वाली बात है कि प्रक्रिया अचानक से बदल दी गई और इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं दी गई। मुझे उम्मीद है कि कोई किसी को फायदा पहुंचाने के बारे में नहीं सोच रहा होगा। यहां सीधे ई-नीलामी होनी चाहिए थी।"
प्रक्रिया के बारे में बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा, "टेंडर प्रक्रिया के आमंत्रण (आईटीटी) के अंर्तगत जो नीलामी जीतेगी उसे टाइटल स्पांसर का अधिकार दिया जाएगा और यह करार सितंबर 2019 से 31 मार्च 2023 के बीच तक होगा।"
जौहरी ने बताया, "नीलामी कागजात खरीदने से लेकर जमा करने तक सभी कुछ ऑनलाइन होगा वो भी एमजंक्शन के पोर्टल से।"
बीसीसीआई के एक और अधिकारी ने कहा कि प्रक्रिया में अचानक से बदलाव सही नहीं है।
उन्होंने कहा, "जब बीसीसीआई के मीडिया राइट्स की ई-नीलामी की गई थी तब इसने रिकार्ड कामई की थी। यह इसलिए हुआ था कि क्योंकि अधिकारियों ने सीओए को ऐसा करने पर मजबूर किया था।"
उन्होंने कहा, "लेकिन अब प्रक्रिया को किसने बदला? लोढ़ा समिति ने साफ कह दिया है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। नीलामी के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।"