Advertisement
Advertisement
Advertisement

दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन ने 2 साल में मुकदमेबाजी पर खर्च किए 9 करोड़ रुपये

दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) ने बीते दो साल में मुकदमेबाजी पर तकरीबन नौ करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस बात पर रविवार को हुई शीर्ष परिषद की बैठक में चर्चा हुई और फैसला किया गया कि वकील अंकुल

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma September 14, 2020 • 23:13 PM
Delhi and District Cricket Association
Delhi and District Cricket Association (IANS)
Advertisement

दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) ने बीते दो साल में मुकदमेबाजी पर तकरीबन नौ करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस बात पर रविवार को हुई शीर्ष परिषद की बैठक में चर्चा हुई और फैसला किया गया कि वकील अंकुल चावला व गौतम दत्ता को तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाए, ताकि खर्चो की जांच की जा सके।

परिषद ने मुकदमेबाजी पर खर्च को नियंत्रित करने के लिए तो कदम उठाए हैं, लेकिन उसने डीडीसीए के इंटरनल ऑडिटर्स द्वारा जारी फोरेंसिक ऑडिट को भी रोक दिया है। इस कदम पर परिषद के कुछ सदस्यों ने सवाल उठाए और नए फोरेंसिक ऑडिटर की नियुक्ति के लिए पारदर्शी तरीके से बोली लगाने का फैसला किया। फोरेंसिक ऑडिट को चालू हुए एक सप्ताह हो गया था।

Trending


परिषद ने दत्ता द्वारा हस्ताक्षर किए गए सभी वकालतनामों को वापस लेने का फैसला किया है।

शीर्ष परिषद के एक अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि परिषद के 18 सदस्यों में 11 जिनमें से तीन हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए थे, "रविवार की बैठक में जुलाई-2018 से अब तक खर्च की गई रकम जानकर हैरान रह गए, जिसमें वकीलों और पेशेवर लोगों को भर्ती करने के लिए खर्च किया गया पैसा भी शामिल है। कानूनी खचरें की भी जांच की गई।"

डीडीसीए के पूर्व महासचिव अनिल खन्ना की पत्नी रेणु खन्ना ने रविवार को हुई बैठक की अध्यक्षता की थी। रोचक बात यह है कि डीडीसीए के सभी अधिकारियों को इस समय लोकपाल या कोर्ट द्वारा निलंबित कर रखा है।

सीनियर वकील मनिंदर सिंह की अध्यक्षता में नई कानूनी समिति का गठान किया गया है, जो डीडीसीए के सभी कानूनी मामलों को देखेगी, जिसमें। सुनील यादव और रजनी अब्बी कानूनी समिति के बाकी सदस्य हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया है। सरकार द्वारा नियुक्त किए गए तीन लोगों में से रजनी और सुनील के अलावा मनिंदर भी शामिल हैं।

बैठक के माइन्यूट के मुताबिक, जो आईएएनएस के पास मौजूद हैं में लिखा है, "शीर्ष परिषद की मंजूरी से गौतम दत्ता (परामर्शदाता, लीगर रिटेनर) विनोद तिहारा (डीडीसीए के निलंबित सचिव) द्वारा नियुक्त किए गए सभी वकीलों को हटाया जाता है। अंकुर चावला को भी हटाया जाता है और वह किसी भी फोरम पर डीडीसीए का पक्ष रखते हुए दिखाई नहीं देंगे।"

माइन्यूट में लिखा है, "परिषद ने सौरभ गुप्ता को परामर्शदाता और लीगल रिटेनर के तौर पर दोबारा नियुक्त करने का फैसला किया है वो भी उन्हीं शर्तों पर जो दो साल पहले उनके करार का हिस्सा थीं।"

चड्ढा ने आईएएनएस से कहा, "परिषद द्वारा लिए गए सभी फैसले तत्तकाल प्रभाव से लागू किए जाएंगे।"

शीर्ष परिषद ने कहा, "दत्ता द्वारा लिए गए फैसले सवाल खड़े करते हैं। यह देखा गया है कि गौतम दत्ता द्वारा लिए गए फैसले विवादित हैं और कंपनी के हित में नहीं थे। वह कंपनी की तरफ से वकीलों के साथ लगातार संपर्क में रहते थे वो भी बिना किसी अधिकार और कंपनी के आदेश के। इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में पैसा गया है। स्टाफ की तरफ से भी कई तरह की शिकायतें रहती थीं कि वह प्रशासन के कामों में दखल दे रहे हैं। जब से उन्होंने रिटेनर के रूप में कामकाज संभाला था तब से डीडीसीए ने कानून खचरें पर 3.5 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च की थी। उनके काम डीडीसीए के हित में नहीं थे।"

वहीं शीर्ष परिषद के चुने हुए निदेशक संजय भारद्वाज ने इस बैठक को गैरकानूनी बताया है।

संजय ने आईएएनएस से कहा, "यह बैठक निश्चित तौर पर गैर कानूनी है। सरकार द्वारा नियुक्त किए गए तीन सदस्यों का डीआईएन नंबर नहीं आया है, ऐसे में वो कैसे बैठक में हिस्सा ले सकते हैं। साथ ही उन्होंने बीते दो साल की फोरेंसिंक ऑडिट को भी रोक दिया। क्यों?"

जब इस मामले में दत्त से बात की गई तो उन्होंने आईएएनएस से कहा, "एक तरह से यह अच्छा है, उन्होंने मुझे हटा दिया और गैरकानूनी तरीकों को दोबारा जगह दी, इस प्रक्रिया में उन्होंने अपने आप को ही एक्सपोज कर दिया। डीडीसीए में इस समय जारी फोरेंसिंक ऑडिट, जिसके लिए मुझे लोकपाल ने नियुक्त किया था, वो डीडीसीए को हिला देता और कई लोगों के नकाब उतार देता इसलिए यह सब कुछ किया गया। इन विचारों के पास मुझे हटाने के अलावा कोई और चारा नहीं था। हालांकि वो भूल गए हैं कि भ्रष्ट लोग और भ्रष्टाचार छुपते नहीं हैं और मैं हर हालत में क्रिकेट के गुनाहगारों को सजा दिलवाऊंगा।"

उन्होंने कहा, "वकीलों को दिए गए पैसे के जो आरोप हैं वो शीर्ष परिषद के सदस्यों द्वारा भ्रष्टाचार को छुपाने के बहाने हैं। दिसंबर 2018 में हुई आखिरी एजीएम से हर साल तीन करोड़ रुपये पूर्व अध्यक्ष की निजी मुकदमेबाजी और सचिव के साथ चल रही राजनैतिक लड़ाई में खर्च होते थे, लेकिन कोई इस बारे में बात नहीं करेगा। रोचक बात यह है कि सरकार द्वारा जो लोग नियुक्त किए गए हैं उनमें से एक सचिव के खिलाफ डीडीसीए की तरफ से केस लड़ रहा था और उनकी फर्म को बड़ी रकम दी गई। उम्मीद है कि हम लोढ़ा समिति की हितों की टकराव की सिफारिश को नहीं भूले होंगे।" 
 


Cricket Scorecard

Advertisement