Cricket Tales - की घरेलू क्रिकेट के संदर्भ में, अगर मुंबई का रिकॉर्ड सबसे जोरदार है तो इसके पीछे कई वजह हैं और इन्हीं में से एक है उनके खिलाड़ियों का खड़ूस रवैया। टेलेंट ऐसी कि भारत की टेस्ट टीम में मुंबई के 5-6 खिलाड़ियों का खेलना तो एक आम बात थी। कहते थे भारत की टेस्ट टीम में आना जितना मुश्किल है- उससे ज्यादा मुश्किल है मुंबई की टीम में आना। एक मैच न खेलो तो दूसरा खिलाड़ी इतना अच्छा खेल जाएगा कि टीम में जगह गई। कहां अब शादी के चक्कर में खिलाड़ी मैच/सीरीज नहीं खेलते- मुंबई के एक खिलाड़ी ने तो अपनी शादी के लिए रणजी मैच तक नहीं छोड़ा इस डर से कि जो जगह लेगा, वह अच्छा खेल गया तो अपनी जगह गई।
ये बड़ा मजेदार किस्सा है और इसके साथ नाम जुड़ा है ओपनर बल्लेबाज सुधाकर अधिकारी (Sudhakar Adhikari) का जिनका कुछ दिन पहले 82 साल की उम्र में निधन हो गया। जब उन अभाग्यशाली क्रिकेटरों की लिस्ट बनाते हैं जो टेलेंट के बावजूद टेस्ट नहीं खेल पाए तो कई जानकार उस लिस्ट में इनका नाम भी लिखते हैं- वे टेस्ट कैप के हकदार थे। कहते हैं वे गणित में बहुत अच्छे थे।
कई बेहतरीन पारी खेले। फारुख इंजीनियर और अधिकारी ने ईडन गार्डन्स में 1962-63 में बंगाल के विरुद्ध रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में, पहले विकेट के लिए 269 रन जोड़े थे। खुशमिजाज इंसान जो ड्रेसिंग रूम में तनाव का माहौल बनने ही नहीं देते थे। कुछ बातें उनकी क्रिकेट की :
- चार रणजी ट्रॉफी फाइनल में मुंबई टीम का हिस्सा थे- 1959-60 में मैसूर और 1961-62, 1963-64 और 1965-66 में राजस्थान के विरुद्ध।
- 1959-1971 के बीच 65 प्रथम श्रेणी मैच- 11 शतकों के साथ 3,779 रन।
- 1962-63 में ब्रेबोर्न स्टेडियम में रेस्ट ऑफ़ इंडिया के विरुद्ध ईरानी कप मैच में मुंबई के लिए 173 रन।
- सर्वश्रेष्ठ स्कोर : 1961-62 में पुणे में महाराष्ट्र के विरुद्ध 192 रन।
- 1962 में ब्रेबोर्न स्टेडियम में इंटरनेशनल इलेवन के विरुद्ध सीसीआई प्रेसीडेंट्स इलेवन के लिए 150 रन बनाए उस गेंदबाजी पर जिसमें हेरोल्ड रोड्स (इंग्लैंड), रिची बेनो, इयान मेकिफ और बॉब सिम्पसन (ऑस्ट्रेलिया) और सन्नी रामाधीन (वेस्टइंडीज) जैसे गेंदबाज थे। ये पारी सिम्पसन को याद रही और इसीलिए जब 1964-65 में टेस्ट सीरीज में, अधिकारी को न खेलते देखा तो बड़े हैरान हुए थे।
- रणजी ट्रॉफी में अपनी पहली गेंद पर छक्का लगाया।
- लगातार 50 सालों तक कांगा लीग में खेले !
अधिकारी के नाम के साथ जुड़ा सबसे मशहूर किस्सा है- अपनी शादी के दिन भी रणजी ट्रॉफी मैच खेलना और सही समय पर ब्रेबोर्न स्टेडियम पहुंच जाना क्योंकि कप्तान ने कह दिया था कि लेट हुए तो टीम से बाहर। ऐसे में खिलाड़ी पर दबाव का अंदाजा लगाइए और अधिकारी ने तो उस दिन सेंचुरी ठोक दी थी। इसके बाद रिसेप्शन के लिए वापस भागे। महाराष्ट्र की टीम में तब वसंत रंजने, सदानंद महाल और चंदू बोर्डे जैसे गेंदबाज थे।