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वर्किंग ग्रुप का बनना मनोहर का आईसीसी में रहने का एक और दांव

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर | अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की हालिया बैठक में जिम्बाब्वे को दोबारा अंतर्राष्ट्रीय टीम का दर्जा देने के लिए चर्चा में रही थीं, लेकिन इस बैठक में एक बड़ी बात जो रही वो आस्ट्रेलिया के...

Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat October 22, 2019 • 15:18 PM
वर्किंग ग्रुप का बनना मनोहर का आईसीसी में रहने का एक और दांव Images
वर्किंग ग्रुप का बनना मनोहर का आईसीसी में रहने का एक और दांव Images (twitter)
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नई दिल्ली, 22 अक्टूबर | अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की हालिया बैठक में जिम्बाब्वे को दोबारा अंतर्राष्ट्रीय टीम का दर्जा देने के लिए चर्चा में रही थीं, लेकिन इस बैठक में एक बड़ी बात जो रही वो आस्ट्रेलिया के इर्ल एडिंग्स के नेतृत्व में वर्किं ग ग्रुप का निर्माण, जिसने बीसीसीआई के नए अधिकारियों को सकते में डाल दिया है।

बोर्ड के भावी अधिकारियों में से एक ने आईएएनएस से कहा कि इस तरह की चीजों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है और आईसीसी द्वारा बीसीसीआई के कोने में पटकने की नीति का तुरंत जवाब दिया जाना चाहिए।

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अधिकारी ने कहा, "बीते कुछ वर्षो में जो हुआ वो अब अतीत की बात हो गई है। अगले दो दिनों में हम कई बैठक करेंगे और इसमें एक मुख्य बिंदु यह रहेगा कि आईसीसी में भारत का क्या रूख रहेगा। कुछ तरह के कदम उठाने के लिए हमें अलग सोच के साथ जाना होगा। नए वर्किं ग ग्रुप का निर्माण का मतलब है कि आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर हो सकता है कि 2020 से 2022 तक के अगले कार्यकाल पर नजरें गड़ाएं हों।"

अधिकारी ने कहा, "पहली बात तो यह है कि वर्किं ग ग्रुप आगे क्या काम करेगा इसके लिए कोई खाका पेश नहीं किया गया है और अगर मनोहर पद पर बने रहना चाहते हैं तो, ग्राउंडवर्क फरवरी-2020 से चालू हो जाना चाहिए। आप ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते कि एडिंग्स के नेतृत्व वाली टीम मनोहर के मई-2020 में खत्म होने वाले कार्यकाल से पहले कोई बड़ी बातें सामने रखे।"

उन्होंने साथ ही कहा कि बीसीसीआई की नई टीम युवा है इसलिए वो आईसीसी की कार्यशैली को समझने के लिए एक सलाहकार रख सकते हैं जो नए अधिकारियों को मार्गदर्शन दे।

उन्होंने कहा, "यह टीम युवा है और इनके पास न सिर्फ छाप छोड़ने का मौका है बल्कि अपनी विरासत को भी छोड़ने का मौका है। लेकिन जब आईसीसी की कार्यशैली की बात आती है तो हमें ऐसा कोई साथी चाहिए होगा जो हमें मामलों को लेकर सालह दे सके। वो शख्स वो भी हो सकता है तो आईसीसी में रह चुका हो, लेकिन मौजूदा समय में बीसीसीआई से जुड़ा न हो।"

उन्होंने कहा, "धीरे-धीरे भारतीय प्रतिनिधित्व को कम करना इस खेल के लिए सही नहीं होगा और इसे समझना चाहिए। आखिकार, हम जानते हैं कि पैसा कहां से आता है। अगर हम आगे नहीं बढ़ेंगे और बीसीसीआई की साख तो दोबारा स्थापित करने की कोशिश नहीं करेंगे तो, कौन करेगा?"

वर्किं ग ग्रुप में एडिंग्स के अलावा न्यूजीलैंड के ग्रे बार्कले, क्रिकेट स्कॉटलैंड के टोनी ब्रायन, पाकिस्तान के एहसान मनी, दक्षिण अफ्रीका के क्रिस नेनजानी, और वेस्टइंडीज के रिकी स्केरिट।

बीसीसीआई के नए कार्यकारी ने साथ ही कहा कि सिंगापुर के इमरान ख्वाजा का आईसीसी की कई समितियों में होने का क्या औचित्य है। ख्वाजा आईसीसी की वित्तीय समिति, नोमिनेशन समिति, डेवलपमेंट समिति के अध्यक्ष हैं।

कार्यकारी ने आईएएनएस से कहा, "इसलिए हम कह रहे हैं कि बीसीसीआई और ईसीबी को ख्वाजा की जरूत है? यह समझना बेहद मुश्किल है कि क्यों सिर्फ बिग थ्री मॉडल को देखा जाता और बाकी सब को नजरअंदाज किया जाता है। सवाल पूछने की जरूरत है और नए अधिकारी वो करेंगे।"

उन्होंने कहा, "जिम्बाब्वे को दोबारा दर्जा दे दिया गया क्योंकि वो आईसीसी बोर्ड की शर्तो को मानने को तैयार हो गया, क्या हम कह रहे हैं कि भविष्य में देश में कोई भी सरकार दखलअंदाजी नहीं होगी।


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