IND vs ENG: क्रिकेट के गलियारे में 'पिंक बॉल लैकर' को लेकर चर्चा तेज, कप्तान कोहली के मुताबिक 'तेज गेंदबाजों को मिलेगी मदद'
मोटेरा स्टेडियम में धीरे धीरे पिच से घास हटा दी गई है, जिसकी कई तस्वीरें इंग्लैंड टीम की मीडिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी की है। पिच पर अब कुछ ही घास बचे है, ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण
"इसमें एक बिना कलर के और चार कोट्स पिंक कलर के होते हैं, जिस पर लेकर (एक खास तरल, जोकि किसी लकड़ी, शीशा या फिर चमड़े को चमकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चमक लाने के लिए इन चीजों पर इसकी मल्टीपल कोटिंग की जाती है) के कोट्स लगाए जाते हैं। इसी वजह से गुलाबी गेंद लाल गेंद की तुलना में लंबे समय तक चमकती रहती है।"
मेरठ स्थित एसजी कंपनी जो बॉल बनाती है, उसका इस्तेमाल भारत में टेस्ट क्रिकेट और घरेलू टूर्नामेंटों में किया जाता है। आनंद ने कहा, " रेड बॉल पर कलर का कोट्स नहीं होता है। केवल लाल रंग का चमड़ा होता है। इसके बाद इसे चमकाने के लिए केवल लैकर का इस्तेमाल किया जाता है।"
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उन्होंने कहा कि आमतौर पर पिंक बॉल 20-25 ओवर तक चमकती रहती है जबकि रेड बॉल केवल 10-15 ओवर तक ही चमकती है। इसका मतलब है कि तेज गेंदबाजों को पिंक बॉल से अधिक ओवर करने के मिलेंगे।
मोटेरा की पिच पर घास नहीं है, जिसका मतलब है कि पिंक बॉल 25 ओवर से भी ज्यादा समय तक अपनी चमक बरकरार रख सकती है। टेस्ट क्रिकेट में तीन तरह की गेंदों का इस्तेमाल होता है। इनमें ड्यूक गेंदें इंग्लैंड में बनाई जाती है जबकि भारत में एसजी पिंक बॉल टेस्ट और कभी कभी बांग्लादेश में भी इसका इस्तेमाल होता है।
तीसरा और सबसे प्रसिद्ध कूकाबुरा गेंद होती है, जोकि सात देशों-आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे और बांग्लादेश में इस्तेमाल होती है। चूंकि कूकाबुरा का बाहरी सीम मशीन से सिला हुआ है, इसलिए स्पिनरों के लिए इस गेंद को पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
कूकाबुरा के विपरीत, एसजी गेंद के बाहरी सीम, जैसे कि अपने आंतरिक सीम, हाथ से सिले हुए हैं और यह स्पिनरों के लिए इस गेंद को पकड़ने में आसानी होती है। इसका सीम लंबे समय तक रहता है।
ड्यूक बॉल भी एसजी के समान ही सुंदर है क्योंकि इसका सीम भी स्पष्ट है। हालांकि, यह केवल इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और आयरलैंड में ही उपयोग किया जाता है।