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भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना ने जीता दिल, ब्लड कैंसर मरीजों के समर्थन में आए आगे 

भारत के लिए 13 वर्षो तक प्रतिनिधित्व करने के बाद पूर्व ऑलराउंडर सुरैश रैना (Suresh Raina) भारत में ब्लड कैंसर मरीजों के समर्थन तथा इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आगे आए हैं। रैना ने गैर सरकारी संगठन डीकेएमएस...

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Cricket Image for भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना ने जीता दिल, ब्लड कैंसर मरीजों के समर्थन में आए आगे 
Cricket Image for भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना ने जीता दिल, ब्लड कैंसर मरीजों के समर्थन में आए आगे  (Suresh Raina, Image Source: Twitter)
IANS News
By IANS News
Mar 25, 2021 • 02:21 PM

भारत के लिए 13 वर्षो तक प्रतिनिधित्व करने के बाद पूर्व ऑलराउंडर सुरैश रैना (Suresh Raina) भारत में ब्लड कैंसर मरीजों के समर्थन तथा इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आगे आए हैं। रैना ने गैर सरकारी संगठन डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन से हाथ मिलाया है जो ब्लड कैंसर और अन्य रक्त विकारों जैसे थैलेसीमिया और अप्लास्टिक अनीमिया से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

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By IANS News
March 25, 2021 • 02:21 PM

भारत दुनिया में तीसरा ऐसा देश है जहां हेमेटेलोजिकल कैंसर के सर्वाधिक मामले हैं जहां इससे प्रति वर्ष 70 हजार लोगों की मौत होती है और एक लाख से ज्यादा लोगों का ब्लड कैंसर या रक्त विकारों का ईलाज किया जाता है। लेकिन इन मरीजों को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से दूसरा मौका मिलता है।

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विद्या बालन, राहुल द्रविड़ और सोनू सूद जैसे प्रसिद्ध लोगों के बाद रैना ने वीडियो शेयर कर इस मामले में जागरूकता फैलाने की अपील की है।

रैना ने वीडियो पोस्ट कर अपील करते हुए बताया कि भारत में हर पांच मिनट में कोई ब्लड कैंसर का मरीज पाया जाता है और इनमें से ज्यादा मरीज युवा और बच्चे होते हैं। अपने निजी अनुभव का उदाहरण देते हुए रैना ने बताया कि उन्होंने किस तरह इस चुनौती से सीख ली है। हालांकि इससे बड़ी कोई चुनौती नहीं है कि एक परिवार को सामना करना पड़ता है जब उनका कोई प्रिय ब्लड कैंसर जैसी बीमारी से जूझता है।

डीकेएमएस-बीएमएसटी के सीईओ पैट्रिक पॉल ने कहा, "एक सच्चा खिलाड़ी दूसरों की मदद के लिए कभी नहीं हिचकिचाएगा और रैना ने भी यह साबित किया है। उनकी स्पोटर्समैनशीप सराहनीय है। कई मरीज जो ब्लड कैंसर या अन्य ब्लक बीमारियों से पीड़ित हैं उन्हें जीवित रहने के लिए ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जरूरत है। दुर्भाग्य से ज्यादा मरीज ब्लड स्टेम सेल डोनर की मैचिंग नहीं होने के कारण ट्रांसप्लांट नहीं करा पाते हैं।"

इस स्थिति को केवल तभी बदला जा सकता है जब भारत में अधिक से अधिक लोग डीकेएमएस-बीएमएसटी जैसे गैर सरकारी संगठनों द्वारा बनाए गए डोनर रजिस्ट्री का एक हिस्सा होंगे।

यह ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकरण के एक सरल कदम के साथ किया जा सकता है और इससे इन रोगियों को जीवन जीने का दूसरा मौका मिल सकता है।

सिर्फ 30 फीसदी मरीजों को ही ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लेंट के मैचिंग मिल पाते हैं। अन्य 70 फीसदी लोग मैचिंग पर निर्भर रहते हैं। भारत में ईलाज की संभावनाओं के बारे में जागरूकता की कमी के कारण, रोगियों के लिए ब्लड स्टेम सेल डोनर की मैचिंग खोजना मुश्किल हो जाता है।

रैना ने वीडियो अपलोड कर अपील करते हुए सभी भारतीयों से ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकरण कराने का अनुरोध किया।

पंजीकरण की प्रक्रिया इस प्रकार है :

अगर आपकी उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच है और आपकी सेहत स्वस्थ्य है तो आपको ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकरण कराने के लिए स्वैब किट ऑर्डर करनी होगी जो डब्ल्यूडब्ल्यूबडब्ल्यू डॉट डीकेएमएस-बीएमएसटी डॉट ओरआरजी/रजिस्टर पर जाकर ऑर्डर होगी।

इसमें पांच मिनट लगेंगे और यह तीन आसान प्रक्रिया द्वारा पूरी होगी।

स्टेप 1 - साइट पर जाए, ऑनलाइन फॉर्म भरें और इसके बाद आप डीआईवाई स्वैब किट घर पर पा सकते हैं।

स्टेप 2- स्वैब किट मिलने के बाद आपको सहमति पत्र भरना होगा। इसके बाद आप किट के अंदर रखे तीन रूई के स्वैब के साथ गालों के अंदर से एक टिशू सैंपल लें।

स्टेप 3 - इसके बाद अपने स्वैब सैंपल को प्री पैड इनवेलप द्वारा भेज दें।

डीकेएमएस लेबोरेटरी आपके टिस्यू टाइप का विश्लेषण करेगी और आपकी जानकारी ग्लोबल सर्च में ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में उपलब्ध होगी। अगर आप उपयुक्त डोनर हुए तो डीकेएमएस-बीएमएस आपसे सीधे संपर्क करेगा।

एक बार जब आप एक मैचिंग के रूप में सही पाए जाएंगे, तो ब्लड स्टेम सेल से रक्त स्टेम कोशिकाएं पेरीफेरल ब्लड स्टेम सेल कलेक्शन की प्रक्रिया का उपयोग करके प्राप्त की जाएंगी। यह प्रक्रिया रक्त दान के समान है जिसमें केवल आपके स्टेम सेल लिए जाते हैं। यह एक सुरक्षित, गैर-सर्जिकल आउट पेशेंट प्रक्रिया है।

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