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सुरेश रैना ने किया खुलासा,बताया 2007 वर्ल्ड कप की हार ने कैसे धोनी को बदला

पूर्व भारतीय बल्लेबाज सुरेश रैना ने खुलासा किया कि जब भारतीय टीम 2007 में वनडे वर्ल्ड कप के दौरान ग्रुप स्टेज में बाहर हो गई थी तब महेंद्र सिंह धोनी ने उससे बहुत बड़ी सीख हासिल की। साथ ही रैना

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MS Dhoni and Suresh Raina
MS Dhoni and Suresh Raina (Google Search)
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Aug 20, 2020 • 11:18 AM

पूर्व भारतीय बल्लेबाज सुरेश रैना ने खुलासा किया कि जब भारतीय टीम 2007 में वनडे वर्ल्ड कप के दौरान ग्रुप स्टेज में बाहर हो गई थी तब महेंद्र सिंह धोनी ने उससे बहुत बड़ी सीख हासिल की। साथ ही रैना ने ये भी कहा कि उनके करियर पर धोनी का बहुत बड़ा प्रभाव रहा है।

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
August 20, 2020 • 11:18 AM

क्रिकबज के टॉक शो में क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले से बातचीत में रैना ने कहा कि, "साल 2003-04 में बैंगलोर में 'इंडिया ए' के कैम्प के दौरान मैंने धोनी के साथ बहुत समय बिताया था। वो मुझे बहुत अच्छे से जानते थे। हम दोनों ऐसे जगह से आये थे जहां हमनें मुश्किल चीजों को भी आसानी सुलझाया है। यहीं कारण है कि जब हमें देश के लिए खेलने का मौका मिला तो मुझे पता था की ये इंसान(धोनी) खेल में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा। मैंने उनसे काफी बातें की है और उनकी वजह से मेरे खेल, मेरे करियर, मेरे परिवार और मेरे खुद के नजरिये पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। 2007 का समय मेरे लिए आसान नहीं था, तब मेरे घुटने का ऑपरेशन हुआ था। उस ऑपरेशन ने मेरी जिंदगी बदल दी और मेरे अंदर और ऊर्जा भरी जिसके बाद मैं और भी बेहतर क्रिकेटर बन सका। 

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"2007 के वनडे वर्ल्ड कप ने धोनी पर काफी प्रभाव डाला। उस टूर्नामेंट ने धोनी को एक इंसान के तौर पर बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने हमेशा ये सिखाया है कि कैसे खेल को जीता जाता है और साथ में यह भी बताया कि आप हार से भी बहुत कुछ सीखते हो। वो एक जुझारू इंसान है।"

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रैना ने साथ में ये भी कहा कि वो हमेशा से तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करना चाहते थे लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट में ऐसा मौका नहीं मिल पाया। हालांकि चेन्नई सुपरकिंग्स के तरफ से जब उन्होंने खेलना शुरू किया तो धोनी ने उनको तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने का अवसर दिया। उन्होंने कहा कि चेन्नई में फ्लेमिंग, हेडन तथा माइकल हसी के होने से उन्हें काफी अनुभव मिला। साथ में रैना ने राहुल द्रविड़ ,सचिन तेंदुलकर तथा अनिल कुंबले की सराहना करते हुए कहा इनको क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट यानी टी-20 में खेलते देखना एक खास अनुभव था।


इसके अलावा रैना ने 2014 के आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ 25 गेंदों में खेली गई 87 रनों की पारी को याद किया और कहा की मैंने लक्ष्य की परवाह किये बिना अपना स्वाभिक खेल खेला और पॉवरप्ले के शुरुआती 6 ओवरों जमकर रन बनाएं।

साथ में रैना ने पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर तथा गैरी कर्स्टन की भी सराहना की और कहा कि इन दोनों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने मुझे बताया कि खेल के मैदान में कब रिस्क लेना है और कब नहीं।

रैना ने साथ में अपने डेब्यू मैच का जिक्र करते हुए कहा की श्रीलंका के खिलाफ दांबुला के मैदान डेब्यू करते हुए वो बिना खाता खोले ही आउट हो गए जिसके बाद उन्हें काफी बुरा महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि," मैं जीरो पर आउट होने के बाद इरफान और धोनी भाई से बात कर रहा था तब धोनी भाई ने मुझे पूछा कि मैं निराश क्यों हूँ? बाद में जब राहुल भाई आये तो उन्होंने मेरे निराश होने का कारण पूछा और फिर उन्होंने कहा कि 'इसमें निराश होने वाली कोई बात नहीं है। जब तुम अगला मैच खेलोगे तो हो सकता है फिर से जीरो पर आउट हो जाओ, उसके अगले मैच भी फिर जीरो पर आउट हो सकते हो इसलिए ज़्यादा मत सोचो।' फिर मैंने कहा कि आज मेरा परिवार और मेरे दोस्त मुझे टीवी पर देख रहे होंगे लेकिन मैं उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया और जीरो पर आउट हो गया।"

रैना ने बताया कि पहले मैच में जीरो पर आउट होने के बाद राहुल भाई ने मुझसे कहा तुम शानदार फील्डर हो तो कुछ अच्छा करके दिखाओ। तब मुझे लगा कि मैं भी टीम का हिस्सा हूँ और फिर मैंने अगले ही मैच में अटापट्टू को रन आउट किया उसके बाद जाहिर भाई और राहुल भाई मेरे पास आये और मुझे शाबासी दी। रैना ने कहा कि "इन सभी चीजों ने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं लंबा खेल सकता हूँ।"
 

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